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Ram Mandir: ऋषभदेव के मंदिर की भी कीर्ति पताका लहराने को तैयार, बढ़ेगी महिला

cy520520 2025-11-11 19:07:22 views 605

  



रघुवरशरण, अयोध्या। राम मंदिर के साथ भगवान ऋषभदेव के मंदिर की भी कीर्ति पताका लहराने को तैयार है। यह संयोग-साहचर्य राम मंदिर निर्माण के साथ शिखर पर है। 25 नवंबर को यदि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राम मंदिर के शिखर पर ध्वजारोहण करेंगे, तो इसी बीच भगवान ऋषभदेव के मंदिर की भव्यता अंतिम स्पर्श पा रही होगी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

सच यह है कि राम मंदिर निर्माण ने रामनगरी से जुड़ी जैन धर्म की धरोहर में नए सिरे से प्राण फूंकने की प्रेरणा दी। रामलला के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय नौ नवंबर 2019 को आया, तो छह नवंबर को ही रायगंज मुहल्ला स्थित भगवान ऋषभदेव मंदिर के आठ एकड़ के प्रांगण में ऋषभदेव के यशस्वी पुत्र चक्रवर्ती भरत सहित उनके सभी 101 पुत्रों का मंदिर, तीन लोक मंदिर और तीस चौबीसी मंदिर की आधारशिला रखी गई।

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के साथ अयोध्या आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में तीन से पांच गुणा तक वृद्धि का अनुमान व्यक्त किया जाने लगा, तो इन श्रद्धालुओं के स्वागत में जैन मंदिर का परिसर आधुनिक साज-सुविधा से युक्त 101 कमरों के अतिथिगृह से युक्त हो गया।
आध्यात्मिक संयोग से खुला संभावनाओं का द्वार

राम मंदिर का निर्णय आने के पूर्व ही रामनगरी में इस अहम निर्णय की आहट और रामनगरी की स्वर्णिम संभावनाओं का आंकलन किया जाने लगा था, किंतु जैन मंदिर की स्वर्णिम संभावनाओं का द्वार आध्यात्मिक संयोग के चलते खुला। ज्ञानमती माता ने इसी मंदिर में स्थापित भगवान ऋषभदेव की प्रेरणा से एक अन्य जैन तीर्थ मांगी-तुंगी में 108 फीट ऊंची ऋषभदेव की विशाल प्रतिमा की स्थापना कराई।

इस महाभियान को आकार देने में डेढ़ दशक से भी अधिक का वक्त लगा और इससे फुर्सत पाते ही ज्ञानमती माता अयोध्या तीर्थ की जैन परंपरा को समुन्नत करने की ओर उन्मुख हुईं। वह 2019 के आरंभ में दो हजार किलोमीटर की सुदीर्घ पदयात्रा कर अयोध्या पहुंचीं और कुछ माह बाद ही महनीय निर्माण का आरंभ हुआ।

विशाल प्रांगण के बीचोबीच नयनाभिराम मंडप में 1965 से ही प्रतिष्ठित भगवान ऋषभदेव की 31 फीट ऊंची प्रतिमा पहले से ही गहन आस्था और भव्यता की परिचायक रही है, किंतु कई अन्य उप मंदिरों के निर्माण सहित विशाल अतिथिगृह, भोजनालय, 24 तीर्थंकरों का मंडप आदि इस भव्यता में चार चांद लगा रहा है।
कहीं अधिक सार्थकता की हो रही अनुभूति : रवींद्र

जैन मंदिर के पीठाधीश रवींद्रकीर्ति स्वामी के अनुसार भव्य राम मंदिर निर्माण और अयोध्या को श्रेष्ठतम सांस्कृतिक नगरी बनाए जाने के प्रयासों के बीच रामनगरी से जुड़ी जैन धरोहर को पुनर्गौरव प्रदान करते हुए कहीं अधिक सार्थकता की अनुभूति हो रही है। इसके मूल में वह श्रद्धालु भी प्रेरक हैं, जो राम मंदिर के साथ अयोध्या के अन्यान्य मंदिरों की भी ओर पूरे प्रवाह से उन्मुख हो रहे हैं।
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