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World Food India 2025: झारखंड का मछली का अचार और पापड़ लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र, लोगों को आ रहा है खूब पसंद_deltin51

deltin33 2025-9-29 09:36:12 views 804

  वर्ल्ड फूड इंडिया 2025 में झारखंड पवेलियन का प्रदर्शन। (फाइल फोटो)





राज्य ब्यूरो, रांची। देश की राजधानी नई दिल्ली के भारत मंडपम में चल रहे वर्ल्ड फूड इंडिया 2025 में रविवार को उद्योग सचिव अरवा राजकमल ने झारखंड पवेलियन का अवलोकन किया।

उन्होंने कहा कि झारखंड प्रदेश अपने खनिज उत्पादों, आदिवासी संस्कृति के साथ बड़े भाग में फैले वनों के लिए जाना जाता है। झारखंड में प्रदेश के कुल क्षेत्रफल का 78 हजार किलोमीटर क्षेत्र वन क्षेत्र है। यहां के वन विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधे एवं अपने अनेक वनोत्पाद के लिए प्रसिद्ध है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें


झारखंड में 136 माइनर फूड प्रोड्यूस करने वाले वनों की शृंखला है

एक्सपो में आने वाली लोगों ने झारखंड पवेलियन में वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा लगाए गए स्टाल पर इसकी विस्तृत जानकारी ली।

विभाग के डीएफओ श्रीकांत वर्मा ने बताया कि झारखंड में 136 माइनर फूड प्रोड्यूस करने वाले वनों की शृंखला है। जिसमें शाल, महुआ, इमली, कुसुम, जामुन, पलाश, कटहल आदि के पेड़ बहुतायत में पाए जाते है।

Sonu Nigam,Lata Mangeshkar Award 2025,National Lata Mangeshkar Alankaran,पार्श्व गायक सोनू निगम,मुख्यमंत्री मोहन यादव,इंदौर,लता मंगेशकर सभागार,संगीत संध्या,भारतीय संगीत,लता मंगेशकर सम्मान   

उन्होंने बताया कि वन विभाग ऐसे स्थानों पर वन समितियों का सृजन कर के उनको लोगो को आवश्यक प्रशिक्षण, मशीन, मार्केट लिंक देकर लाह, सिल्क, शहद, चिरौंजी, काजू आदि वस्तुओं का उत्पादन भी करती है। साथ ही झारखंड का सिल्क, शहद, चिरौंजी आदि ना सिर्फ देश में अपितु विदेशों तक निर्यात होता है।
सरकार आर्गेनिक सब्जियों के उत्पादन को दे रही है बढ़ावा

पवेलियन में ही कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग के स्टाल की जानकारी देते हुए मुकेश द्विवेदी ने बताया कि झारखंड प्रदेश अपने यहां सभी अनाजों की अपेक्षा चावल का उत्पादन ज्यादा करता है।



वहीं, वर्तमान में सरकार ऑर्गेनिक सब्जियों के उत्पादन को भी बढ़ावा दे रही है। जिसके तहत सरकार ट्रेनिंग, सर्टिफिकेशन, एक्सपोजर आदि पर काम कर रही है।
झारखंड प्रतिवर्ष 3.60 मीट्रिक टन मछली का कर रहा है उत्पादन

पवेलियन के प्रमुख आकर्षण में मछली का अचार और पापड़ है। जो लोगों को बहुत पसंद और अनोखा लग रहा है। फिशरीज विभाग के प्रशांत कुमार दीपक के अनुसार अभी झारखंड प्रतिवर्ष 3.60 मीट्रिक टन मछली का उत्पादन कर रहा है।



जिसके उपादान में सरकार डैम या खत्म हो चुके खदानों में केज बना कर लोगों को ट्रेनिंग मुहैया करवाकर फार्मिंग करवा रही है। झारखंड में रोहू, कटला, तिलोपिया, पंजेसिप्स आदि मछली पाई जाती है। जिनकी बिक्री स्थानीय बाजारों के साथ साथ आस पास के प्रदेशों में होता है।

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