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दिनभर प्रचार के बाद रात में बनती स्ट्रेटजी; रोजाना प्रत्याशियों के ब्लड प्रेशर और शुगर की होती थी जांच

Chikheang Half hour(s) ago views 555

  

प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई फाइल फोटो। (जागरण)



विवेक दुबे, बगहा। विधानसभा चुनाव के माहौल ने उम्मीदवारों और उनकी कोर टीम की दिनचर्या पूरी तरह बदल दी है। चुनावी प्रचार अभियान के बीच अब दिन और रात का फर्क मिट गया है।

उम्मीदवार सुबह से लेकर देर रात तक जनता से संपर्क और सभाओं में व्यस्त हैं। वहीं, रात का समय रणनीति और समीक्षा बैठकों में बीत रहा है। कई उम्मीदवार और उनके प्रमुख सहयोगी रोजाना 18 से 20 घंटे तक काम कर रहे हैं, जबकि आराम और नींद के लिए मुश्किल से तीन से चार घंटे ही मिल रहा है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

पहले जहां नेता सुबह आठ बजे तक आराम से दिन की शुरुआत करते थे, अब गुलाबी ठंड में पांच बजे से ही सक्रिय हो जाते हैं। कार्यकर्ता भी तड़के ही चुनाव कार्यालय पहुंच जाते हैं, जहां फोन कॉल, बैठकों और दिनभर के कार्यक्रम तय करने का सिलसिला शुरू हो जाता है।

सुबह आठ बजे के बाद उम्मीदवार प्रचार के लिए क्षेत्र में निकल पड़ते हैं और घर-घर जाकर मतदाताओं से संवाद करते हैं।
व्यस्तता के बीच स्वास्थ्य पर भी फोकस

चुनावी भागदौड़ के बीच उम्मीदवार अपने स्वास्थ्य को लेकर भी सजग हैं। लगातार यात्रा और अनियमित दिनचर्या के बावजूद वे डॉक्टर की सलाह पर खानपान में बदलाव कर रहे हैं।

रोजाना ब्लड प्रेशर और शुगर की जांच कराई जा रही है। नाश्ते में हल्का भोजन और फल शामिल किए गए हैं, जबकि तले-भुने खाद्य पदार्थों से दूरी बनाई गई है। लंच और आवश्यक दवाएं हमेशा साथ रखी जाती हैं ताकि थकान के बीच भी ऊर्जा बनी रहे।
चुनावी रफ्तार में बदल गई जीवनशैली

तेज रफ्तार चुनावी प्रचार ने उम्मीदवारों की जीवनशैली पूरी तरह बदल दी है। अब आराम, भोजन और नींद सबकुछ प्रचार की प्राथमिकता के पीछे छूट गया है।

दिनभर की व्यस्तता के बाद रातें योजनाओं की समीक्षा और अगले दिन की तैयारी में बीत जाती हैं। समर्थक कहते हैं कि यह दौर सिर्फ मेहनत और समर्पण का है, जहां हर नेता जनता तक पहुंचने की पूरी कोशिश में जुटा है।
भाजपा और कांग्रेस के चुनावी कार्यालयों में गहमागहमी तेज

बगहा विधानसभा में चुनावी माहौल चरम पर है और भाजपा व कांग्रेस दोनों ने अपने-अपने चुनावी कार्यालयों को सक्रिय कर दिया है। भाजपा ने बगहा दो में कार्यालय बनाया है। जहां प्रत्याशी के भांजे पूरी व्यवस्था की देखरेख कर रहे हैं। कौन सी गाड़ी किस क्षेत्र में जाएगी, कितने लोगों के लिए भोजन तैयार होगा और कहां बैनर-पोस्टर लगाए जाएंगे। सब कुछ इसी कार्यालय से संचालित हो रहा है।

दूसरी ओर, कांग्रेस ने छोटकी पट्टी में अपना मुख्य कार्यालय बनाया है। यहां प्रत्याशी के छोटे भाई यश सिंह पूरी प्रचार व्यवस्था संभाल रहे हैं। गाड़ियों की आवाजाही से लेकर प्रचार सामग्री तक हर गतिविधि पर उनकी नजर है।

दोनों कार्यालयों में कार्यकर्ताओं की भीड़ लगातार बनी हुई है, जो रणनीति बनाने और जनसंपर्क की योजनाओं में जुटे हैं। चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे इन कार्यालयों की रफ्तार और गहमागहमी भी बढ़ती जा रही है।
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