Health News: धूप में बैठकर क्‍या खाना होता है फायदेमंद? बदलते मौसम में स्‍वस्‍थ रहने के उपाय बता रहे डाक्‍टर

deltin33 2025-11-10 02:07:10 views 846
  

डॉ. अमरेंद्र कुमार, डॉ. आशीष कुमार झा व डॉ. रोहित कुमार। जागरण  



जागरण संवाददाता, पटना। मौसम में बदलाव स्पष्ट महसूस होने लगा है। सुबह और शाम की हवा में ठंडक घुल चुकी है, वहीं रात में भी मीठी ठंड ने दस्तक दे दी है।

बदलते मौसम के इस संधिकाल में जहां वातावरण तरोताजा हो जाता है, वहीं यह शरीर के त्रिदोष जैसे वात, पित्त और कफ को भी प्रभावित करता है।

आयुर्वेद के अनुसार यही समय है अपने आहार-विहार और दिनचर्या में संतुलन लाने का, ताकि मौसम के दुष्प्रभावों से शरीर की रक्षा की जा सके।

विशेषज्ञों के अनुसार ऐसे मौसम में वायरल बीमारियों के अतिरिक्त सर्दी, खांसी, जुकाम की परेशानी हो रही है। साथ ही बीपी व शुगर वाले मरीजों में इसके नियंत्रण की समस्या आ रही है।
बीपी व शुगर की दवाएं कराएं एडजस्‍ट

इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट आफ कार्डियोलाजी के डीएम कार्डियोलाजिस्ट डा. रोहित कुमार बताते है कि बीपी की दवाएं अभी एडजस्ट कराने की जरूरत होती है।

ऐसे में जिन्हें भी पूर्व से दवा चल रही है, वे मौसम के अनुसार दवाएं एडजस्‍ट करवा लें। पीएमसीएच के इंडोक्रायोनोलाजिस्ट डा. नीरज सिन्हा ने बताया कि ऐसे मौसम में सुबह व शाम में ठंड होती है।

ऐसे में टहलने के लिए निकलने से पूर्व शरीर को पूरी तरह ढंककर रखनी चाहिए। साथ ही शुगर की दवा चल रही हो तो एडजस्ट करानी चाहिए।  
पंचमहाभूत और सूर्य-चंद्र से संचालित जीवन

आयुर्वेद के अनुसार मानव शरीर पंचमहाभूत जल, वायु, अग्नि, आकाश और पृथ्वी से बना है। इन पर सूर्य और चंद्रमा का सीधा प्रभाव पड़ता है।

दिन में सूर्य की ऊर्जा और रात में चंद्रमा की शीतलता शरीर के जैविक संतुलन को नियंत्रित करती है। इसी कारण ऋषि-मुनियों ने ऋतुचर्या (मौसमी जीवनशैली) और दिनचर्या (दैनिक अनुशासन) के नियम बनाए, ताकि व्यक्ति मौसम के परिवर्तन से होने वाले रोगों से बच सके।  विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

ठंड से बचाव के आयुर्वेदिक उपाय


राजकीय आयुर्वेद कालेज के डा. अमरेंद्र कुमार सिंह के अनुसार, ठंड के मौसम में ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 5 से 5:30 बजे) में उठना सर्वोत्तम है, लेकिन बच्चों और बुजुर्गों को बहुत सुबह उठने से बचना चाहिए।

बाहर निकलते समय सिर, कान और नाक को गर्म कपड़ों से ढंकना जरूरी है। स्नान से पहले नाक और नाभि में तेल डालना, सरसों या तिल के तेल से शरीर की मालिश करना और घर में धूप या लकड़ी जलाकर धूपन करना शीतजनित रोगों से बचाव में सहायक होता है।

उन्होंने बताया कि खाने में गर्म तासीर वाले पदार्थ जैसे गुड़, अदरक, लहसुन, तिल, मेथी, हल्दी-अदरक का हलवा, बाजरा, रागी और मड़ुआ की रोटी का सेवन लाभकारी है।

रात में हल्दी वाला दूध या गुड़ और अदरक के साथ गर्म दूध शरीर को ऊष्मा और ऊर्जा प्रदान करता है। खजूर, मूंगफली और दही से निकला मक्खन जैसे चिकनाई वाले पदार्थ भी इस मौसम में शरीर के लिए पोषक हैं।  

चाय में तुलसी-अदरक, धूप में फल


बताया कि सामान्य लोग चाय में तुलसी, अदरक और काली मिर्च डालकर पीएं। यह शरीर में गर्मी बनाए रखेगा। गुड़, हल्दी, गुनगुना पानी, पौष्टिक घर का खाना, मेवे, च्यवनप्राश और योगाभ्यास को दिनचर्या में शामिल करना चाहिए।

धूप में बैठकर संतरा, अमरूद और मौसमी फलों का सेवन शरीर को विटामिन सी प्रदान कर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।  

जीवनशैली की गड़बड़ी से बढ़ते रोग


इंडियन सोसायटी आफ गैस्ट्रोइंट्रेलाजी के अध्यक्ष डा. आशीष कुमार झा ने बताया कि सर्दी में खून के गाढ़ा होने और थक्का जमने की प्रवृत्ति बढ़ जाती है।  

जंक फूड, तली-भुनी चीजें, व्यायाम की कमी और देर रात तक जागने की आदतें लंबे समय में मधुमेह, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप और मोटापा जैसे रोगों का कारण बनती हैं।

तनाव, प्रदूषण और असंतुलित खानपान के कारण श्वसन, चर्म, लिवर और प्रजनन संबंधी बीमारियों में भी वृद्धि हो रही है।
अंग्रेजी चिकित्सा दृष्टिकोण

अंग्रेजी डाक्टरों के अनुसार, सर्दी में भी जीवन का अनुशासन बनाए रखना जरूरी है। देर रात तक न जागें, सुबह जल्दी उठें, सोने से पहले हल्का संगीत सुनें या किताब पढ़ें।

हर दो घंटे पर थोड़ा आराम लें, दफ्तर में खिंचाव वाले व्यायाम करें और रोजाना आधे घंटे टहलें। फोन और टीवी के लंबे उपयोग से बचें और मानसिक थकान दूर करने के लिए समय-समय पर बाहर घूमने जाएं।
आयुर्वेदिक दिनचर्या का महत्व

आयुर्वेद के अनुसार, ब्रह्ममुहूर्त में उठना, तेल मालिश करना, व्यायाम और स्नान के बाद पौष्टिक आहार लेना शरीर को ऊर्जावान बनाता है। सुबह हल्का नाश्ता, दोपहर में भरपेट भोजन और सूर्यास्त से पहले हल्का रात का खाना स्वास्थ्य के लिए उत्तम है।

रात में नींद की कमी से रोग बढ़ते हैं, इसलिए कफ प्रधान व्यक्ति को छह घंटे, पित्त प्रधान को सात से आठ घंटे और वात प्रधान को आठ घंटे से अधिक नींद आवश्यक बताई गई है।
like (0)
deltin33administrator

Post a reply

loginto write comments
deltin33

He hasn't introduced himself yet.

1210K

Threads

0

Posts

3810K

Credits

administrator

Credits
388010

Get jili slot free 100 online Gambling and more profitable chanced casino at www.deltin51.com