Rajat Jayanti Uttarakhand: लंबे संघर्ष के बाद मिला उत्तराखंड, लेकिन सपने आज भी अधूरे

LHC0088 2025-11-9 01:07:11 views 466
  

उत्तराखंड राज्य स्थापना के पीछे संघर्ष की एक लंबी कहानी है। आर्काइव



संसू, जागरण, गरुड़ । उत्तराखंड राज्य स्थापना के पीछे संघर्ष की एक लंबी कहानी है। साल 1994 में आंदोलन चरम पर पहुंचा। तीन महीने स्कूल-कालेज बंद रहे। बच्चे, युवा, महिलाएं, वृद्ध सब आंदोलन में कूद पड़े। राज्य की लड़ाई में अपनी भागीदारी निभाने वाले आंदोलनकारियों ने जागरण को आंदोलन की दास्तान कुछ यों बताई। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें



साल 1994 में गरुड़ के लोगों ने राज्य आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाई। गरुड़ में बैठक कर व रैली निकालकर आंदोलन को चरम पर पहुंचाया। पुलिस ने आंदोलन को कुचलने का भरसक प्रयास किया। लेकिन हमने हार नहीं मानी। अंततः राज्य मिला। लेकिन राज्य आंदोलकारियों को उचित सम्मान नहीं मिला।
- पूरन चंद्र पाठक, उम्र 75 वर्ष राज्य आंदोलनकारी, गढ़सेर

राज्य आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाई। जो सपने देखे थे, वो हकीकत में नहीं बदले। पहाड़ की जवानी और पहाड़ का पानी आज यहां के काम नहीं आ रहा है। राज्य नियंताओं को राज्य आंदोलनकारियों से भी नीति बनाते समय मशविरा करना चाहिए।
- पूरन सिंह रावत, राज्य आंदोलनकारी।


आर्थिक पिछड़ेपन और पहाड़ की उपेक्षा को लेकर राज्य की लड़ाई लड़ी गई थी। लेकिन पहाड़ आज भी उपेक्षित ही है। न आधुनिक सुविधाओं वाले अस्पताल हैं, न कालेज। विकास को भ्रष्टाचार लील रहा है।
- राजेंद्र सिंह थायत, राज्य आंदोलनकारी।

राज्य स्थापना की रजत जयंती मनाई जा रही है। उत्तराखंड ने अब गृहस्थ आश्रम में प्रवेश कर लिया है। लेकिन घर चलेंगे कैसे? पहाड़ में उद्योग नहीं हैं। युवा मैदानी क्षेत्रों में नौकरी के लिए भटक रहे हैं।
- हेम चंद्र पंत, राज्य आंदोलनकारी।
like (0)
LHC0088Forum Veteran

Post a reply

loginto write comments
LHC0088

He hasn't introduced himself yet.

410K

Threads

0

Posts

1410K

Credits

Forum Veteran

Credits
140184

Get jili slot free 100 online Gambling and more profitable chanced casino at www.deltin51.com