अस्पताल के मरीजों को लिखी जा रही बाहर की दवा।
जागरण संवाददाता, बहराइच/चित्तौरा। मेडिकल कॉलेज अस्पताल कहने के लिए गरीब लोगों के लिए रह गया है। यहां कम खर्च में इलाज के लिए आनेवाले मरीजों को जमकर बाहर की दवा लिखी जा रही है। एक महिला मरीज के इलाज में प्रतिदिन एक हजार की दवा मेडिकल स्टोर से खरीदी जा रही है। इतना ही नहीं चिकित्सक अल्ट्रासाउंड जांच भी लिखने में पीछे नहीं उठ रहे हैं। अल्ट्रासाउंड जांच के लिए भी 1200 रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
सीतापुर के रेउसा निवासी कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय की छात्रा को बाहर की जांच लिख दी गई। इस पर सवाल उठ रहा है कि सरकार के आदेश का अनुपालन करवाने में चिकित्सक पीछे क्यों हट रहे हैं। उन्हें कार्रवाई का कोई भय नहीं रहा है।
प्रस्तुत है जागरण की पड़ताल करती हुई रिपाेर्ट-
बिहार निवासी मोहन ईंट भट्ठे पर काम करते हैं। बेटी पूनम की तबीयत खराब होने पर बाल रोग विभाग में भर्ती कराया है। चिकित्सक ने सिरप व अन्य दवा बाहर से मंगवाई। कुछ दवाएं अस्पताल से मिलीं।
रानीपुर निवासी कोमल पाल के बेटे कार्तिक की तीन दिनों से तबियत खराब है। अस्पताल में भर्ती कार्तिक को चिकित्सक ने इंजेक्शन व सिरप बाहर के लिए लिखी। वह दवा लेकर इलाज करवा रही हैं।
मिहींपुरवा तहसील के आंबा गांव निवासी अंजुला अपनी बेटी प्रीती का इलाज करवाने आई हैं। उन्हें विभागाध्यक्ष ने बाहर की दवा लिख दी। मजबूरी में बाहर की दवा लाकर करवा रही हैं।
श्रावस्ती जिले के गिरंट बाजार निवासी तीन वर्षीय उम्मेपलक अस्पताल में भर्ती हैं। मां सहरतुल ने बताया कि बाहर की दवा लिख रहे हैं। मेडिकल स्टोर से दवा लाकर इलाज करवा रहे हैं।
सुजौली इलाके के आंबा गांव निवासी निरमा देवी की मां की तबियत खराब है। उन्हें मेडिकल कालेज अस्पताल में भर्ती कर इलाज किया जा रहा है। उन्हें बाहर से 700 रुपये की इंजेक्शन मंगवाकर लगाई जा रही है। दवा भी खाने के लिए बाहर से लाना पड़ रहा है।
मेडिकल कालेज में भर्ती होने वाले मरीजाें को बाहर की दवा नहीं लिखी जा रही है। जो दवा शार्ट होती है, वह जन औषधि केंद्र और अमृत फार्मेसी से मिल जाती है। अगर ऐसी कोई शिकायत मिलती है तो जांच के बाद कार्रवाई होगी। -प्रो. डॉ. अरविंद शुक्ला, मीडिया प्रभारी, मेडिकल कॉलेज अस्पताल।
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