deltin51
Start Free Roulette 200Rs पहली जमा राशि आपको 477 रुपये देगी मुफ़्त बोनस प्राप्त करें,क्लिकtelegram:@deltin55com

देश के सभी जिलों में बनाने होंगे यातायात नियंत्रण कक्ष, सड़क हादसों को कम करने के लिए सरकार का फैसला

deltin33 Half hour(s) ago views 967

  

देश के सभी जिलों में बनाने होंगे यातायात नियंत्रण कक्ष।  



जितेंद्र शर्मा, नई दिल्ली। सड़क दुर्घटनाओं और उनमें मरने वालों का आंकड़ा प्रतिवर्ष बढ़ता ही रहा है। समीक्षा हुई तो अक्सर ठीकरा वाहनों की तेज गति पर ही फोड़ा गया।

जिम्मेदारी वाहन चालकों पर ही डाली गई कि वह नियमों का पालन सही से नहीं करते। तब-तब यह सवाल भी उठा कि क्या प्रवर्तन यानी एनफोर्समेंट में ढिलाई के लिए सरकार जिम्मेदार नहीं है? नियमों का पालन सख्ती से कराने में ढील क्यों है? विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

संभवत: इन्हीं प्रश्नों के उत्तर तलाशते हुए अब केंद्रीय सड़क परिवहन एवं मंत्रालय ने इलेक्ट्रानिक एनफोर्समेंट यानी ई-एनफोर्समेंट के लिए विस्तृत एसओपी तैयार की है।

  • सभी राज्यों में यातायात नियंत्रण कक्ष होंगे स्थापित
  • ई-एनफोर्समेंट में सतत और पैनी निगरानी के लिए सभी राज्यों से जिला या शहर स्तर अलग से यातायात नियंत्रण कक्ष स्थापित करने के लिए कहा है। साथ ही ब्लैक स्पाट के इतर अब रेड स्पाट की भी श्रेणियां तय की गई हैं। सड़क परिवहन मंत्रालय ने ई-एनफोर्समेंट एसओपी के रूप में विस्तृत दिशा-निर्देश तैयार किए हैं, जिन पर काम राज्य सड़क सुरक्षा के उपायों को तुलनात्मक रूप से बेहतर बना सकते हैं।
  • सड़क हादसों में 50 प्रतिशत कमी लाने का लक्ष्य
  • मंत्रालय का लक्ष्य वर्ष 2030 तक सड़क हादसों की संख्या में 50 प्रतिशत की कमी लाने का है। इसी उद्देश्य के साथ दावा किया गया है कि यातायात नियंत्रण कक्ष एक ऐसी केंद्रीयकृत सुविधा होगी, जो सूचना, डाटा संग्रह, विश्लेषण और नियंत्रण के केंद्र के रूप में काम करेंगे। यातायात और संबंधित डाटा एकत्र करने और विश्लेषण करने के लिए यह कक्ष एआइ का भी उपयोग करेंगे। केंद्र ने राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों से कहा है कि राज्य और जिला या शहर स्तर पर यातायात नियंत्रण कक्ष बनाए जाने चाहिए।
  • सभी उपकरणों को यातायात नियंत्रण कक्षों से जोड़ना होगा
  • इलेक्ट्रानिक निगरानी से संबंधित सभी उपकरणों को यातायात नियंत्रण कक्षों से जोड़ना होगा। नियंत्रण कक्षों में कैमरों से जुड़े रीयल टाइम मानीटरिंग डैशबोर्ड, ई-चालान प्लेटफार्मों के साथ ऐसा एकीकृत आटोमेटेड वायलेशन प्रोसेसिंग सिस्टम होना चाहिए, जो ई-चालान प्लेटफार्म से भी जुड़ा हो।
  • ई-एनफोर्समेंट के लिए रेड स्पाट की श्रेणियांहाई रिस्क कारिडोर

  • राष्ट्रीय राजमार्गों, एक्सप्रेसवे और राज्य राजमार्गों पर कम से कम 1000 मीटर लंबे सड़क के हिस्से, जहां पिछले तीन वर्षों में कम से कम तीन-तीन दुर्घटनाएं हुई हों।
  • शहरी सड़कों पर कम से कम 100 मीटर लंबा सड़क का वह हिस्सा, जहां पिछले तीन वर्षों में कम से कम दो दुर्घटनाएं हुई हों।
  • प्रमुख जिला सड़कों और अन्य जिला सड़कों पर (गैर-शहरी क्षेत्र) कम से कम 500 मीटर लंबा सड़क का भाग, जहां पिछले तीन वर्षों में कम से कम दो दुर्घटनाएं हुई हों।
  • किसी स्कूल या अन्य शैक्षणिक संस्थानों के दोनों ओर कम से कम 100 मीटर लंबी सड़क।
  • जिला सड़क सुरक्षा समिति द्वारा हाई रिस्क कारिडोर के रूप में नामित कोई अन्य कारिडोर।हाई डेंसिटी कारिडोरउच्च घनत्व वाले गलियारे- ऐसा स्थान, जैसे चौराहे या जंक्शन जहां यातायात के कई बिंदु मिलते हों। बस अड्डा, 250 मीटर से कम रेडियस वाले तीखे मोड़ वाले क्षेत्र, मोड़, तीव्र ढलान या ढलान वाली सड़कें आदि।
  • ऐसे स्थान जहां बार-बार पैदल यात्री गुजरते हों, साइकिल चालक और दोपहिया वाहन का अधिक आवागमन देखते हुए सख्त प्रवर्तन की आवश्यकता हो।
  • ऐसे स्थान या सड़क का भाग, जहां अक्सर यातायात नियमों का उल्लंघन होता है, जैसे कि तेज गति से वाहन चलाना, लाल बत्ती का उल्लंघन, लेन अनुशासनहीनता, पैदल यात्रियों के बीच आवाजाही, अनधिकृत पार्किंग आदि।
  • जहां वाहन चलाने की गति को कम करना लक्ष्य है, ताकि मृत्यु दर को कम किया जा सके।

यह भी होंगे रेड स्पाट

  • राष्ट्रीय राजमार्ग, राज्य राजमार्ग और शहरी सड़कों पर गोल चक्कर सहित महत्वपूर्ण जंक्शन।
  • निम्नलिखित शर्तों को पूरा करने वाले किसी भी प्रकार के जंक्शन या चौराहे, जहां पिछले तीन वर्षों में कम से कम एक दुर्घटना हुई हो।
  • जंक्शन से जुड़ने वाली कम से कम एक 4-लेन और उससे अधिक सड़क वाले सिग्नलयुक्त जंक्शन।
  • जंक्शनों को जोड़ने वाली कम से कम एक 2-लेन और उससे अधिक सड़क वाले गोल चक्कर सहित गैर-सिग्नलयुक्त जंक्शन।

हर साल अप्रैल में अपडेट करना होगा डाटा

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के सचिव वी. उमाशंकर ने बताया कि दुर्घटना डाटा विश्लेषण और इलेक्ट्रानिक डिटेल्ड एक्सीडेंट रिपोर्ट (ईडीएआर) डाटा का उपयोग करके रेडस्पाट और ब्लैकस्पाट की पहचान की जाएगी।

जिला सड़क सुरक्षा समिति तीन महीने के भीतर तय मापदंडों के आधार पर रेड स्पाट और ब्लैक स्पाट चिन्हित कर अधिसूचित करेगी। उनकी निगरानी व सुधार की व्यवस्था करनी होगी। समिति हर साल अप्रैल में एक बार इसे अपडेट करेगी और 30 अप्रैल से पहले यह डाटा मंत्रालय द्वारा स्थापित एक आनलाइन प्लेटफार्म पर अपलोड किया जाएगा।
like (0)
deltin33administrator

Post a reply

loginto write comments

Explore interesting content

deltin33

He hasn't introduced himself yet.

210K

Threads

0

Posts

710K

Credits

administrator

Credits
70373