बच्चों को सरकारी पाठ्यक्रम से अलग दी जा रही थी इस्लामिक शिक्षा
सतीश पांडेय, जागरण गोरखपुर। नेपाल में विदेशी फंडिंग के सहारे शिक्षा की आड़ में मतांतरण का बड़ा षड्यंत्र सामने आया है। खुफिया रिपोर्ट के आधार पर नेपाल के दर्जनभर शहरों में छापेमारी की गई। इस दौरान ललितपुर स्थित एक हास्टल से हिमालय एजुकेशन एंड वेलफेयर सोसायटी नामक एनजीओ का भंडाफोड़ हुआ। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
यह संस्था गरीब और अनाथ बच्चों को पढ़ाने का दावा करती थी, लेकिन जांच में खुलासा हुआ कि यहां सरकारी पाठ्यक्रम के बजाय इस्लामिक किताबें पढ़ाई जा रही थीं और बच्चों को मतांतरण की ओर प्रेरित किया जा रहा था। छापेमारी में सामने आया कि तुर्किए समेत कई विदेशी संगठन गरीब और अनाथ हिंदू बच्चों को पढ़ाई की आड़ में इस्लामिक शिक्षा देकर उनका मतांतरण कराने में जुटे हैं।
अभिसूचना इकाई की नेपाल बार्डर शाखा ने 25 अगस्त को पुलिस मुख्यालय भेजी गई अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि नेपाल पुलिस की छापेमारी व जांच में सामने आया कि संस्था बच्चों को शिक्षा के नाम पर आवास और भोजन उपलब्ध कराती थी।
गरीब और असहाय परिवारों को इस बात के लिए तैयार किया जाता था कि बच्चे मुफ्त में पढ़-लिख सकेंगे, लेकिन कक्षाओं में सरकारी पाठ्य पुस्तकों की जगह कुरान और मजहबी साहित्य रखा गया था।
ये बच्चे अधिकतर भारतीय सीमा से सटे कपिलवस्तु, सिराहा, रौतहट, बांके और दांग जिलों के थे। जांच में यह भी पाया गया कि विदेशी नागरिक बिना अनुमति नेपाल में दाखिल होकर इन बच्चों को पढ़ा रहे थे।
वे टूरिस्ट वीजा पर आए और सीधे मदरसों व विश्वविद्यालयों से जुड़ गए। नेपाल के शिक्षा पाठ्यक्रम में धार्मिक शिक्षा शामिल नहीं है, इसके बावजूद एनजीओ के नेटवर्क ने बच्चों के विचार बदलने की सुनियोजित योजना बना रखी थी।pakur-crime,Pakur news,Pakur theft incidents,police investigation Pakur,temple theft Pakur,crime control Pakur,Nidhi Dwivedi SP Pakur,Maheshpur temple theft,Pakuria theft case,arrests in Pakur theft case,Pakur crime news,Jharkhand news
अधिकारियों को संदेह है कि शिक्षा की आड़ में बच्चों का मतांतरण कराया जा रहा था। छापेमारी के दौरान मिले दस्तावेजों और रजिस्टरों से यह भी सामने आया कि यह नेटवर्क कई वर्षों से सक्रिय है और अब तक विदेशी स्रोतों से करोड़ों की राशि जुटा चुका है।
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इस रकम से किताबें बांटी जाती थीं, धार्मिक आयोजन कराए जाते थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि नेपाल के लिए यह न केवल शिक्षा व्यवस्था से खिलवाड़ है, बल्कि सुरक्षा और सामाजिक संतुलन के लिए भी बड़ा खतरा है। इसे भारतीय सीमा की सुरक्षा के लिए चुनौती माना जा रहा है। विदेशी संगठनों की गतिविधि पर भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की भी कड़ी नजर है।
सामने आई 25 मिलियन नेपाली रुपये की फंडिंग :
इस मामले की तहकीकात में यह भी सामने आया है कि अब तक लगभग 25 मिलियन नेपाली रुपये की विदेशी फंडिंग इस नेटवर्क को मिल चुकी है। तुर्किए के संगठन इंस्पायर इंटरनेशनल का नाम इस सूची में सबसे प्रमुख है।
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