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Vaikuntha Chaturdashi 2025: वैकुंठ चतुर्दशी पर सिर्फ 52 मिनट का शुभ मुहूर्त, रवि योग में पूजा करने से बरसेगी मां लक्ष्मी की कृपा

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Vaikuntha Chaturdashi 2025: वैकुंठ चतुर्दशी का धार्मिक महत्व  



धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर वैकुंठ चतुर्दशी मनाई जाती है। इस साल मंगलवार 04 नवंबर को वैकुंठ चतुर्दशी है। सनातन धर्म में वैकुंठ चतुर्दशी का खास महत्व है। कहते हैं कि कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर भगवान विष्णु बाबा की नगरी काशी आकर देवों के देव महादेव की पूजा और साधना की थी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

  

ज्योतिषियों की मानें तो कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि यानी वैकुंठ चतुर्दशी पर पूजा के लिए सिर्फ 52 मिनट का शुभ मुहूर्त है। वहीं, वैकुंठ चतुर्दशी के दिन रवि योग समेत कई मंगलकारी संयोग बन रहे हैं। इन योग में भगवान शिव और विष्णु जी की पूजा करने से लक्ष्मी नारायण जी की विशेष कृपा बरसेगी। आइए, वैकुंठ चतुर्दशी का शुभ मुहूर्त और योग जानते हैं-
वैकुंठ चतुर्दशी शुभ योग (Vaikuntha Chaturdashi 2025 Shubh Muhurat)

ज्योतिषियों की मानें तो वैकुंठ चतुर्दशी पर सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, और अमृत सिद्धि योग समेत कई मंगलकारी संयोग बन रहे हैं। इसके साथ ही भद्रावास योग का संयोग बन रहा है। इन योग में भगवान विष्णु और शिवजी की पूजा करने से साधक को अक्षय फल मिलेगा।

  • रवि योग- सुबह 06 बजकर 08 मिनट से दोपहर 12 बजकर 34 मिनट तक
  • सर्वार्थ सिद्धि योग- 04 नवंबर को दोपहर 12 बजकर 34 मिनट से
  • अमृत सिद्धि योग- 04 नवंबर को दोपहर 12 बजकर 34 मिनट से
  • अभिजीत मुहूर्त- दिन में 11 बजकर 24 मिनट से दोपहर 12 बजकर 09 मिनट तक
  • भद्रावास- रात10 बजकर 36 मिनट से पूरी रात

वैकुंठ चतुर्दशी पूजा योग (Vaikuntha Chaturdashi 2025 Puja Yoga)

  

सनातन शास्त्रों में निहित है कि वैकुंठ चतुर्दशी पर निशिता काल में जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इसके लिए निशिता काल में भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है। वैकुंठ चतुर्दशी पर निशिता काल में पूजा के लिए सिर्फ 52 मिनट का समय है। निशिता काल देर रात 11 बजकर 39 मिनट से लेकर देर रात 12 बजकर 31 मिनट तक है। इस दौरान साधक भगवान विष्णु की भक्ति भाव से पूजा कर सकते हैं।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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