तुलसी निकेतन योजना के पुनर्विकास को लेकर जीडीए-एनबीसीसी के बीच बनी रणनीति।
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। तुलसी निकेतन योजना के भवनों के पुनर्विकास (री-डवलपमेंट) को लेकर शुक्रवार को जीडीए सभागार में वीसी अतुल वत्स की अध्यक्षता में एनबीसीसी अधिकारियों के साथ बैठक हुई, जिसमें एनबीसीसी टीम ने विस्तृत प्रस्तुतिकरण देते हुए योजना को दो चरणों में आगे बढ़ाने की रूपरेखा साझा की। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
एनबीसीसी ने बताया कि पहले चरण में प्री-फिज़िबिलिटी स्टडी की जाएगी, जिसकी रिपोर्ट आठ सप्ताह में प्राधिकरण को सौंपी जाएगी। दूसरे चरण में डीपीआर (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) पेश कर काम को आगे बढ़ाया जाएगा। स्टडी रिपोर्ट के बाद यदि एमओयू की शर्तों में बदलाव की आवश्यकता होगी तो संशोधन करते हुए आगे कार्य होगा।
संभावना है कि आगामी सप्ताह में जीडीए और एनबीसीसी के बीच एमओयू साइन हो सकता है। जीडीए वीसी अतुल वत्स ने कहा कि इस परियोजना का मकसद किसी भी तरह का राजस्व अर्जित करना नहीं है और न ही किसी परिवार को बेघर किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह योजना प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के विजन पर आधारित है कि सरकारी योजनाओं का लाभ अंतिम पायदान तक पहुंचना चाहिए।new-delhi-city-general,New Delhi City news, ,Delhi landfill clearance,MCD waste management,Ghazipur landfill,Bhalswa landfill,Okhla landfill,Delhi garbage disposal,New Delhi City waste management,Landfill remediation project,Delhi pollution control,Delhi news
1990 की है तुलसी निकेतन योजना
तुलसी निकेतन कालोनी वर्ष 1990 में बसाई गई थी। यहां 2,292 फ्लैट और 60 दुकानें हैं, जहां करीब 20 हजार से अधिक लोग निवास करते हैं। योजना में पहले से बने 2004 ईडब्ल्यूएस और 288 एलआइजी मकानों को आधुनिक सुविधाओं के साथ पुनर्विकसित किया जाएगा।
पीपीपी मॉडल पर होगी विकसित
जीडीए पीपीपी (पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप) माडल पर निजी विकासकर्ताओं के साथ मिलकर 16 एकड़ क्षेत्र में नई बहुमंजिला इमारतें बना कर लोगों के लिए आवास मुहैया कराएगा। जीडीए द्वारा कराए गए सर्वे में जर्जर हुए भवन रहने के लिए असुरक्षित मिले हैं।
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