बिहार कृषि विवि के कुलपति पर आरोप
राज्य ब्यूरो, पटना। राजद के किसान प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुधाकर सिंह द्वारा शुक्रवार को सबौर स्थित बिहार कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डा. दुनिया राम सिंह पर नियुक्ति, वित्तीय लेन-देन एवं प्रबंधन से जुड़े गंभीर अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए। उन्होंने कहा कि कृषि विभाग द्वारा इस संबंध में दो बार जांच समिति गठित की जा चुकी है, परंतु इसके बावजूद नियमों और सरकारी आदेशों की खुलेआम अवहेलना करते हुए अनेक आपत्तिजनक कार्य किए गए। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
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सुधाकर बक्सर के सांसद हैं और महागठबंधन की सरकार में कृषि मंत्री हुआ करते थे। उनका दावा है कि विश्वविद्यालय में कई स्तर पर अनियमितताएं हुई हैं। इन सभी मामलों ने बिहार कृषि विश्वविद्यालय की साख पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया है। भ्रष्टाचार और पक्षपात की इन घटनाओं ने शिक्षा एवं अनुसंधान जैसे पवित्र क्षेत्र को कलंकित किया है। जनहित और कृषि विश्वविद्यालय की साख का हवाला देते हुए उन्होंने इन सभी मामलों की उच्च-स्तरीय जांच एवं कठोर कार्रवाई की मांग की है।
प्रमुख अनियमितताएं :
- कृषि विभाग द्वारा नियुक्ति पर रोक के बावजूद कुलपति ने अपनी पुत्री अमिता सिंह को बिजनेस मैनेजर, रिश्तेदार दिव्यांशु सिंह को सहायक कुलसचिव और करीबी संजीव रमन को निदेशक (कार्य एवं संयंत्र) के पद पर नियुक्त किया।
- प्रशाखा पदाधिकारी (सेक्शन आफिसर) के पद पर अयोग्य अभ्यर्थियों को नियुक्त कर दिया गया, जबकि निदेशक (कृषि एवं संयंत्र) तथा सहायक कुलसचिव की नियुक्ति पहले ही रोक दी गई थी।
- मानव बल आपूर्ति की निविदा में भारी गड़बड़ी की गई और नियमों की अनदेखी करते हुए कुलपति के पुत्र आदर्श कुमार सिंह की कंपनी लायन फोर्स साल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड को निविदा दी गई। इस कंपनी के माध्यम से मासिक आधार पर अवैध वसूली की जा रही है।
- पूर्व में जेल भेजे गए तथा वर्तमान में उच्च न्यायालय से जमानत पर चल रहे निदेशक प्रशासन एमके वाधवानी एवं उप निदेशक प्रशासन अमित कुमार के माध्यम से लगभग 300 कृषि विज्ञानियों की नियुक्तियां की गईं। इन अधिकारियों द्वारा विश्वविद्यालय स्तर पर नीतिगत निर्णय भी लिए जा रहे हैं।
- विश्वविद्यालय जैसे सरकारी संस्थान में पेड सीट व्यवस्था लागू कर, अपने निकटस्थ छात्रों को लाभ पहुंचाया गया और मेधावी छात्रों को वंचित कर दिया गया।
- सरकार की रोक के बावजूद बोर्ड आफ मैनेजमेंट की बैठक आयोजित की गई और प्रोन्नति एवं नियुक्ति संबंधी मनमाने निर्णय लिए गए।
- कुलपति एवं उनके भतीजे डा. अनिल कुमार सिंह (निदेशक, अनुसंधान) ने मिलकर एक वर्ष के अंदर 15 से अधिक पेटेंट अपने नाम से दर्ज करा लिए। बताया जाता है कि इन पेटेंट्स के लिए अन्य विज्ञानियों के शोध कार्य का उपयोग किया गया और विश्वविद्यालय की राशि खर्च की गई। उल्लेखनीय है कि सेवा अवधि के दौरान दोनों ने कोई बड़ा प्रकाशन या पेटेंट हासिल नहीं किया था।
- इससे भी गंभीर तथ्य यह है कि कुलपति डा. दुनिया राम सिंह के विरुद्ध पूर्व में कानपुर स्थित चंद्रशेखर आजाद प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में भी एसआइटी जांच हुई थी, जिसमें उन्हें दोषी पाया गया। सरकार ने उस मामले में आपराधिक मुकदमा दर्ज करने का निर्णय लिया है।
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