deltin51
Start Free Roulette 200Rs पहली जमा राशि आपको 477 रुपये देगी मुफ़्त बोनस प्राप्त करें,क्लिकtelegram:@deltin55com

कोहड़े के फूल और रेशम कीट से बनी नयी त्वचा कै ...

deltin 2025-9-22 09:04:03 views 1035

जागरण संवाददाता, राउरकेला। विज्ञान की दुनिया में एक बड़ी सफलता मिली है। एनआईटी राउरकेला और महाराजा श्रीरामचंद्र भंज देव विश्वविद्यालय, बारिपदा के शोधकर्ताओं ने कोहड़ा के फूल और रेशम कीट से ऐसी दवा तैयार की है, जो मृत त्वचा को पुनर्जीवित कर सकती है और त्वचा कैंसर के इलाज में भी मददगार है।




विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें




इस अनोखे खोज को भारत सरकार ने पेटेंट प्रदान किया है। कोहड़ा (जिसे कुकुर्बिता मैक्सिमा भी कहते हैं) भारत में खाने-पीने और औषधि के रूप में पुरानी परंपरा रखता है।

रेशम के कीट से प्राप्त सेरिसिन नामक प्रोटीन का त्वचा की मरम्मत और कैंसर रोधी गुणों के लिए इस्तेमाल किया गया है। इस खोज में सिल्वर के नैनोकणों के साथ सेरिसिन को मिलाकर एक नई दवा विकसित की गई है। यह शोध कार्य 2012 में शुरू किया गया था।


डॉ. विस्मिता नायक (एनआईटी राउरकेला) और डॉ. देवाशीष नायक (एमएसबी विश्वविद्यालय, बारिपदा) ने मिलकर इस दवा का निर्माण किया। हाल ही में भारत सरकार ने इस खोज को पेटेंट संख्या 568887 के तहत मान्यता भी दी है।

दवा का निर्माण और खास तकनीक

इस नई दवा में मुख्य रूप से तीन चीजें शामिल हैं । सिल्वर नैनोकण, रेशम से मिलने वाला सेरिसिन प्रोटीन तथा काइटोसन। काइटोसन एक ऐसा पदार्थ है जो अम्लीय (एक तरह का खट्टा) वातावरण में अपघटित होता है।

कैंसर जैसी जगहों पर यह अम्लीय माहौल होता है, जिससे दवा धीरे-धीरे रिलीज होती रहती है। दवा को एथोसोम्स नामक माध्यम से शरीर पर लगाए जाने के लिए तैयार किया गया है, जिससे यह सीधे प्रभावित क्षेत्र पर असर करती है।


यह दवा ना केवल त्वचा कैंसर के इलाज में, बल्कि जीवाणुरोधी पट्टियाँ, घाव भरने वाली सामग्रियां, टांके लगाने के उपकरण, क्रीम और लोशन आदि में भी उपयोगी साबित हो सकती है।
भारत की पारंपरिक औषधि और आधुनिक विज्ञान का मेल

भारत में कोहड़ा खाने और औषधि दोनों तरह से पुराने समय से इस्तेमाल में है। रेशम कीट से मिलने वाला सेरिसिन भी पारंपरिक उद्योग का अवांछित हिस्सा माना जाता था, लेकिन अब इसके औषधीय गुणों को आधुनिक वैज्ञानिक तकनीक से जोड़कर नई दवा बनाई गई है।


यह शोध भारतीय विज्ञान और परंपरा का सुंदर मिला जुला रूप है।यह खोज भारत की चिकित्सा और विज्ञान के लिए बड़े सपनों की शुरुआत है। इससे न केवल त्वचा कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का उपचार आसान होगा, बल्कि देश का औषधि और फार्मा उद्योग भी मजबूत होगा।

वैज्ञानिकों की मेहनत और परंपरागत ज्ञान के साथ आधुनिक तकनीक मिलकर भविष्य की चिकित्सा को नई दिशा दे रही है।
  यह दवा त्वचा कैंसर के इलाज में प्रभावी है, जबकि यह पूरी तरह से जैव अपघटनीय और सुरक्षित भी है। इसका इस्तेमाल क्रीम या मलहम के रूप में किया जा सकता है, जिससे मरीजों को कोई कठिनाई नहीं होगी। यह शरीर के रक्त के समान ही जैव संगत है, जिससे यह हानिकारक प्रभाव नहीं फैलाती।- डॉ. देवाशीष नायक, सहायक प्रोफेसर, एमएसबी विश्वविद्यालय, बारीपदा
like (0)
deltinModerator

Post a reply

loginto write comments

Explore interesting content

deltin

He hasn't introduced himself yet.

317

Threads

0

Posts

953

Credits

Moderator

Credits
953
Random