राज्य ब्यूरो, जागरण देहरादून। राष्ट्रीय नदी गंगा की स्वच्छता एवं निर्मलता को लेकर चल रहे केंद्र के ध्वजवाहक नमामि गंगे कार्यक्रम में अब गंगा की सहायक नदियों को भी शामिल करने पर विशेष जोर है। इसी क्रम में राज्य स्वच्छ गंगा मिशन ने कसरत शुरू कर दी है और सभी जिलों से एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) और नालों की टैपिंग से संबंधित प्रस्ताव मांगे हैं। 
  
 
 
 
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 इसके अलावा हरिद्वार में वर्ष 2027 में होने वाले अर्द्धकुंभ के दृष्टिगत भी विशेष रूप से प्रस्ताव मांगे गए हैं। राज्य में नमामि गंगे कार्यक्रम के कार्यक्रम निदेशक विशाल मिश्रा के अनुसार परीक्षण के बाद ये प्रस्ताव स्वीकृति के लिए राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन को भेजे जाएंगे। 
  
 
  
  
 नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत प्रथम चरण में गंगा के उद्गम स्थल गोमुख से लेकर हरिद्वार तक के 15 शहरों को शामिल किया गया था। इसके तहत वहां एसटीपी निर्माण व नालों की टैपिंग के कार्य किए गए। इसके पीछे मंशा यही है कि गंगा में किसी प्रकार का प्रदूषित जल व गंदगी को जाने से रोका जा सके। इस पहल के सार्थक परिणाम भी आए। 
  
 प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक ऋषिकेश तक गंगा के जल की गुणवत्ता उत्तम है, जबकि हरिद्वार में भी यह सुधरी है। इसके बाद राज्य सरकार ने गंगा की सहायक नदियों को भी नमामि गंगे में शामिल करने के प्रयास किए और केंद्र ने भी इसके लिए प्रोजेक्ट स्वीकृत किए। 
  
  
  
 नमामि गंगे के तहत राज्य के 11 जिलों में अभी तक स्वीकृत 101 एसटीपी में से 70 तैयार होकर कार्य भी कर रहे हैं। शेष का निर्माण चल रहा है। इसके अलावा 170 नालों में से 137 टैप किए जा चुके हैं। 
  
 इस बीच हाल में ही राज्य के शहरी विकास सचिव नितेश झा और नमामि गंगे के कार्यक्रम निदेशक विशाल मिश्रा ने दिल्ली में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक राजीव कुमार मित्तल से मुलाकात की। इस अवसर पर राज्य में नमामि गंगे के तहत अन्य प्रस्ताव केंद्र को भेजे जाने पर सहमति बनी थी। इसी क्रम में जिलों से प्रस्ताव मांगे गए हैं। |