जनसुराज का थारू समाज को साधने की कोशिश। फोटो जागरण
विनोद राव, बगहा। वाल्मीकिनगर विधानसभा क्षेत्र में एक बार फिर थारू समाज से आने वाले नेता को चुनावी मैदान में उतारा गया है। जनसुराज पार्टी ने शिक्षक रहे दृगनारायण प्रसाद को उम्मीदवार घोषित किया है।
यह चौथी बार है, जब कोई थारू नेता इस सीट से विधानसभा चुनाव लड़ रहा है। थारू समाज की राजनीतिक भागीदारी की कमी को देखते हुए जनसुराज का यह कदम महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
2020 के विधानसभा चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की हरनाटाड़ के चंपापुर में हुई सभा में थारू नेताओं ने स्पष्ट रूप से प्रतिनिधित्व की मांग उठाई थी। थारू समाज के कई नेता चुनावी मैदान में भी उतरे, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
भारतीय थारू कल्याण महासंघ के पूर्व अध्यक्ष दीप नारायण प्रसाद महतो ने दो बार निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में विधानसभा चुनाव लड़ा। 2010 में उन्हें 14,047 वोट मिले और वे पांचवें स्थान पर रहे।
2015 में उनका प्रदर्शन और भी कमजोर रहा, उन्हें मात्र 8,355 वोट मिले। 2020 में जन अधिकार पार्टी से सुमंत कुमार मैदान में उतरे और 18,049 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे।
हर चुनाव में थारू नेताओं पर सभी की नजर
पश्चिम चंपारण जिले के वाल्मीकिनगर, रामनगर, नरकटियागंज और सिकटा विधानसभा चुनावों में थारू समाज निर्णायक भूमिका निभाती रही है।
जिले के 214 राजस्व गांवों में लगभग 2.57 लाख थारू निवास करते हैं। चुनावी समीकरणों में यह समाज बार-बार अहम बनकर उभरा है, लेकिन अब तक उचित राजनीतिक प्रतिनिधित्व से वंचित रहा है।
जदयू में थारू नेताओं को दी गई प्रमुख जिम्मेदारी
हाल ही में थारू समाज के प्रमुख नेता और पूर्व लोकसभा प्रत्याशी शैलेन्द्र गढ़वाल को अनुसूचित जनजाति आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।
उनके साथ आदिवासी समाज से आने वाले सुरेंद्र उरांव को उपाध्यक्ष बनाया गया, जबकि एनडीए गठबंधन ने प्रेमशीला को आयोग का सदस्य मनोनीत किया है।
इन नियुक्तियों से वाल्मीकिनगर विधानसभा क्षेत्र के दोनों प्रभावशाली समुदायों थारू और आदिवासी में उत्साह है। थारू समाज ने सरकार का आभार जताते हुए इस निर्णय को विकास की दिशा में उम्मीद की किरण बताया है।आयोग में इन नियुक्तियों को एनडीए की चुनावी तैयारी और जनसमर्थन साधने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। |
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