अजब अफसरशाही, 36 दिन में तीन किमी नहीं पहुंच पाया हाईकोर्ट का आदेश
जागरण संवाददाता, हापुड़। प्रशासनिक अव्यवस्था का उदाहरण तहसीलदार सदर के आफिस की संवेदनशीलता से देखा जा सकता है। एसडीएम और तहसीलदार द्वारा हाईकोर्ट के आदेश को भी गंभीरता से नहीं लिया गया। स्थिति यह रही कि तहसीलदार के कार्यालय से डीएम आफिस तक हाईकोर्ट का आदेश 36 दिन में भी नहीं पहुंच पाया, जबकि डीएम आफिस से तहसीलदार के यहां तक दो दिन में ही पहुंच गया था। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
अब इस मामले में लिपिक को सस्पेंड करके जिम्मेदार अधिकारियों को तो बचा लिया गया, लेकिन विचारणीय पहलू यह है कि जो तहसीलदार हाईकोर्ट के आदेश पर गंभीर नहीं हैं, वह आमजन की समस्याओं को कैसे लेते होंगे।
तहसील के अधिकारियों की लापरवाही के कारण उच्च न्यायालय के आदेशों का पालन जिले में 36 दिन तक नहीं हो सका। इस मामले में स्वयं को फंसता देख अधिकारियों ने लिपिक संजीव कुमार को निलंबित कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली। जबकि, जिन अधिकारियों को वाट्सएप के माध्यम से न्यायालय के आदेश की जानकारी दी गई।
उनकी जिम्मेदारी ही तय नहीं की गई। उनपर किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं हुई। इस लापरवाही के कारण मंगलवार को डीएम अभिषेक पांडेय हाईकोर्ट न्यायालय में पेश हुए थे। उन्होंने रिपोर्ट प्रस्तुत न करने के कारणों सहित एक हलफनामा दायर किया। अब संबंधित मामले में 29 अक्टूबर को सुनवाई होगी।
अमतुल बतूल, आसिफ और अन्य के मामले में 2022 में 1.747 हेक्टेयर भूमि से संबंधित एक रिट हाईकोई में विचाराधीन है। इस मामले में लगातार सुनवाई जारी है। न्यायालय ने बीते 12 अगस्त को सुनवाई करते समय जिला प्रशासन को चार सप्ताह के भीतर अपेक्षित रिपोर्ट देने के निर्देश दिए थे। सुनवाई के लिए नौ सितंबर को मामला सूचीबद्ध किया था।new-delhi-city-crime,Swami Chaitanyananda Saraswati,Delhi institute director harassment case,sexual harassment allegations Delhi,female students complaints,WhatsApp chats reveal harassment,student safety Delhi institute, Delhi News,Delhi news
इसके साथ ही आदेश दिया था कि यदि अगली तिथि यानि 19 सितंबर कसे रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की जाती है तो न्यायालय के पास अगली तिथि 23 सितंबर को डीएम को तलब करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा।
इस मामले में सामने आया कि 12 अगस्त को ई-मेल के माध्यम से न्यायालय के आदेश की जानकारी डीएम आवास पर दी गई। इसके बाद डीएम कार्यालय से मामले में रिपोर्ट के लिए एडीएम, एसडीएम और तहसीलदार को अगले दिन तक वाट्सएप व अन्य माध्यम से जानकारी दी गई।
इस मामले में एक लिपिक को सस्पेंड करके अधिकारियों की लापरवाही को दबाने का प्रयास किया गया। इसके बाद भी 19 सितंबर तक रिपोर्ट नहीं भेजी गई। इस कारण मंगलवार को स्वयं डीएम को हाईकोर्ट में पेश होना पड़ा।
इस मामले में न्यायालय का पहला आदेश मार्च-24 में आया था। अधिकारियों के बदल जाने के कारण हमको उसकी जानकारी नहीं थी। अब 12 अगस्त को हाईकोर्ट के आदेश की जानकारी अधिवक्ता के माध्यम से भेजी गई। उसकी पत्रावली तैयार करके लिपिक द्वारा प्रस्तुत नहीं की गई। जिसके चलते उसको सस्पेंड किया गया है। किसी अधिकारी की लापरवाही नहीं है। अब पूरा मामला संभाल लिया गया है। - स्वाति गुप्ता-तहसीलदार सदर |