मलबा निस्तारण संयंत्र की क्षमता बढ़ाने की योजना। फाइल फोटो
जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली। यमुनापार में सड़कों के किनारे मलबा पड़ा रहने की समस्या को दूर करने के लिए शास्त्री पार्क स्थित मलबा निस्तारण संयंत्र की क्षमता दोगुना की जा सकती है। इसके लिए नगर निगम की पर्यावरण प्रबंधन सेवाएं समिति ने मंथन शुरू कर दिया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
संयंत्र की क्षमता बढ़ाने की संभावना तलाशी जा रही हैं। समिति के सदस्यों का मानना है कि निस्तारण तेज करके ही समस्या का समाधान निकाला जा सकता है।
निगम के शाहदरा दक्षिणी और शाहदरा उत्तरी जोन के इलाकों से रोज 2500 से 3000 टन मलबा निकल रहा है। इसे लोग सड़क किनारे डाल कर चले जाते हैं। यमुनापार में शास्त्री पार्क में नगर निगम का एक मलबा निस्तारण संयंत्र लगा है, जिसे निजी एजेंसी संचालित करती है।
इस संयंत्र की मलबा निस्तारण की क्षमता मात्र 1000 टन प्रति दिन है। ऐसे में 1500 से 2000 मलबा सड़कों पर हर वक्त पड़ा रहता है। क्योंकि इसके निस्तारण की व्यवस्था नहीं है। जबकि शास्त्री पार्क संयंत्र की क्षमता बढ़ाने के लिए वहां पर पर्याप्त स्थान है।
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अब जब परेशानी ज्यादा बढ़ती दिख रही है तो निगम के पर्यावरण प्रबंधन सेवाएं समिति न इस दिशा में प्रस्ताव बनाने का काम शुरू किया है। समिति संयंत्र की क्षमता बढ़ाकर दो हजार टन करने पर काम कर रही है।
सड़क पर लगता जाम, उड़ती है धूल
मलबा सड़क पर पड़ा होने से एक नहीं कई समस्याएं होती हैं। सड़क किनारे मलबा डाले जाने के कारण पत्थर व रोड़ी वाहनों के टायरों के नीचे आकर दुर्घटना की आशंका को बढ़ाती है। खासतौर पर दोपहिया वाहन चालकों के लिए यह स्थिति सबसे ज्यादा खतरनाक है। यही नहीं हवा चलने पर मलबे की धूल उड़ कर वायु प्रदूषित करती है।
शास्त्री पार्क संयंत्र में मलबा निस्तारण की स्थिति
माह मलबा उठाया (टन) मलबा निस्तारण (टन)
जनवरी
21539
24233
फरवरी
30348
25134
मार्च
29758
28065
अप्रैल
30672
26851
मई
32158
25495
जून
29658
27469
जुलाई
29158
22314
अगस्त
26491
17514
मलबे की समस्या का निदान खोजा जा रहा है। जिस तरह से ओखला में एक नया मलबा निस्तारण संयंत्र बनना प्रस्तावित है। उसी तरह शास्त्री पार्क संयंत्र की क्षमता बढ़ाने की संभावना तलाश रहे हैं।
-संदीप कपूर, चेयरमैन, पर्यावरण प्रबंधन सेवाएं समिति |