राज्य ब्यूरो, पटना। एनडीए में लोजपा (रामविलास) का विवाद महज इसलिए नहीं सुलझ रहा है कि उसे अधिक सीटें चाहिए। विवाद की जड़ उसकी उन सीटों की मांग है, जिनपर पिछले चुनाव में जदयू की जीत हुई थी या उसके उम्मीदवार दूसरे नम्बर पर थे। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
बेगूसराय की मटिहानी विधानसभा से विवाद की शुरुआत है। 2020 में मटिहानी से लोजपा टिकट पर राजकुमार सिंह जीते थे। वे जदयू में शामिल हो गए। जदयू इसे अपनी जीती हुई सीटों में जोड़ता है। इसी तरह खगड़िया जिले की अलौली और परबत्ता विधानसभा सीटें हैं। परबत्ता में जदयू की जीत हुई थी।
अलौली में उसके उम्मीदवार दूसरे नम्बर पर थे। चिराग पासवान अलौली से किसी स्वजन को उम्मीदवार बनाना चाहते हैं। वैशाली जिले की राजापाकर और महनार पर भी लोजपा (रा) का दावा है। जदयू अपने प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा को महनार से लड़ाना चाहता है। कुशवाहा पिछली बार दूसरे नम्बर पर थे।
इसी तरह, राजापाकर में कम वोटों के अंतर से जदयू की हार हुई थी। समस्तीपुर जिले की कल्याणपुर और दरभंगा की कुशेश्वरस्थान सीट जदयू की जीती हुई है। लोजपा (रा) का दोनों पर दावा है। जमुई जिले की दो सीटें-चकाई और सिकंदरा भी लोजपा (रा) की सूची में है।
चकाई के निर्दलीय विधायक सुमित कुमार सिंह ने नीतीश कुमार की सरकार का समर्थन किया था। वह मंत्री भी हैं। सिकंदरा पर अभी हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा के पास है। मोर्चा भी सीट छोड़ने के मूड में नहीं है।
यह भी पढ़ें- Bihar Politics: 1 दिन में 2 सियासी \“खेल\“, पारस और नीतीश को लगा झटका; भाजपा और राजद को हुआ फायदा
यह भी पढ़ें- Bihar Politics: 105 प्रत्याशियों के साथ चुनावी मैदान में उतरेगी JDU! नीतीश कुमार ने फाइनल की लिस्ट |