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साइबर ठगी के लिए गिरोह को देते थे बैंक खाते, नोएडा पुलिस ने लखनऊ और उन्नाव से 10वीं पास तीन शातिर दबोचे

deltin33 2025-10-9 16:06:27 views 920

  

साइबर थाना पुलिस की गिरफ्त में आरोपित। सौ. मीडिया सेल



जागरण संवाददाता, नोएडा। शेयर ट्रेडिंग में निवेश पर कमाई का झांसा देकर पीड़ित से 3.26 करोड़ रुपये की ठगी करने वाले गिरोह के तीन सदस्यों को साइबर क्राइम पुलिस ने गिरफ्तार किया है। तीनों आरोपित गिरोह को ठगी के लिए बैंक खाते उपलब्ध कराते थे। तीनों शातिर दसवीं कक्षा पास कर चुके हैं। पुलिस ने इनके मोबाइल की जांच शुरू कर दी है। आरोपित सन्नी की लखनऊ में गिट्टी और मोरंग की दुकान है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें


एडीसीपी साइबर शैव्या गोयल ने बताया कि 12 जून को रेट फाइन इंवेस्टमेंट लिमिटेड कंपनी के कर्मचारी बनकर शातिरों ने सेक्टर-27 के व्यक्ति को शेयर मार्केट में निवेश कर कमाई का लालच दिया था। उन्हें जाल में फंसाकर कई बार में तीन करोड़ 26 लाख रुपये विभिन्न खातों में जमा करा लिए।

साइबर टीम ने मुकदमा दर्ज कर जांच की तो गिरोह की पहचान करने में सफलता मिली। तुरंत टीम ने ठगी के खेल में उपयोग होने वाले बैंक खातों को फ्रीज करा दिया। इनमें ठगी की रकम भी थी। उन्होंने साइबर क्राइम थाने की टीम का गठन किया । थाना प्रभारी रंजीत सिंह के साथ टीम ने गिरोह को बैंक खाते उपलब्ध कराने वाले तीन आरोपित हत्थे चढ़ गए।


इनमें लखनऊ के सरोजनी नगर का सन्नी कुमार, बंथरा थानाक्षेत्र का दुर्गेश कुमार और सोहरामऊ उन्नाव निवासी विकास कुमार शामिल है। तीनों को उनके गृह जनपद से ही दबोचा गया है। पूछताछ में सन्नी कुमार ने कबूला कि उसने अपने साथियों के साथ मिलकर ठगी के दौरान 23 लाख रुपये की रकम बैंक खाते में प्राप्त की थी।

इस राशि को निकालकर दिल्ली के दूसरे साथी विकास को दे दी। बाद में विकास ने एक लाख रुपये सन्नी को दिए गए जबकि एक बाकी धनराशि का बंटवारा सन्नी ने दुर्गेश और विकास कुमार के साथ मिलकर किया। इस तरह शातिरों ने धोखाधड़ी व ठगी की रकम को बैंक खातों में लेकर उससे जमकर मौज मस्ती की थी। उनके मुताबिक इस मामले में पहले ही गिरोह के नौ आरोपित गिरफ्तार किए जा चुके हैं। अब पुलिस की टीम इनके खातों में हुई तमाम ट्रांजेक्शन का पता करने के लिए बैंक से डिटेल मंगा रही है।




ट्रांजेक्शन पर फिक्स था 20 से 50 हजार का कमीशन

एसएचओ रंजीत सिंह ने बताया कि शातिर अन्य सदस्यों से होने वाली ठगी की ट्रांजेक्शन पर 20 से 30 हजार रुपये कमीशन फिक्स करते थे। बाकी जैसे-जैसे ठगी का आकार होता था। उसी हिसाब से कमीशन वसूल करते थे। टीम को शक है कि शातिरों से विभिन्न बैंकों का कोई सदस्य भी जुड़ा हो सकता है, जिसे इनके खातों की भनक ताे थी। लेकिन, किसी ने कभी जांच नहीं की थी।

शक है कि गिरोह के सदस्य ठगी की रकम को क्रिप्टो करेंसी या गिफ्ट कार्ड के जरिये विदेशों में पहुंचा देते होंगे। पुलिस का कहना है कि आरोपित सन्नी कुमार की लखनऊ में गिट्टी और मोरंग की दुकान है जबकि दुर्गेश ट्रक चलाता है और विकास डीजे संचालक है। गिरोह का सबसे पहले संपर्क विकास से हुआ था। उसी ने सन्नी को इसके बारे में बताया और विभिन्न खातों का ठगी में इस्तेमाल किया।
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