बिहार चुनाव: महागठबंधन में सीट बंटवारे पर कांग्रेस ने बढ़ाया दवाब
अरविंद शर्मा, जागरण नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव के अंतिम परिणाम आने में अब महज पांच सप्ताह बचे हैं, लेकिन महागठबंधन का समीकरण अभी भी उलझा हुआ है। छोटे सहयोगी दलों की बड़ी मांगों ने बड़े दलों के लिए स्थिति को जटिल बना दिया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
ऐसे में सीट बंटवारे को लेकर बातचीत का दौर लगातार जारी है। इस बीच कांग्रेस ने बुधवार को दिल्ली में सोनिया गांधी की मौजूदगी में वर्किंग कमेटी की बैठक कर अपने हिस्से की संभावित सीटों में से 25 प्रत्याशियों के नाम तय कर दिए हैं।
कांग्रेस का यह कदम न सिर्फ सीट बंटवारे को लेकर राजद पर दबाव बढ़ाने वाला है, बल्कि यह संकेत भी देता है कि यदि उसकी शर्तों पर सहमति नहीं बनती है तो वह पहले चरण की सीटों पर अपने प्रत्याशियों की एकतरफा घोषणा कर सकती है। साझा घोषणा तभी संभव होगी जब सीट बंटवारे पर सहमति बन जाएगी।
रणनीतिक दबाव बनाकर संभावनाओं की जमीन तैयार कर रही कांग्रेस
जाहिर है, कांग्रेस ने रणनीतिक दबाव बनाकर संभावनाओं की जमीन तैयार कर रखी है, जबकि राजद के लिए हर कदम पर संतुलन साधना अब बड़ी चुनौती बन गया है।दिल्ली में हुई कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में विस्तार से चर्चा हुई। बैठक का मुख्य फोकस यह रहा कि कांग्रेस अपनी राजनीतिक स्थिति को सिर्फ सहयोगी दल तक सीमित न रखे, बल्कि गठबंधन में निर्णायक भूमिका निभाए।
शीर्ष नेतृत्व ने इस बात पर जोर दिया कि पार्टी को अपनी सीटों पर निर्णय लेने की स्वतंत्रता बरकरार रखनी चाहिए, हालांकि सहयोगियों के साथ तालमेल बनाए रखना भी उतना ही जरूरी है।
संभावित सीटों पर पार्टी के भीतर विमर्श पूरा
बैठक के बाद कांग्रेस विधायक दल के नेता शकील अहमद खान ने बताया कि अपने हिस्से की संभावित सीटों पर पार्टी के भीतर विमर्श पूरा हो चुका है और कई सीटों पर अंतिम मुहर भी लग गई है। महागठबंधन में सीट बंटवारे और मुख्यमंत्री चेहरे की संयुक्त घोषणा 11 अक्टूबर को हो सकती है।
वहीं कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) के सदस्य और किशनगंज सांसद मोहम्मद जावेद ने पुष्टि की कि 25 सीटों पर शीर्ष स्तर पर सहमति बन चुकी है।
19 में 17 विधायकों को फिर से टिकट मिलने का भरोसा
कांग्रेस अपने पुराने विधायकों पर भरोसा बरकरार रखते हुए 19 में से 17 विधायकों को दोबारा टिकट देने की तैयारी में है।उधर, राजद नेता तेजस्वी यादव पहले से ही विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) की ऊंची सीट दावेदारी से असहज हैं। अब कांग्रेस के आक्रामक रुख ने उनकी चुनौती और बढ़ा दी है।
अभी महागठबंधन में नहीं हुआ सीटों का बंटवारा
माना जा रहा है कि अगर महागठबंधन के भीतर सहमति नहीं बनती है तो इस गतिरोध को दूर करने के लिए सोनिया गांधी और लालू प्रसाद को हस्तक्षेप करना पड़ सकता है। सूत्रों के अनुसार राजद के हिस्से में पशुपति पारस की पार्टी, वामदलों और झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) को समायोजित करने की जिम्मेदारी है। वहीं कांग्रेस एक नए सहयोगी आईपी गुप्ता की पार्टी को महागठबंधन में शामिल करने के प्रयास में है, जिससे उसके हिस्से का बोझ और बढ़ गया है।
मुकेश सहनी की डिप्टी सीएम पद की मांग पर फंसा पेच
पिछले कुछ दिनों में राजद, कांग्रेस, वीआईपी और वामदलों के बीच सीटों के अनुपात को लेकर कई दौर की बैठकें हो चुकी हैं। सूत्रों का दावा है कि वीआईपी को 20 सीटें और माले समेत सभी वामदलों को कुल 35 सीटें देने पर सहमति बन चुकी है। पेच मुकेश सहनी की डिप्टी सीएम पद की मांग पर है।
साथ ही कांग्रेस की मांग पर भी, जो अब 70 सीटों से घटकर 55-60 सीटों पर अड़ी हुई है, जबकि राजद का प्रयास कांग्रेस को इससे भी नीचे लाने का है। दोनों दलों के बीच मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर भी स्थिति अब तक स्पष्ट नहीं हो सकी है। |