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आध्यात्मिक मोक्ष चाहने वालों के लिए है गुप्त नवरात्र, मंत्र जाप से करें दैवीय शक्तियों का अनुभव

deltin33 2025-10-9 04:05:14 views 284

  

Gupt Navratri 2025: सार्वजनिक उत्सव के बिना शांति के साथ मंत्रों का जाप किया जाता है।  



धर्म डेस्क, नई दिल्ली। माघ और आषाढ़ की गुप्त नवरात्र वही समय होता है, जिसमें आप खुद को जान सकते हैं। आध्यात्म की गहरी परतों और शक्ति यानी मां के विभिन्न आयामों को जान सकते हैं। इसमें कोई प्रदर्शन नहीं होता है और कोई पूर्णता नहीं होती है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

गुप्त नवरात्र का अवसर बाहरी दुनिया को दिखाने के लिए नहीं है, बल्कि आपकी आत्मा को जगाने के लिए है। यह उस पवित्र स्त्रीत्व ऊर्जा के लिए है, जो शोर-शराबे से दूर है। आपने शारदीय और चैत्र नवरात्र को देखा होगा, सुना होगा उत्सव को महसूस भी किया होगा। बड़े धूमधाम से और प्रथाओं के साथ उसे मनाया जाता है।
अलग होते हैं गुप्त नवरात्र

मगर, गुप्त नवरात्र इससे बिल्कुल अलग होती हैं। ज्यादातर साधक, तांत्रिक और वो लोग, जो आंतरिक सुख पाना चाहते हैं, जो अपनी आत्मा में झांकना चाहते हैं, जो अपनी आत्मा को परमात्मा से मिलना चाहते हैं, जो आत्मज्ञान को प्राप्त करना चाहते हैं और जिनमें आत्मबोध को जानने की जिज्ञासा होती है, वो इस समय साधना करते हैं।

सार्वजनिक उत्सव के बिना शांति के साथ मंत्रों का जाप किया जाता है। यज्ञ की वेदी में हवन की आहूतियां देते हुए मां दुर्गा और उनके स्वरूपों की आराधना की जाती है। अपने डर, गुस्से, खालीपन, भ्रम को दूर करके खुद को सम में जानने का यह समय होता है।

  
गुप्त नवरात्र पवित्र क्यों होते हैं

गुप्त नवरात्र को छुपाया नहीं गया है। इसे पवित्र रखा गया है, क्योंकि सभी बदलाव देखने या दिखाने के लिए नहीं होते, कुछ बदलाव महसूस करने के लिए होता है। कुछ बदलाव प्रकाश में नहीं होते हैं। उनके लिए हमें अंधकार की जरूरत होती है।

गुप्त नवरात्र में बाहरी पूजा की जरूरत नहीं होती। बाहरी दिखावे की जरूरत नहीं होती। यह आत्म शुद्धि का समय होता है। खुद को जानने का समय होता है और 10 महाविद्याओं को पाने का समय होता है।

इसके लिए एकांत में मंत्र जाप करने, साधना करने, ध्यान करने और तपस्या करने की जरूरत होती है। यह समय शक्ति के विभिन्न आयाम को गहराई से जानने के लिए आत्मा के जागरण का समय होता है।
इच्छापूर्ति के लिए नहीं है गुप्त नवरात्र

चैत्र और शारदीय नवरात्र से अलग गुप्त नवरात्र का समय सांसारिक इच्छाओं की पूर्ति का नहीं होता है। यह आध्यात्मिक जागरूकता का समय होता है। गुप्त नवरात्र में किसी मनोकामना की पूर्ति किसी वर को पाने के लिए कोई आशीर्वाद पाने के लिए व्रत-उपवास नहीं किया जाता है।

इस दौरान सार्वजनिक रूप से लोगों को दिखाने के लिए नृत्य, संगीत आदि का सहारा नहीं लिया जाता है। गुप्त नवरात्र में सिर्फ आप, आपकी सांसें और वह अंधकार होता है, जहां एकांत में बैठकर आप शक्ति की आराधना करते हैं। क्या आप उस अंधकार में दिव्यता को देख पाते हैं।

यह समय पूर्व जन्मों में किए गए पापों से मुक्ति पाने का होता है। यह समय मानसिक शक्तियों को जगाने का होता है। इस समय चंद्रमा की स्थिति के वजह से आत्मा का झुकाव खुद को जानने का होता है।
गुप्त नवरात्र कौन मनाते हैं

गुप्त नवरात्र का समय आध्यात्मिक मोक्ष को पाने की इच्छा रखने वाले तांत्रिकों के लिए शुभ होता है। अद्वैत के जरिए आध्यात्मिक मोक्ष को पाने की इच्छा रखने वाले साधक इस समय साधना करते हैं।

सिद्धियां यानी धार्मिक शक्तियों को पाने के लिए गंभीर साधना करने वाले साधकों के लिए यह समय पवित्र होता है।

दिव्य स्त्रीत्व शक्ति, अंधकार और स्वयं की गहरी परतों को जानने की कोशिश करने वाले साधकों के लिए यह समय पवित्र होता है।

यह नौ रातें उन लोगों के लिए पवित्र होती हैं जो अपने डर, लगाव, अहंकार और भ्रम का सामना करना चाहते हैं और उसे देवी की वेदी पर जला देना चाहते हैं।

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आप कैसे मना सकते हैं गुप्त नवरात्र

इसके लिए आपको किसी गुरु की जरूरत नहीं है। आप रोज कुछ समय भले ही 15 मिनट के लिए एकांत में बैठें।

माता रानी के सामने एक दीपक जलाएं और हर रात कुछ समय उनकी शरण में, उनके सानिध्य में बिताएं।

नवार्ण मंत्र ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे का जाप करें। इनकी विषम संख्या 1,3,5 माला का जापा करें।  

रोज एक महाविद्या के बारे में पढ़ें और उस तैयारी के जरिए, दैवीय शक्ति को महसूस करें। मां कल्याण करेंगी।  

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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