Kalashtami 2025 Date: कालाष्टमी का धार्मिक महत्व
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। कार्तिक का महीना बेहद खास होता है। इस महीने में जगत के पालनहार भगवान विष्णु योग निद्रा से जागृत होते हैं। इस शुभ अवसर पर देवउठनी एकादशी मनाई जाती है। इसके अगले दिन तुलसी विवाह होता है। इस दिन से सभी प्रकार के शुभ कार्य किए जाते हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
इसके साथ ही कार्तिक महीने में कई प्रमुख व्रत-त्योहार मनाए जाते हैं। इस माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव देव की पूजा की जाती है। काल भैरव देव की पूजा करने से हर परेशानी दूर हो जाती है। आइए, कार्तिक माह में पड़ने वाली कालाष्टमी के बारे में सबकुछ जानते हैं-
कालाष्टमी व्रत शुभ मुहूर्त (Kalashtami Vrat Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, 13 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 24 मिनट पर कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत होगी। वहीं,14 अक्टूबर को सुबह 11 बजकर 09 मिनट पर अष्टमी तिथि का समापन होगा। इस प्रकार 13 अक्टूबर को कालाष्टमी मनाई जाएगी।
कालाष्टमी व्रत शुभ योग (Kalashtami Vrat Shubh Yog)
ज्योतिषियों की मानें तो कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर शिव योग का संयोग बन रहा है। इसके साथ ही रवि और शिववास योग का भी संयोग बन रहा है। इन योग में काल भैरव देव की पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होगी।
शिववास योग
कालाष्टमी के दिन शिववास योग का संयोग दिन भर है। इस योग का संयोग दोपहर से बन रहा है। इस योग में जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण और शिवजी की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होगी।
पंचांग
- सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 21 मिनट पर
- सूर्यास्त - शाम 05 बजकर 53 मिनट पर
- चन्द्रोदय- देर रात 11 बजकर 20 मिनट पर
- चंद्रास्त- दोपहर 01 बजकर 04 मिनट पर
- ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 41 मिनट से 05 बजकर 31 मिनट तक
- विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 03 मिनट से 02 बजकर 49 मिनट तक
- गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 53 मिनट से 06 बजकर 18 मिनट तक
- निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 42 मिनट से 12 बजकर 32 मिनट तक
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