100 रुपये रिश्वत के झूठे केस में फंसे थे जागेश्वर प्रसाद अवधिया (प्रतीकात्मक तस्वीर)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सन 1986 में 100 रुपये रिश्वत के झूठे केस में फंसते ही जागेश्वर प्रसाद अवधिया की दुनिया ही बदल गई। दफ्तर, आस-पड़ोस, समाज में इज्जत चली गई। शर्म से बाहर निकलना मुश्किल हो गया।
वेतन आधा रह गया। घर के खर्च चलाना टेडी खीर साबित होने लगा। बच्चों की पढ़ाई छूट गई। पत्नी बीमारी में चल बसी।
उस दिन को याद करते हुए जागेश्वर बताते हैं कि उनकी जेब में 50-50 रुपये के दो नोट जबरन घुसेड़ दिए गए। जब तक वह सामने वाले को रोक पाते, लोकायुक्त की टीम आ गई। आसपास भीड़ जमा हो गई।noida-local,Noida news,UP RERA e-court,grievance redressal,real estate, regulatory authority,online complaint system,virtual hearings,property dispute resolution,Uttar Pradesh RERA,RERA Act,consumer complaints,Uttar Pradesh news विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
किसी ने ताना मारा, तो किसी ने उंगली उठाई। यह सब हो रहा था, लेकिन उस समय उनका शरीर ठंडा पड़ गया, जड़ हो गया। कोई प्रतिक्रिया ही नहीं दे पा रहे थे। 39 साल अदालतों में पेशियां लगाते-लगाते जवानी से बुढ़ापा आ गया।
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