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यूपी के आलू किसानों के लिए अच्छी खबर: पंजाब में फसल में देरी से मुनाफा की उम्मीद! दिवाली से पहले रेट बढ़ने के आसार

LHC0088 2025-10-7 20:06:29 views 1026

  प्रस्तुतीकरण के लिए सांकेतिक तस्वीर का प्रयोग किया गया है।





जागरण संवाददाता, आगरा। कर्नाटक के हासन की आलू की फसल की आवक अगस्त में हुई थी, जिसके बाद स्थानीय आलू की मांग दक्षिण भारत की मंडी में घट गई थी। निकासी घटने से बाजार पर दबाव पड़ रहा था और अक्टूबर में पंजाब की बड़ी फसल आना प्रस्तावित थी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

बाढ़ और वर्षा के कारण पंजाब में आलू की बोआई एक महीना पिछड़ गई है। अब 15 सितंबर से बोआई शुरू हुई, जिससे नवंबर के अंतिम सप्ताह तक फसल बाजार में आएगी। वहीं फर्रुखाबाद, कन्नौज में होने वाली अगैती आलू की फसल भी वर्षा के कारण नहीं लगी है।



ऐसे में स्थानीय आलू को एक महीना अधिक बाजार मिलेगा। मूल्यों के बढ़ने की आस से किसान आलू रोके हुए हैं और अभी बीज भी निकलना नहीं शुरू है। मूल्य अभी 1000 रुपये से 1600 रुपये प्रति कुंतल है और बढ़ने की उम्मीद से 46 प्रतिशत निकासी मंडल के शीतगृह से हुई है।
आगरा मंडल के आलू की लंबे समय से घटी थी मांग

जिले में 74 हजार हेक्टेयर में आलू का उत्पादन होता है और शीतगृह में भंडारित स्थानीय आलू की निकासी 54 प्रतिशत ही हुई है, जो गत वर्ष की तुलना में पांच से सात प्रतिशत तक कम है।



किसानों को थोक बाजार में 450 रुपये प्रति पैकेट से 700 रुपये प्रति पैकेट (प्रति 50 किलोग्राम) आलू मूल्य गत माह तक मिल रहा था।

फिलहाल मूल्य 800 रुपये प्रति पैकेट तक मूल्य पहुंच गए हैं।

फसल पर भी किसानों को 700 से 800 रुपये प्रति पैकेट मूल्य मिल रहा था।

इसमें शीतगृह भाड़ा 130 रुपये प्रति पैकेट भी जुड़ गया है।

निकासी घटने का कारण किसान पिछले दिनों हरी सब्जियों का सस्ता होना और पश्चिम बंगाल में वहां होने वाले आलू का अधिक भंडारण होना बताते हैं।



हासन की फसल की आवक भरपूर रही, जिससे दक्षिण भारत की मंडियों में अभी तक आगरा के आलू की मांग घटी हुई है। बरारा के किसान डा. हर्ष वर्धन बताते हैं कि पंजाब की फसल अक्टूबर मेंं आ जाती है। इस बार बोआई देरी से हुई, जिससे फसल एक महीना देरी से आएगी। इस बीच स्थानीय आलू को विभिन्न मंडियों में बाजार मिल सकेगा। दीपावली के आसपास मांग बढ़ेगी और मूल्य भी बढ़ने की उम्मीद है।

खंदौली के किसान अमर सिंह बताते हैं कि पंजाब के आलू को देरी होने से स्थानीय आलू का मूल्य बढ़ने की उम्मीद जगी है। इसलिए फिलहाल 1800 पैकेट भंडारित है, जो दीपावली बाद निकालेंगे।




15 से 20 प्रतिशत बीज की जल्द होगी निकासी



मंडलभर में भंडारित आलू में से 54 प्रतिशत निकासी हुई है। भंडारित 46 प्रतिशत आलू में से 15 से 20 प्रतिशत आलू बीज में प्रयोग होगा। सप्ताहभर में इसकी निकासी रफ्तार पकड़ लेगी तो दीपावली बाद बोआई पूरी होगी। वहीं बचा हुआ 26 प्रतिशत आलू में से तीन से चार प्रतिशत छोटा आलू और हरा होगा, लेकिन 22 प्रतिशत आलू संकट बन सकता है।


बाजार में 20 से 25 रुपये किलोग्राम है भाव

सिकंदरा फल एवं सब्जी मंडी में 10 से 14 रुपये प्रति किलोग्राम आलू का मूल्य है। वहीं फुटकर बाजार में 20 रुपये से 25 रुपये प्रति किलोग्राम तक भाव मिल रहा है।
गत वर्ष 1500 रुपये प्रति पैकेट तक पहुंचे थे मूल्य

वर्ष 2023 में आलू का उत्पादन अधिक था और साढ़े पांच करोड़ पैकेट भंडारित हुए थे, लेकिन वर्ष 2022 में प्रति पैकेट 350 रुपये से 400 रुपये तक किसानों को खेत पर मूल्य मिला था। अधिकांश किसानों ने भंडारण कर लिया था। वहीं गत वर्ष मूल्यों ने रफ्तार पकड़ी थी। एक महीने 1500 रुपये प्रति पैकेट तक भाव पहुंच गए थे। किसानों को इस बार भी ऐसी ही उम्मीद थी, लेकिन मूल्य वृद्धि नहीं हो रही है। इसलिए निकासी भी धीमी है।



अभी तक 55 से 57 प्रतिशत निकासी हुई है। इसी महीने में जो मूल्य वृद्धि, निकासी होनी है हो जाएगी। वहीं पंजाब के आलू के देर होने से आलू को अभी मूल्य मिल रहा है। नहीं तो और बुरी स्थिति हो सकती थी। निकासी में निरंतरता रखनी होगी। बीज की निकासी भी सप्ताहभर में रफ्तार पकड़ लेगी। भुवेश अग्रवाल, अध्यक्ष, आगरा कोल्ड स्टोरेज आनर्स एसोसिएशन


आलू निकासी धीमी गति से हो रही है। इसमें रफ्तार लाने की जरूरत है, नहीं तो आलू फंस जाएगा। पंजाब की फसल एक महीने देरी से आएगी, जिससे किसानों को मूल्य वृद्धि की उम्मीद है। विजय गुप्ता, शीतगृह संचालक



कर्नाटक के हासन की फसल ने स्थानीय आलू की मांग घटाई थी। अभी शीतगृह से 57 प्रतिशत ही निकासी हुई है। पंजाब की फसल में देरी से हमें बाजार अधिक समय तक मिलेगा, लेकिन फिर भी निकासी में निरंतरता जरूरी है। युवराज परिहार, किसान, शमसाबाद


आगरा मंडल के शीतगृह में भंडारित आलू की 44 से 46 प्रतिशत निकासी हुई है। गत वर्ष की तुलना में पांच से सात प्रतिशत कम है। किसानों को आलू निकासी धीमी नहीं करनी चाहिए। पंजाब की फसल आने में बाढ़ के कारण देरी होगी। डॉ. धर्मपाल सिंह, उप निदेशक उद्यान


ये हैं मंडल का आंकड़ा

जिला, कुल भंडारण, निकासी

आगरा, 27.59 लाख मीट्रिक टन, 46 प्रतिशत

फिरोजाबाद, 14.67 लाख मीट्रिक टन, 44 प्रतिशत

मथुरा, 3.73 लाख मीट्रिक टन, 48 प्रतिशत

मैनपुरी, 5.64 लाख मीट्रिक टन, 48 प्रतिशत

मंडल में कुल भंडारण, 51.65 लाख मीट्रिक टन

मंडल में कुल निकासी, 24 लाख मीट्रिक टन

मंडल में कुल शीतगृह, 602
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