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कैमूर के जंगलों में गूंजेगी बाघों की दहाड़, टाईगर रिजर्व बनाने को मंत्री की मंजूरी

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टाईगर रिजर्व बनाने को मंत्री की मंजूरी



जागरण संवाददाता, पटना। बिहार में वन्यजीव संरक्षण की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल करते हुए कैमूर वन्यप्राणी आश्रयणी को \“कैमूर टाईगर रिजर्व\“ घोषित कराने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है। इस संबंध में तैयार किए गए संशोधित प्रस्ताव को पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के मंत्री डॉ. प्रमोद कुमार ने अपनी सहमति प्रदान कर दी है। मंत्री की मंजूरी के बाद अब यह प्रस्ताव राष्ट्रीय व्याघ्र संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए), भारत सरकार, नई दिल्ली को भेजा जाएगा, जहां से अंतिम स्वीकृति मिलने के बाद कैमूर को औपचारिक रूप से टाईगर रिजर्व का दर्जा मिलेगा। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

गौरतलब है कि कैमूर वन्यप्राणी आश्रयणी बिहार का सबसे बड़ा वन क्षेत्र है, जो कैमूर पर्वत श्रृंखला में विस्तृत है। यह इलाका घने जंगलों, पहाड़ियों और समृद्ध जैव विविधता के लिए जाना जाता है।

यहां का प्राकृतिक परिवेश बाघों के अनुकूल माना जाता है। वन विभाग के अनुसार बीते कुछ वर्षों में इस क्षेत्र में बाघों की आवाजाही के संकेत भी मिले हैं, जिससे इस क्षेत्र को टाईगर रिजर्व घोषित करने की संभावना और मजबूत हुई है।

वन एवं पर्यावरण विभाग ने पूर्व में भी कैमूर को टाईगर रिजर्व बनाने के लिए प्रस्ताव तैयार किया था। हालांकि राष्ट्रीय व्याघ्र संरक्षण प्राधिकरण के दिशा-निर्देशों के अनुसार इसमें कुछ संशोधन आवश्यक थे।

इन्हीं सुझावों के आधार पर संशोधित प्रस्ताव तैयार किया गया, जिसे मंत्री डॉ. प्रमोद कुमार के समक्ष अनुमोदन के लिए प्रस्तुत किया गया। मंत्री ने प्रस्ताव के पर्यावरणीय महत्व, वन्यजीव संरक्षण और क्षेत्रीय विकास की संभावनाओं को देखते हुए इसे स्वीकृति प्रदान की।

कैमूर को टाईगर रिजर्व का दर्जा मिलने से न केवल बाघों को एक सुरक्षित प्राकृतिक आवास मिलेगा, बल्कि पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को भी मजबूती मिलेगी।

टाईगर रिजर्व बनने से जंगलों के संरक्षण, वन्यजीवों की सुरक्षा और अवैध शिकार पर प्रभावी नियंत्रण संभव हो सकेगा। इसके साथ ही क्षेत्र में इको-टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा, जिससे स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे।

वन विभाग के मंत्री डॉ. प्रमोद कुमार ने कहा कि कैमूर वन्यप्राणी आश्रयणी जैव विविधता की दृष्टि से अत्यंत समृद्ध क्षेत्र है। यहां बाघों के लिए अनुकूल प्राकृतिक आवास मौजूद है और पूर्व में बाघों की मौजूदगी के प्रमाण भी मिले हैं।

ऐसे में टाईगर रिजर्व घोषित होने से न केवल बाघों का संरक्षण सुनिश्चित होगा, बल्कि पूरे क्षेत्र की जैव विविधता और पर्यावरणीय संतुलन भी सुरक्षित रहेगा।

उन्होंने यह भी कहा कि सरकार का लक्ष्य वन्यजीव संरक्षण के साथ-साथ स्थानीय समुदायों के सामाजिक-आर्थिक विकास को भी बढ़ावा देना है। टाईगर रिजर्व बनने से पर्यटन से जुड़े व्यवसायों को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे।

अब संशोधित प्रस्ताव को राष्ट्रीय व्याघ्र संरक्षण प्राधिकरण, नई दिल्ली भेजा जाएगा। वहां से स्वीकृति मिलने के बाद कैमूर वन्यप्राणी आश्रयणी को औपचारिक रूप से \“कैमूर टाईगर रिजर्व\“ घोषित करने की प्रक्रिया पूरी होगी।

यह कदम बिहार को वन्यजीव संरक्षण के राष्ट्रीय मानचित्र पर एक नई पहचान दिलाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है।
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