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अस्पताल के बेड से लेकर व्हाट्सएप कॉल तक... डिजिटल ठगों के जाल में शहर, 15 करोड़ की चपत

LHC0088 2025-12-30 19:57:40 views 491
  

प्रतीकात्‍मक च‍ित्र



जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। जिले में साइबर ठगी का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है। पुलिस द्वारा लगातार जागरूकता अभियान चलाने और कार्रवाई के बावजूद ठगों का जाल फैलता ही जा रहा है। हालात यह हैं कि मुनाफे के लालच में आकर मुरादाबाद के लोग बीते 11 महीनों में करीब 15 करोड़ रुपये गंवा चुके हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

अब मझोला के कांशीराम नगर निवासी रेलवे विभाग से सेवानिवृत्त कर्मचारी से बीमा पालिसी में भारी मुनाफा कमाने का झांसा देकर 69.49 लाख रुपये ट्रांसफर करा लिए। वहीं एक कारोबारी से उनके बहन और बहनोई ने 1.40 करोड़ रुपये ठग लिए। साइबर पुलिस ने आरोपितों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है।

र‍िश्‍तेदारों ने ही द‍िया धोखा

घटना नंबर एक : मझोला क्षेत्र के प्रीत विहार कालोनी निवासी मनोज रस्तोगी कारोबारी हैं। उन्होंने साइबर क्राइम पुलिस को दिए शिकायती पत्र में बताया कि तीन दिसंबर से 17 दिसंबर 2025 तक वह दिल्ली रोड मझोला स्थित अपेक्स अस्पताल में भर्ती थे। भर्ती के समय उन्होंने अपना मोबाइल फोन बहन सीमा और बहनोई जितेश रस्तोगी को दे दिया था।

अस्पताल से 18 दिसंबर को छुट्टी मिलने के बाद भी उन्हें मोबाइल फोन नहीं मिला। 25 दिसंबर को उन्हें उनका मोबाइल फोन मिला था। जिसके बाद उन्होंने अपना अकाउंट चेक किया तो पता चला कि उनके एक्सिस बैंक के खाते से 17 दिसंबर से 24 दिसंबर के बीच सात बार में कुल 1 करोड़ 40 लाख रुपये दूसरे खाते में ट्रांसफर कर लिए गए।

जब उन्होंने बैंक जाकर जानकारी की तो पता चला कि उनके खाते से जो रकम ट्रांसफर हुई है वह एचडीएफसी बैंक के एक खाते में गया है, जिसके खाता धारक उनकी बहन सीमा रस्तोगी है। पता चलने के बाद मनोज रस्तोगी ने इस मामले में साइबर क्राइम पोर्टल पर आनलाइन शिकायत की। एसपी क्राइम सुभाष चंद्र गंगवार ने बताया कि मनोज रस्तोगी के शिकायती पत्र पर सीमा रस्तोगी और जितेश रस्तोगी के खिलाफ साइबर प्राथमिकी दर्ज की है। पूरे मामले की जांच की जा रही है।
न‍िवेश के नाम पर ठगी

घटना नंबर दो : मझोला के कांशीराम नगर निवासी आकाश विक्रम सिंह ने साइबर थाने में दर्ज कराई प्राथमिकी में बताया कि उनके पिता राममूर्ति यादव रेलवे विभाग से सेवानिवृत्त हैं। उन्हें वाट्सएप पर काल व मैसेज के जरिए आशीष द्विवेदी, विवेक मेहता, रिया चटर्जी, निशा जैन, दीपक काव्या व अन्य अलग अलग नाम बदल कर साइबर ठगों ने संपर्क किया। उन्हें बताया कि हमारी कंपनी बीमा पालिसी करती है।

इसमें निवेश करने पर भारी मुनाफा होता है। साइबर ठगों की बातों के झांसे में आकर सेवानिवृत्त कर्मचारी ने आरोपितों के बताए खाते में 69.49 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए। उन्होंने अपनी जमापूंजी और पीएफ से रकम निकालकर ट्रांसफर की है। उन्होंने यह रकम आठ जून से लेकर 24 दिसंबर तक अलग खातों में भेजी लेकिन न तो मुनाफा मिला और न ही रुपये वापस आए।

आरोपितों के मोबाइल नंबर पर संपर्क करने की कोशिश की तो सभी नंबर बंद हो गए। बेटे और परिवार के अन्य लोगों ने उन्हें परेशान देखकर पूछताछ की तो उन्होंने आपबीती सुनाई। एसपी क्राइम सुभाषचंद्र गंगवार ने बताया कि शिकायती पत्र के आधार पर आरोपितों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। मामले की जांच की जा रही है।
मुरादाबाद में सबसे बड़ी ठगी हुई 1.64 करोड़ की

साल 2025 में अब तक की सबसे बड़ी ठगी 1.64 करोड़ रुपये की हुई है। नागफनी क्षेत्र के एक कारोबारी से ठगों ने ट्रेडिंग के नाम पर 1.64 करोड़ रुपये ठग लिए थे। इस मामले में साइबर पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज करने के बाद कुछ आरोपितों को गिरफ्तार भी किया है, लेकिन मुख्य आरोपित अभी तक भी गिरफ्तार नहीं हो पाए है।
साइबर सुरक्षा गाइड: खुद को ठगी से कैसे बचाएं?
श्रेणी (Category)क्या करें और क्या न करें (Dos & Don\“ts)
निजी जानकारीसार्वजनिक साइट, ब्लॉग या सोशल मीडिया पर अपनी सरकारी आईडी, बैंक खाता नंबर, पिन या पासवर्ड कभी साझा न करें।
लिंक और मैसेजईमेल या मैसेज में आए संदिग्ध लिंक्स पर क्लिक न करें। किसी भी दावे की पुष्टि आधिकारिक हेल्पलाइन (बैंक/बीमा कंपनी) से ही करें।
पासवर्ड सुरक्षाअपने पासवर्ड को जटिल (Complex) रखें और हर ऐप के लिए अलग पासवर्ड इस्तेमाल करें। अपना पासवर्ड किसी को न बताएं।
वेबसाइट की जांचकिसी भी वेब पेज पर अपनी जानकारी भरने से पहले वेबसाइट के URL/लिंक की अच्छी तरह जांच कर लें।
इंटरनेट का उपयोगऑनलाइन बैंकिंग या पैसों के लेनदेन के लिए सार्वजनिक (Public) और मुफ्त वाई-फाई का उपयोग कभी न करें।
आपातकालीन कदमठगी होने पर तुरंत पुलिस को सूचना दें। 24 से 48 घंटे के भीतर शिकायत करने पर पैसे वापस मिलने की संभावना अधिक होती है।
सिम और रिवॉर्डसिम ब्लॉक होने या कैश रिवॉर्ड जीतने के मैसेज/कॉल पर भरोसा न करें और न ही उनके बताए नियमों का पालन करें।
OLX/ऑनलाइन शॉपिंगसामान खरीदते समय यदि विक्रेता सरकारी आईडी या कैंटीन कार्ड दिखाए, तो उसकी पूरी तरह जांच करने के बाद ही पैसे का लेनदेन करें।


  

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