deltin33 • 2025-12-30 17:27:21 • views 205
सुशील भाटिया, फरीदाबाद। रविवार को एक ही पुस्तकालय भवन का भाजपा के दो मंत्रियों ने अलग-अलग समय पर दो बाद उद्घाटन किया। हरियाणा के राजस्व मंत्री विपुल गोयल और उसके बाद केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने पुस्तकालय भवन का उद्घाटन किया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
इस घटनाक्रम ने बेहद सर्द मौसम में भाजपा की अंदरूनी राजनीति में गर्मा दी है। दो अलग-अलग समय पर उद्घाटन करने के साथ पैदा हुई राजनीतिक आंच पर प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस को अपनी रोटी सेंकने का अवसर दे दिया है।
अगस्त में सीनियर डिप्टी मेयर व डिप्टी मेयर के चुनाव में यह दिख भी गया था कि दोनों के बीच सब कुछ ठीक नहीं है, अब रविवार को जो घटनाक्रम हुआ, उससे तो दोनों मंत्रियों के बीच राजनीतिक कड़वाहट पूरी तरह से सार्वजनिक हो गई है।
विपुल की राजनीति में इंट्री और कड़वाहट
कृष्णपाल गुर्जर और विपुल गोयल एक दशक पहले तक दो जिस्म एक जान की तरह हुआ करते थे। कृष्णपाल गुर्जर द्वारा पहले लड़े गए विभिन्न विस चुनाव में चुनाव प्रबंधन की जिम्मेदारी विपुल गोयल ही संभालते थे। जब 2014 में कृष्णपाल ने पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीता, तब भी विपुल गोयल ने ही सारा काम-काज देखा।
विपुल गोयल द्वारा निभाई गई दोस्ती का फल केंद्र में राज्य मंत्री बने कृष्णपाल गुर्जर ने अपने सखा को 2014 में फरीदाबाद विस क्षेत्र से टिकट दिला कर दिलाया था। मोदी लहर में विपुल जीत दर्ज करने में सफल रहे थे।
भाजपा से जुड़े सूत्रों के अनुसार विस चुनाव में जीत पर मनोहर सरकार पार्ट-वन के शुरुआती वर्षों में जब विपुल गोयल मंत्री नहीं बने तो उन्हें ऐसा लगा कि गुर्जर ने अपनी वीटो पावर का इस्तेमाल करते हुए उन्हें मंत्री नहीं बनने दिया।
खैर करीब ढाई साल बाद जब मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ तो गोयल कैबिनेट मंत्री बन गए, पर तब तक राजनीतिक फिजा में कड़वाहट घुल चुकी थी। यह कड़वाहट इस कदर थी कि एनआईटी के दशहरा मैदान में रावण के पुतला दहन कार्यक्रम में मंच पर दोनों के बीच एक-दूसरे का नाम लिए बगैर व्यंग्य बाण छोड़े गए और एक-दूसरे पर अंगुली तन गई थी।
2019 में कट गया था विपुल का टिकट, 2024 में फिर आए साथ
2019 के विस चुनाव में मौजूदा विधायक व मंत्री होते हुए भी विपुल गोयल काे फरीदाबाद विस क्षेत्र से टिकट नहीं देने के चलते दोनों के बीच दूरियां और बढ़ गई थीं। 2024 तक आते-आते दोनों के बीच भाजपा के शीर्ष नेतृत्व व आरएसएस पदाधिकारियों ने मध्यस्थता करा कर दूरियां कम कराईं।
अक्टूबर-2024 में विस चुनाव हुए तो उसके लिए विपुल गोयल केंद्रीय नेताओं से अपने मजबूत संबंधों के चलते एक बार फिर टिकट लाने में कामयाब रहे। तब कृष्णपाल ने चुनाव प्रचार में विपुल गोयल का खुल कर साथ दिया था। विपुल जीत कर प्रदेश सरकार में फिर मंत्री भी बने। इस तरह से लगा कि दोनों पुराने सखा एक बार फिर एक हो गए हैं और उनमें प्रतिद्वंद्विता खत्म हो गई है।
सीनियर व डिप्टी मेयर के चुनाव वाले दिन दिख गई थी बानगी
नगर निगम सदन में भाजपा का पूर्ण बहुमत है, पर उसके बावजूद नौ महीनों तक सीनियर डिप्टी मेयर व डिप्टी मेयर का चुनाव नहीं हो सका है। अगस्त में जब इन दोनों पदों के लिए चुनाव घोषित हुआ तो कृष्णपाल गुर्जर अपने पक्ष के 30 से अधिक पार्षदों को लेकर निगम मुख्यालय बैठे थे, पर मेयर प्रवीन जोशी नहीं पहुंची थीं, जिन्होंने बैठक की अध्यक्षता करनी थी।
मेयर तब सेक्टर-15 में पार्टी के जिला मुख्यालय में दोनों मंत्रियों विपुल व राजेश नागर के साथ थीं।तब मामले को सुलझाने पर्यवेक्षक के तौर पर कैबिनेट मंत्री कृष्णलाल पंवार आए थे। दोनों गुट अपने-अपने पक्ष के पार्षदों के लिए डिप्टी व सीनियर डिप्टी मेयर के पद एवं फाइनेंस कमेटी में शामिल होने वाले सदस्य चाहते थे, पर कोई फैसला नहीं सका था।
और आज तक यह पद खाली हैं। इस तरह से दोनों के बीच दूरियां बढ़ती चली गईं जो रविवार को पुस्तकालय भवन के अलग-अलग उद्घाटन करने के रूप में सामने आ गई।
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भाजपा वाले कांग्रेस में गुटबाजी की बात करते हैं, जबकि ट्रिपल इंजन की सरकार का दम भरने वाले दोनों मंत्रियों के बीच जिस तरह एक ही पुस्तकालय भवन का दो बार उद्घाटन करने से साफ हो गया है कि फूट व गुटबाजी कौन से दल में है। भाजपा के मंत्रियों को जनता से जुड़े विकास कार्यों को करवाने में कोई रुचि नहीं है। जनता अपने कामों के लिए सरकारी कार्यालयों में धक्के खा रही है और मंत्रियों के बीच उद्घाटन की लड़ाई है।
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-बलजीत कौशिक, जिलाध्यक्ष कांग्रेस |
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