आतंकियों ने किडनैप के बाद किया था बेरहमी से कत्ल, कौन थीं कश्मीरी पंडित सरला भट्ट... 35 साल बाद खुलेगा केस

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सरला भट्टा फाइल फोटो (जागरण)



डिजिटल डेस्क, श्रीनगर। 1990 का दशक... जब कश्मीर की आबोहवा में दहशत, हिंसा और क्रूरता भी घूलने लगी थी। यह वही दौर था, जब कश्मीरी पंडितों पर अत्याचार किए गए। दशकों पुराने उस नरसंहार की नृशंसता के घाव आज भी कश्मीरी भूला नहीं पाए हैं। उस वक्त कश्मीरी पंडितों को चुन-चुनकर मारा जा रहा था। विवश होकर उन्हें सबकुछ छोड़कर पलायन करना पड़ा। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

नब्बे का दशक कश्मीर के इतिहास का वह काला धब्बा रहा, जिसे याद कर आज भी आत्मा सिहर जाती है। कश्मीरी पंडितों के नरसंहार की कई दर्दनाक कहानियां हैं, जिनमें एक नाम नर्स सरला भट्ट का भी शामिल है, जो इस त्रासदी का प्रतीक बन गई थी। लेकिन अब इस केस की परतें खुलने वाली हैं...

दरअसल, कश्मीर में दशकों से फाइलों में दफन पड़े कश्मीर हिंदुओं के नरसंहार और आतंकी हिंसा के मामले अब सुलझने लगे हैं। आतंकी मामलों की नए सिरे से छानबीन शुरू कर दी गई है। लगभग 15 मामलों की फाइलें खुल गई हैं और आरोपियों की धरपकड़ भी शुरू कर दी गई है। कश्मीरी पंडित नर्स सरला भट्ट के आरोपियों तक पहुंचने के लिए केस की जांच एक बार फिर तेज कर दी गई है।  
कौन थी सरला भट्ट?

सरला भट्ट कश्मीर के अनंतनाग में रहने वाली 27 साल की एक नर्स थी। साल 1990 की शुरुआत में जब आतंकियों ने कश्मीरी पंडितों को अपनी नौकरी और कश्मीर छोड़ने के लिए कहा तो सरला ने इनकार कर दिया। सरला ने आतंकियों को खुलेआम चुनौती दी थी। जिसके बाद आतंकियों ने सरला का अपहरण किया और गैंगरेप के बाद उसकी बेहरमी से गोलियां मारकर हत्या कर दी। सरला के शव के पास एक नोट भी छोड़ा गया, जिसमें सरला को पुलिस का मुखबिर बताया गया था।  

सरला की हत्या के समय कश्मीर में उग्रवाद अपने चरम पर था। सरला भट्ट की हत्या के बाद भी, उनके परिवार को धमकाया गया और उनके अंतिम संस्कार में शामिल न होने की चेतावनी दी गई थी। इस केस की एफआईआर (56/1990) आज भी निगीन पुलिस स्टेशन में दर्ज है। लेकिन दशकों तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब इस केस को लेकर प्रशासन एक्टिव मोड पर आया है। पिछले साल यह केस एनआईए ने अपने हाथ में लिया था, जिसके बाद यासीन मलिक समेत कई आतंकियों के घर छापेमारी की गई।
कई केसों की खुलेगी फाइलें

  • वर्ष 1990 में श्रीनगर में कश्मीरी हिंदू नर्स सरला भट्ट का अपहरण व नृशंस हत्या।
  • 1996 में श्रीनगर में सुरक्षाबल पर गोलीबारी।
  • 1997 में संग्रामपोरा (बड़गाम) नरसंहार में सात कश्मीरी हिंदुओं की हत्या।
  • 1998 में बंधहामा (गांदरबल) में 23 कश्मीरी हिंदुओं का नरसंहार।
  • 1990 में अनंतनाग में मशहूर कवि सर्वानंद कौल प्रेमी और उनके पुत्र को अगवा कर पेड़ से लटकाकर माथे पर गोली मारकर हत्या।


लगभग 15 मामलों की फाइलें खुल गई हैं और आरोपितों की धरपकड़ भी शुरू कर दी गई है। सूत्रों के अनुसार, कश्मीर में सभी थाना प्रभारियों को लंबित पड़े आतंकी मामलों की जांच करते हुए रिपोर्ट बनाने और वांछित तत्वों की गिरफ्तारी को कहा गया है। इन मामलाें में जमानत पर रिहा आरोपितों की गतिविधियों पर नजर रखने और आवश्यकता पड़ने पर जमानत रद कराने की कार्रवाई करने के आदेश दिए गए हैं।

यह भी पढ़ें- जम्मू-कश्मीर में आतंकी मामलों की नए सिरे से छानबीन शुरू, कश्मीरी हिंदुओं के नरसंहार के केस भी शामिल
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