इस खबर में प्रतीकात्मक तस्वीर लगाई गई है।
जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर । एसकेएमसीएच के मोर्चरी में रखे लावारिस शव को भी पुलिस अपनी कार्यशैली से इंतजार करने पर विवश कर देता है। 72 घंटे के बाद भी एक-एक महीने तक लगभग दर्जन भर शव को मोर्चरी रूम में रखा जाता है, लेकिन राशि नहीं मिलने की बात कहकर डिस्पोज करने से पुलिस परहेज करती है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
वहीं, एसकेएमसीएच प्रबंधन की मानें तो पुलिस को लगातार राशि लेकर शवों की अंत्योष्टी के लिए कहा जाता है। ऐसे में मोर्चरी रूमें में रखे शवों की हालत ऐसी हो जाती है कि उन्हें कीड़े-मकोड़े अपना भोजन बनाने लगते हैं। वहीं, मोर्चरी रूम के पास से गुजरने में लोग परहेज तक करने लगते हैं।
गौरतलब है कि लावारिस हालत में इलाज के लिए पहुंचे मरीज की मौत के बाद शव को पोस्टमार्टम हाउस में 72 घंटे तक रखने का नियम है। उसकी पहचान नहीं होने की स्थिति में शव का अंत्येष्टि कर दिया जाता है, लेकिन एसकेएमसीएच ओपी की हीलाहवाली से महीनों तक शव मोर्चरी रूम में रखी रह जाती है।
शवों में लगने लगते हैं कीड़े :
लंबे समय तक अंत्योष्टी की प्रतीक्षा कर रहे लावारिस शवों में कीड़े लगने लगते हैं। हाल ही में कुछ ऐसे शव थे जो 12 नवंबर से ही अंत्योष्टी के लिए पड़े थे, लेकिन 9 लावारिस शवों अंत्योष्टी लगभग 25 दिनों के बाद की गई। इसमें तीन पोस्टमार्टम किए शव थे, जबकि अन्य छह बैगर पोस्टमार्टम वाले शव थे।
इन लावारिस शवों में चार महिला और पांच पुरुष का शव था। शव की दुर्गंध के कारण एसकेएमसीएच के पोस्टमार्टम हाउस के पास से आवाजाही करने वाले लोग नाक पर रूमाल रखकर गुजरने को बेबस होते हैं।
सबसे बुड़ा हाल माइक्रोबायोलाजी और पैथोलाजी जांच के लिए जाने वाले लोगों के लिए बना है, जो दुर्गंध के कारण इमरजेंसी या पीआइसीयू होकर माइक्रोबायोलाजी और पैथोलाजी लैब मे सेंपल देने के लिए जाने को बेबस है। इसके साथ ही एसकेएमसीएच के एमबीबीएस, नर्सिंग समेत अन्य छात्र व स्टाफ अपने गंतव्य स्थल तक पहुंचने के लिए अपना रास्ता बदल लिया है।
दो हजार रुपये प्रति शव दिए जाते हैं
बताया जा रहा है कि एसकेएमसीएच में लावारिस हालत में पहुचे मरीजों का इलाज की जिम्मेदारी एसकेएमसीएच अधीक्षक की है। मौत के बाद उनके पोस्टमार्टम से लेकर अंत्योष्टी कराने की जिम्मेदारी एसकेएमसीएच ओपी प्रभारी की है।
अंत्योष्टी को लेकर प्रति शव एसकेएमसीएच के अधीक्षक रोग कल्याण समिति के तहत दो हजार रुपए की राशि मुहैया कराती है, लेकिन शव एकत्र होने के बाद ही एसकेएमसीएच ओपी पुलिस अंत्योष्टी के लिए राशि की डिमांड करती है। नतीजतन समय रहते लावारिस शव की अंत्योष्टी हो पाना मुश्किल है।
पुलिस की है जिम्मेदारी
एसकेएमसीएच के प्राचार्य सह अधीक्षक डा. आभा रानी सिन्हा ने बताया कि शव का समयानुसार अंतेष्टि करवाने की जवाबदेही एसकेएमसीएच ओपी पुलिस की है। 72 घंटे बाद लावारिस शव की अंतेष्टि हो इसके लिए उन्हें अनेकों बार रोगी कल्याण समिति के मद से एडवांस राशि लेने के लिए कहा गया है, लेकिन वह एडवांस राशि नहीं लेते है।
जब वह अंतेष्टि के लिए डिमांड करते हैं, तब उन्हें राशि मुहैया कराई जाता है। वहीं, एसकेएमसीएच ओपी प्रभारी शिखारानी ने बताया कि इस मामले में राशि मुहैया होने के अगले दिन ही चौकीदार को कहकर नौ लावारिस शवों की अंत्योष्टी करा दी गई है। पूर्व मामलों की जानकारी नहीं है। |