हादसों का बड़ा कारण तेज रफ्तार, नशे में ड्राइविंग, हेलमेट की अनदेखी और यातायात अनुशासन की कमी सामने आई है।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। सुव्यवस्थित और योजनाबद्ध शहर में सड़क सुरक्षा की तस्वीर लगातार भयावह होती जा रही है। साल 2025 में 1 जनवरी से 5 दिसंबर के बीच हुई सड़क दुर्घटनाओं में 82 लोगों ने अपनी जान गंवाई, जो साल 2024 से अधिक आंकड़ा है। शहर में आधुनिक सड़कों, सख्त ट्रैफिक नियमों और पुलिस निगरानी के बावजूद हादसों का यह सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
ट्रैफिक पुलिस के आंकड़ों से पता चलता है कि मौतों में सबसे अधिक संख्या दोपहिया वाहन चालकों और पैदल यात्रियों की है, जो अपने आप में चिंता का विषय है। हादसों का बड़ा कारण तेज रफ्तार, नशे में ड्राइविंग, हेलमेट की अनदेखी और यातायात अनुशासन की कमी सामने आई है।
दोपहिया सवार सबसे ज्यादा प्रभावित
82 में से 40 मृतक दोपहिया वाहन चालक थे। ट्रैफिक एक्सपर्ट मानते हैं कि शहर में दोपहिया चालकों द्वारा ओवरस्पीडिंग, स्टंटिंग और सब-स्टैंडर्ड हेलमेट पहनना मौत का सबसे बड़ा कारण है। दोपहिया चालकों में कई मामलों में पाया गया कि हेलमेट की क्वालिटी बेहद खराब थी। उनके स्ट्रैप बंद नहीं थे। राइडर तेज रफ्तार में मोड़ काटते समय नियंत्रण खो बैठा।
पैदल यात्री भी सुरक्षित नहीं
शहर में चौड़ी सड़कें, अंडरपास, फुटपाथ और ज़ेब्रा क्रासिंग मौजूद हैं, फिर भी पैदल चलने वालों की मौतें लगातार बढ़ रही हैं। इस साल 31 लोगों की जान सड़क पार करते समय गई। पुलिस के अनुसार कई पैदल यात्री सड़क पार करने के लिए निर्धारित ज़ेब्रा क्रासिंग का उपयोग नहीं करते हैं। तेज रफ्तार आती गाड़ियों का अंदाजा नहीं लगा पाते हैं। शार्टकट लेने की कोशिश में एक्सीडेंट का शिकार हो जाते हैं।
आठ साइकिल सवार और तीन अन्य यात्रियों की मौत
शहर में साइक्लिंग को बढ़ावा देने के बावजूद आठ साइकिल सवारों की मौत होना चिंताजनक है। इसके अलावा कार, आटो और ई-रिक्शा में सफर कर रहे एक-एक व्यक्ति की भी जान गई। इस साल का सबसे दर्दनाक हादसा तब हुआ जब होली के दिन नशे में धुत एक युवक वोक्सवैगन पोलो को 150 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चला रहा था।
गाड़ी ने चंडीगढ़-जीरकपुर बैरियर पर पुलिस नाका तोड़ दिया। हादसे में दो पुलिसकर्मियों और एक अन्य व्यक्ति की मौत हो गई थी। आरोपित का अल्कोहल लेवल सामान्य से कई गुना अधिक पाया गया। यह हादसा पूरे प्रशासन और पुलिस के लिए बड़ा सबक बनकर सामने आया।
रात और सुबह के समय सबसे ज्यादा स्पीडिंग
पुलिस का कहना है कि शहर में ज्यादातर हादसे रात 11 बजे के बाद और सुबह 4 से 6 बजे के बीच होते हैं। इन घंटों में सड़कें खाली रहती हैं, जिससे वाहन चालक तेज रफ्तार पर काबू नहीं रख पाते। कई लोग नशे में भी वाहन चलाते पाए जाते हैं।
ट्रैफिक पुलिस के जागरूकता अभियान
ट्रैफिक पुलिस सड़क सुरक्षा को लेकर कई पहलें कर रही है। रोड सेफ्टी एजुकेशन सेल की स्थापना की गई। स्कूलों में जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। सुखना लेक पर नियमित अभियान चलाया जा रहा है। सेक्टर 23 के चिल्ड्रन ट्रैफिक पार्क में ड्राइविंग ट्रेनिंग दी जा रही है।
हेलमेट व सीट बेल्ट के लिए जागरूक किया जा रहा है। लेन ड्राइविंग और मोबाइल फोन उपयोग पर रोक संबंधी संदेश दिए जा रहे हैं। इसके बावजूद हादसों की संख्या में कोई खास कमी नहीं आई है, जो भविष्य के लिए गंभीर संकेत है।
3,60,251 चालान रेड लाइट जंप के काटे गए
साल 2025 की शुरुआत से अब तक पुलिस 7 लाख से ज्यादा चालान काट चुकी है और 16 करोड़ 77 लाख 66 हजार 912 रुपये का जुर्माना वसूल चुकी है। इसके बावजूद सड़क हादसों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
पुलिस के अनुसार इस साल अब तक सर्वाधिक 3,60,251 चालान रेड लाइट जंप के काटे गए, जबकि 79,068 चालान ओवरस्पीडिंग के रहे। इसके अलावा 15,311 चालान बिना हेलमेट, 3,715 चालान ड्रंकन ड्राइविंग, 839 चालान ट्रिपल राइडिंग तथा 2,73,580 अन्य ट्रैफिक नियम उल्लंघन के काटे गए। ट्रैफिक पुलिस की कार्रवाई के बावजूद हादसों में कमी नहीं आ रही। |