1732 विद्यालयों में बनेंगी पोषण वाटिका।
संवाद सूत्र, सीतापुर। परिषदीय विद्यालयों के लिए अच्छी खबर है। 1732 विद्यालयों में पोषण वाटिका बनेगी। इसके लिए प्रत्येक विद्यालय को दो हजार रुपये की धनराशि भेजी जाएगी, जोकि शासन से विभाग को मिल भी गई है। दो दिन में पैसा खाते में भेज दिया जाएगा। पोषण वाटिका तैयार कर इसमें मौसमी सब्जी उगाई जाएंगी। इनका प्रयोग विद्यालय में बनने वाले मिडे डे मील में किया जाएगा। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
परिषदीय विद्यालयों की संख्या 3511 है। इनमें 2355 प्राथमिक, 542 उच्च प्राथमिक, 614 कंपोजिट विद्यालय हैं। इन विद्यालयों में करीब 4.78 लाख विद्यार्थी पंजीकृत हैं। विद्यालयों में पोषण वाटिका का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को ताजी व पोषक तत्व युक्त हरी सब्जियां भोजन में उपलब्ध कराना है।
मिड डे मील में हरी सब्जियों को शामिल करने से विद्यार्थियों में कुपोषण की समस्या दूर हो सकेगी। इससे विद्यार्थियों को बागवानी का व्यावहारिक अनुभव होने के साथ ही पर्यावरण के प्रति जागरूकता भी बढ़ेगी। पहले से 1793 विद्यालयों में पोषण वाटिका बनी हुई है। इनमें मौसमी सब्जियां उगाई जाती हैं।
इस समय गार्डन में धनिया, बैंगन, टमाटर, लहसुन, प्याज, सोया मेथी, लौकी, कद्दू, पालक, मूली, गाजर, मिर्च आदि लगा है। इसका प्रयोग मिड डे मील में किया जा रहा है।
जहां नहीं जगह, वहां गमले का होगा प्रयोग
जिन परिषदीय विद्यालयों में पोषण वाटिका के लिए जगह की उपलब्धता नहीं है, वहां पर गमले में सब्जियां उगाई जाएंगी। करीब 260 ऐसे परिषदीय विद्यालय हैं, जहां जगह नहीं है। इन विद्यालय में भवन तो बने हैं, लेकिन अतिरिक्त जगह की कमी है। ऐसे में वहां वाटिका नहीं बन पाएंगी।
सहायता प्राप्त विद्यालयों में प्रबंधन करेगा व्यवस्था
सहायता प्राप्त 168 परिषदीय विद्यालयों में भी पोषण वाटिका तैयार की जाएंगी। इनमें 10 मदरसे भी शामिल हैं। वहां के विद्यार्थियों को भी मिड डे मील में मौसमी हरी सब्जियों की सुविधा मिलेगी। विद्यालय प्रबंधन को निर्देशित किया गया है कि वह पोषण वाटिका की व्यवस्था अपने पास से सुनिश्चित कराएं।
1732 विद्यालयों में पोषण वाटिका बनाने के लिए पैसा मिल गया है। प्रति विद्यालय दो-दो हजार रुपये की धनराशि भेजने की प्रक्रिया चल रही है। इससे विद्यालयों में पोषण वाटिका तैयार हो सकेगी। पोषण वाटिका में उगाई जाने वाली मौसमी सब्जियों का मिड डे मील में प्रयोग होगा। -अखिलेश प्रताप सिंह, बेसिक शिक्षा अधिकारी। |