मंगलवार को डायट परिसर की एफएलएन कार्यशाला में प्रशिक्षित शिक्षक। जागरण
संवाद सहयोगी, जागरण, रुड़की: बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान को मजबूत करने के उद्देश्य से डायट परिसर में एफएलएन के तीन दिनी प्रशिक्षण में शिक्षकों ने नवाचार सीखा। प्रशिक्षण कोआर्डिनेटर भूपेंद्र सिंह ने बताया कि प्रशिक्षण का लाभ सीधे छात्रों की बुनियादी समझ को मजबूत करेगा। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
मंगलवार को जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) रुड़की में प्रशिक्षण में राजकीय प्राथमिक विद्यालयों के 60 शिक्षकों ने हिस्सा लिया। प्रशिक्षण में कोआर्डिनेटर भूपेंद्र सिंह, देवेंद्र कुमार, प्रदीप बिष्ट, नईम अहमद और शिवम शुक्ला ने शिक्षकों को शिक्षण तकनीकों के बारे में बताया।
पूरे कार्यक्रम में क्रियात्मक गतिविधियों के माध्यम से बच्चों को संख्या ज्ञान और बुनियादी शिक्षा को अधिक रोचक तरीके से सिखाने पर जोर दिया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम में डायट प्राचार्य मेराज अहमद, रेनू रानी, सीमा राठी, मो. जावेद, पंकज लता चौहान, अनिल राणा, बबीता धीमान, रेणुका पटेल आदि ने भाग लिया।
क्रियात्मक शोध कार्यशाला में शिक्षकों ने सीखी समस्या समाधान की विधि
रुड़की: विद्यालयों में शिक्षण के दौरान आने वाली समस्याओं के समाधान के लिए डायट रुड़की में क्रियात्मक शोध कार्यशाला आयोजित की गई।
कार्यक्रम समन्वयक डा. अशोक कुमार सैनी ने बताया कि शिक्षक स्वयं अपनी समस्या का समाधान ढूंढकर उसे लिखित रूप में विकसित कर सकते हैं। मंगलवार को जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान रुड़की में आयोजित क्रियात्मक शोध कार्यशाला में विभिन्न विद्यालयों के शिक्षकों ने सहभागिता की।
कार्यशाला में समन्वयक डा. अशोक कुमार सैनी, प्रशिक्षण प्रदाता डा. प्रीतम सिंह, डा. मुकेश वशिष्ठ और डा. प्रवीण कुमार ने शिक्षकों को शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया में आने वाली समस्याओं की पहचान से लेकर समाधान तक की पूरी विधि समझाई।
लो-कास्ट माडल से विज्ञान सिखाने का तरीका सिखा
रुड़की: विज्ञान शिक्षा को ज्यादा रोचक और व्यवहारिक बनाने के उद्देश्य से अगस्त्य इंटरनेशनल फाउंडेशन ने जिले के 40 सरकारी विद्यालयों के विज्ञान शिक्षकों के लिए दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया। विशेषज्ञ प्रशिक्षक अंकित ने कम लागत वाले माडलों को विज्ञान शिक्षण का सबसे प्रभावी माध्यम बताया।
कार्यक्रम का विषय ‘लो-कास्ट साइंस माडल’ रखा गया। इसके माध्यम से शिक्षकों को यह समझाया गया कि दैनिक जीवन में उपलब्ध साधारण सामग्रियों से भी विज्ञान के कठिन सिद्धांतों को बच्चों को बेहद सहज तरीके से समझाया जा सकता है।
संस्था ने बताया कि ‘करके सीखना’ विज्ञान शिक्षा का सबसे प्रभावी माध्यम है। कार्यक्रम में अनिल, विशेषज्ञ प्रशिक्षक अंकित, शुभम, शंकर और करण आदि मौजूद रहे।
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