LHC0088 • 2025-12-9 21:39:27 • views 165
जागरण संवाददाता, बस्ती। बेटी के जन्म की आशंका पर लिंग परीक्षण कराने से साफ इनकार करना बस्ती की एक विवाहिता को इतना भारी पड़ा कि उसके पति ने उसे तीन बार तलाक़ बोलकर वैवाहिक संबंध खत्म कर लिया। छह साल पहले संतकबीरनगर के एक युवक से निकाह करने वाली पीड़िता अब इंसाफ के लिए पुलिस और प्रशासन के चक्कर काट रही है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
यह मामला समाज में महिलाओं के अधिकारों और रूढ़िवादी सोच के कारण होने वाले उत्पीड़न को उजागर करता है। जनपद के पैकोलिया की रहने वाली पीड़िता नगमा खातून का निकाह छह वर्ष पूर्व संतकबीरनगर जिले के कोतवाली खलीलाबाद के बयारा के रहने वाले मोहम्मद अफरोज के साथ हुआ था।
निकाह के बाद शुरुआती जीवन तो सामान्य रहा। एक बेटी पैदा हुई। इसके कुछ समय बाद पति और ससुराल वालों का व्यवहार बदलने लगा। पीड़िता के अनुसार, वह दुबारा गर्भवती हुई। इस दौरान, पति और ससुराल पक्ष के लोग लगातार उस पर कोख में पल रहे बच्चे का लिंग परीक्षण कराने का दबाव बनाने लगे।
पीड़िता ने उन्हें स्पष्ट रूप से बताया कि लिंग परीक्षण कराना कानूनी अपराध है, और यह जानते हुए भी वह ऐसा काम नहीं करेगी। इसके साथ ही, उसने बार-बार दोहराया कि चाहे बेटा हो या बेटी, वह हर बच्चे को खुदा की देन मानकर स्वीकार करेगी।
पत्नी के बार-बार मना करने और बेटी होने की आशंका से गुस्साए पति ने उसे ट्रिपल तलाक़ (तीन बार तलाक़) देकर घर से निकाल दिया। पीड़िता ने बताया कि उसे जबरन मायके भेज दिया गया और ससुराल वालों ने दरवाज़ा बंद कर लिया। पति व ससुराल वाले ने उसे प्रताड़ित करते रहे। सिर्फ इसलिए तलाक दिया क्योंकि उसने लिंग परीक्षण कराने और संभावित बेटी की हत्या की बात मानने से इनकार कर दिया था। इ
स पूरे मामले की शिकायत पीड़िता ने अदालत में की। कोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए एफआइआर का आदेश दिया। स्थानीय पुलिस स्टेशन में पीड़िता पति अफरोज, सास रजीदुनिशा, ससुर मो. उमर, देवर रिजवान, ननद खुशनुमा के खिलाफ घरेलू हिंसा, दहेज उत्पीड़न और तीन तलाक कानून के तहत कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
पीड़िता की तहरीर पर मामला दर्ज कर लिया गया है। तीन तलाक़ कानून के तहत पति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। लिंग परीक्षण के लिए दबाव डालने और तलाक़ देने के आरोपों की गहराई से जांच की जा रही है। जल्द ही आरोपित को गिरफ्तार किया जाएगा।
-स्वर्णिमा सिंह, सीओ हर्रेया, बस्ती
यह केवल एक तलाक का मामला नहीं है, बल्कि यह एक बेटी को दुनिया में आने से रोकने की आपराधिक मानसिकता का परिणाम है। लिंग परीक्षण के लिए दबाव डालना और मना करने पर तलाक देना दिखाता है कि समाज में महिलाओं के प्रति सोच कितनी पिछड़ी हुई है।
-रामकृपाल चौधरी एडवाेकेट, बस्ती |
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