जम्मू-कश्मीर में सरकारी चावल में हेराफेरी, तीन अधिकारियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल (File Photo)
जागरण संवाददाता,श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर अपराध शाखा की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले (एफसीएस एंड सीए) विभाग के तीन अधिकारियों के खिलाफ मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, सोपोर की अदालत में आरोप पत्र दायर किया है।
आरोपियों में सिराज-उद-दीन भट (तत्कालीन टीएसओ पीईजी बारामुल्ला) पुत्र मोहम्मद सिद्दीक भट निवासी वारीपोरा, सफापोरा गांदरबल; मोहम्मद हुसैन भट (तत्कालीन टीएसओ/स्टोरकीपर ह्यगाम ग्रैनरी) पुत्र अब्दुल रहीम भट निवासी किचलू, काजीपोरा हंदवाड़ा; और मोहम्मद शफी राथर उर्फ शफी कांडा (तत्कालीन टीएसओ ह्यगाम ग्रैनरी) पुत्र मोहम्मद सुल्तान राथर निवासी वानीगाम पट्टन शामिल हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
यह मामला एफसीएस एंड सीए निदेशालय से प्राप्त एक पत्र से उत्पन्न हुआ, जिसमें ह्यगाम और बारामूला (केंद्र डी) के अन्न भंडारों से चावल की संदिग्ध हेराफेरी का संकेत दिया गया था।
इन सूचनाओं पर जांच शुरू की गई और एसएसपी क्राइम ब्रांच कश्मीर ने खाद्यान्न की खेपों के प्रेषण और प्राप्ति की प्रामाणिकता की पुष्टि के लिए एक संयुक्त औचक जाँच (जेएससी) का आदेश दियाl जेएससी ने बड़ी विसंगतियाँ उजागर कीं।
चावल से भरे सात ट्रकों को एफसीआई अधिकारियों और टीएसओ पीईजी बारामूला की निगरानी में पीईजी (निजी उद्यमी गारंटी योजना) बारामुल्ला से भेजा गया दिखाया गया था।
चालान में इन खेपों को ह्यगाम अन्न भंडार में प्राप्त और बाद में वगूरा, नौपोरा, कथिगन जठियार, कलंतरा और दंडमोह स्थित बिक्री केंद्रों में वितरित किया जाना गलत दर्ज किया गया था। हालांकि, इन सभी बिक्री केंद्रों ने ऐसा कोई स्टाक प्राप्त करने से स्पष्ट रूप से इनकार किया, और उनके आधिकारिक रिकॉर्ड इस इनकार की पुष्टि करते हैं।
आगे की जांच से पता चला कि ये चालान सहायक स्टोरकीपर पलहल्लन पट्टन, मोहम्मद शफी राथर द्वारा सिराज-उद-दीन भट से धोखाधड़ी से प्राप्त किए गए थे, और बाद में टीएसओ ह्यगाम, मोहम्मद हुसैन भट के माध्यम से प्रबंधित किए गए थे।
जांच से यह स्थापित हुआ कि आरोपी अधिकारियों ने आपस में और एफसीआई बारामूला के कुछ अधिकारियों के साथ मिलकर आपराधिक षड्यंत्र रचकर बड़ी मात्रा में चावल की हेराफेरी की, जिससे राज्य के खजाने को भारी आर्थिक नुकसान हुआ।
व्यापक मौखिक और दस्तावेजी साक्ष्यों के आधार पर, आरोपियों के विरुद्ध अपराध सिद्ध हो गए। परिणामस्वरूप, न्यायिक निर्णय के लिए धारा 173 दंड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत आरोप-पत्र सक्षम न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया है। |