खून का संचार बाधित ब्रेन स्ट्रोक
विकास मिश्र, लखनऊ: ब्रेन स्ट्रोक एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, जिसके कारण देश में हर साल लाखों लोगों की मौत हो जाती है। एक सप्ताह में अचानक बढ़ी ठंड से स्ट्रोक से प्रभावितों में करीब चार गुणा तक वृद्धि हुई है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में न्यूरोलाजी विभाग के एडिशनल प्रो. अब्दुल कवि के अनुसार इस समय स्ट्रोक से गंभीर रूप से प्रभावित 40 लोग भर्ती हैं। नवंबर तक यह संख्या 8-10 थी, लेकिन तापमान में गिरावट के साथ अचानक प्रभावितों की संख्या बढ़ गई है। उन्होंने बताया कि जब मस्तिष्क के किसी हिस्से में पर्याप्त रक्त प्रवाह नहीं हो पाता या किसी कारणवश खून का संचार बाधित हो जाता है तो इसे ब्रेन स्ट्रोक कहते हैं। आमतौर पर आपके मस्तिष्क में किसी धमनी के अवरुद्ध होने या रक्तस्राव के कारण स्ट्रोक होता है। आक्सीजनयुक्त रक्त के बिना उस हिस्से में मस्तिष्क की कोशिकाएं मरने लगती हैं। स्थिति जानलेवा भी हो सकती है।
दो तरह के होते हैं ब्रेन स्ट्रोक
स्ट्रोक दो तरह के होते हैं। पहला इस्केमिक स्ट्रोक (रक्त का थक्का जमना) और दूसरा हेमोरेजिक स्ट्रोक (रक्त वाहिका का फटना)। ऐसे मौसम में उच्च कोलेस्ट्राल, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, मोटापा से ग्रसित लोगों को अधिक सावधान रहने की जरूरत है। बढ़ता प्रदूषण भी स्ट्रोक और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ाता है।
स्ट्रोक के प्रभावितों के लिए चार घंटे महत्वपूर्ण
प्रो. अब्दुल कवि के अनुसार, ब्रेन स्ट्रोक के मरीज के लिए हर मिनट कीमती है। जितनी जल्दी इलाज मिले, उतना ठीक होने की संभावना बढ़ती है। खासकर इस्केमिक स्ट्रोक के लिए थक्का घोलने वाली दवा (टीपीए) लक्षण शुरू होने के चार घंटे के भीतर देना जरूरी है और अस्पताल पहुंचने का लक्ष्य 60 मिनट के अंदर होना चाहिए। ठंड के मौसम में जैसे-जैसे तापमान गिरता है, वैसे डायबिटीज एवं बीपी के रोगियों की सेहत के लिए चुनौतियां बढ़ती हैं। तापमान में कमी के कारण रक्त वाहिकाएं सिकुड़ने लगती हैं, जिससे रक्तचाप बढ़ता है। उच्च रक्तचाप अनियंत्रित डायबिटीज स्ट्रोक के लिए महत्वपूर्ण जोखिम कारक माना है। इसलिए जरूरी है कि न सिर्फ ठंड से बचाव किया जाए साथ ही ब्लड प्रेशर एवं डायबिटीज को भी नियंत्रित रखें।
मोटापा, शारीरिक निष्क्रियता और फास्ट-फूड भी कारण
न्यूरोलाजी विभाग में प्रो. दिनकर कुलश्रेष्ठ का कहना है कि तापमान में कमी के अलावा ठंड के मौसम में लोग शारीरिक गतिविधियां जैसे व्यायाम-योग भी कम करते हैं। आलस्य हावी होने लगता है। ये खराब आदत वजन बढ़ाने, कोलेस्ट्राल के स्तर में वृद्धि और उच्च रक्तचाप का खतरा बढ़ाने वाली हो सकती हैं। ये सभी स्थितियां स्ट्रोक के लिए प्रमुख जोखिम कारक हैं। इन सबके अलावा ठंड के दौरान हाई कैलोरी, मीठी चीजों के अधिक सेवन के कारण भी स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर हो सकता है। इससे भी ब्लड प्रेशर बढ़ता है, जिससे स्ट्रोक होने का जोखिम रहता है। केजीएमयू के प्रवक्ता प्रो. केके सिंह ने बताया कि न्यूरोलाजी विभाग में इस समय ब्रेन स्ट्रोक से प्रभावित 35 लोग भर्ती हैं।
नहाते समय न करें ये गलती
प्रो. दिनकर के मुताबिक, सर्दियों में नहाते समय बरती गई लापरवाही भी स्ट्रोक का कारण बन सकती है। ठंडे पानी से नहाने से हृदय की समस्या या स्ट्रोक का जोखिम तीन गुणा तक बढ़ता है। असल में ठंडे पानी में नहाने से हृदय गति, श्वास और रक्तचाप में तेजी से वृद्धि होती है। इससे हृदय पर दबाव पड़ सकता है, जो गंभीर है। इसके अलावा ठंडे पानी के कारण रक्त वाहिकाएं सिकुड़ सकती हैं, जिससे रक्त प्रवाह धीमा हो जाता है और आप स्ट्रोक का शिकार हो सकते हैं। लिहाजा, सर्दियों में नहाने के लिए गुनगुने पानी का इस्तेमाल करें। नहाने की शुरुआत में कभी भी सीधे सिर पर पानी न डालें। पहले पैर, हाथ और शरीर पर पानी डालें, फिर सिर पर। इस मौसम में शावर से नहाने से बचें, क्योंकि इससे पानी सीधा सिर पर गिरता है।
ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण
- संतुलन बिगड़ना या लड़खड़ाना
- धुंधला दिखना या देखने में दिक्कत
- चेहरे का एक तरफ लटकना (टेढ़ापन)
- हाथ या पैर में कमजोरी, एक हाथ ऊपर न उठना
- बोलने में लड़खड़ाहट या समझ न पाना
- बिना किसी कारण के तेज सिरदर्द होना
ऐसे करें बचाव
- स्वस्थ आहार (मौसमी फल, सब्जियां, फाइबर युक्त भोजन)
- नियमित व्यायाम
- शारीरिक और मानसिक रूप से सक्रिय रहना
- नमक और वसा का सेवन कम करना
- यदि बीपी, डायबिटीज के मरीज हैं तो नियमित दवा लें
- ठंड में तड़के टहलने न जाएं
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