Vande Mataram Full Lyrics In Hindi: पढ़ें राष्ट्रीय गीत जिसने जगाई थी आजादी की अलख (Image Source: Freepik)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। इस चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने \“वंदे मातरम्\“ के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यह सदन के लिए बहुत बड़े सौभाग्य की बात है कि हम इस गीत का पुण्य स्मरण कर रहे हैं। पीएम मोदी ने कहा कि जिस मंत्र और जयघोष ने देश के स्वतंत्रता आंदोलन को ऊर्जा और प्रेरणा दी, जिसने हमें त्याग और तपस्या का रास्ता दिखाया, उसके 150 वर्ष पूरे होने का साक्षी बनना हम सभी के लिए गर्व का विषय है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
अपने संबोधन में पीएम मोदी ने \“वंदे मातरम्\“ की 150 वर्षों की यात्रा के अलग-अलग पड़ावों का जिक्र करते हुए इतिहास के पन्नों को पलटा। उन्होंने कहा कि जब इस गीत के 50 वर्ष पूरे हुए थे, तब देश गुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ था और हम परतंत्रता में जीने को मजबूर थे।
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वंदे मातरम् पर PM मोदी का भावुक संदेश
सबसे भावुक और तीखा प्रहार उन्होंने 100वें वर्ष के पड़ाव पर किया। पीएम मोदी ने याद दिलाया कि जब \“वंदे मातरम्\“ के 100 साल पूरे हुए, तब देश में जश्न का माहौल होना चाहिए था, लेकिन दुर्भाग्य से वह समय इतिहास का एक \“काला कालखंड\“ बन गया। उस समय देश आपातकाल का सामना कर रहा था और संविधान का गला घोंटा जा रहा था। जिन देशभक्तों के लिए यह गीत जीवन का आधार था, उन्हें जेल की सलाखों के पीछे बंद कर दिया गया था।
बता दें, \“वंदे मातरम्\“ की यात्रा कई उतार-चढ़ावों से गुजरी है, लेकिन अब जब इसके 150 वर्ष पूर्ण हो गए हैं, तो हम एक स्वतंत्र और गर्वित भारत के रूप में इस ऐतिहासिक अवसर को मना रहे हैं। यह गीत आज भी देशवासियों के लिए प्रेरणा का एक शाश्वत स्रोत बना हुआ है। आइए, यहां पढ़िए इस राष्ट्रीय गीत के लिरिक्स (Vande Mataram Full Lyrics In Hindi)।
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वंदे मातरम्, वंदे मातरम्!
सुजलाम्, सुफलाम्, मलयज शीतलाम्,
शस्यश्यामलाम्, मातरम्!
वंदे मातरम्!
शुभ्रज्योत्सनाम् पुलकितयामिनीम्,
फुल्लकुसुमित द्रुमदल शोभिनीम्,
सुहासिनीम् सुमधुर भाषिणीम्,
सुखदाम् वरदाम्, मातरम्!
वंदे मातरम्, वंदे मातरम्॥
कोटि कोटि कण्ठ कल कल निनाद कराले
द्विसप्त कोटि भुजैर्धृत खरकरवाले
के बोले मा तुमी अबले
बहुबल धारिणीम् नमामि तारिणीम्
रिपुदलवारिणीम् मातरम्॥
वंदे मातरम्, वंदे मातरम्!
तुमि विद्या तुमि धर्म, तुमि ह्रदि तुमि मर्म
त्वं हि प्राणाः शरीरे
बाहुते तुमि मा शक्ति,
हृदये तुमि मा भक्ति,
तोमारै प्रतिमा गडि मन्दिरे-मन्दिरे मातरम्॥
वंदे मातरम्, वंदे मातरम्!
त्वं हि दुर्गा दशप्रहरणधारिणी
कमला कमलदल विहारिणी
वाणी विद्यादायिनी, नमामि त्वाम्
नमामि कमलां अमलां अतुलाम्
सुजलां सुफलां मातरम्॥
वंदे मातरम्, वंदे मातरम्!
श्यामलां सरलां सुस्मितां भूषिताम्
धरणीं भरणीं मातरम्॥
वंदे मातरम्, वंदे मातरम्!
अरबिन्द घोष ने गद्य रूप इस गीत का भावानुवाद इस प्रकार किया है-
ओ माता, मैं आपके सामने नतमस्तक होता हूं।
ये धरती पानी से सींची, फलों से भरी, दक्षिण की वायु के साथ शांत है।
हे धरती माता! आपकी रातें चांदनी की गरिमा में प्रफुल्लित हो रही हैं,
आपकी जमीन खिलते फूलों वाले वृक्षों से बहुत सुंदर ढकी हुई है,
हंसी की मिठास, वाणी की मिठास,
माता, वरदान देने वाली, आनंद देने वाली।
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