लंग कैंसर और प्रदूषण का जानलेवा कनेक्शन (Picture Courtesy: Freepik)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। लंग कैंसर दुनियाभर में कैंसर से होने वाली मौतों के प्रमुख कारणों में से एक है। भारत में भी इसके मामले काफी तेजी से बढ़ रहे हैं, जिसमें प्रदूषण का अहम योगदान है। प्रदूषण के छोटे कण PM 2.5 फेफड़ों के सेल्स को डैमेज करते हैं, जिसके कारण लंग कैंसर (Lung Cancer) का खतरा बढ़ जाता है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
ऐसे में प्रदूषण से बचाव के साथ-साथ लंग कैंसर के लक्षणों (Symptoms of Lung Cancer) के बारे में जानकारी भी जरूरी है, ताकि वक्त रहते इसकी पहचान की जा सके और बेहतर इलाज मिल सके। आइए जानें लंग कैंसर के लक्षण कैसे होते हैं और कैसे प्रदूषण इसका कारण बन सकता है।
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लंग कैंसर के लक्षण कैसे होते हैं?
लंग कैंसर के लक्षण शुरुआती स्टेज में जल्दी पहचान में नहीं आते, जिससे इसका समय पर पहचानना मुश्किल हो जाता है। जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, इसके कुछ ऐसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं-
- लगातार खांसी- तीन सप्ताह से ज्यादा समय तक बनी रहने वाली खांसी, जो समय के साथ बढ़ती जाए।
- खांसी के साथ खून- खांसते समय बलगम के साथ खून आना।
- सांस लेने में तकलीफ- सामान्य गतिविधियों में भी सांस फूलना या घरघराहट।
- सीने में दर्द- गहरी सांस लेने, खांसने या हंसने पर छाती में दर्द या जकड़न।
- आवाज में बदलाव- आवाज का भारी या कर्कश होना।
- अचानक वजन कम होना- बिना किसी कोशिश के वजन में कमी।
- थकान और कमजोरी- लगातार थकान महसूस होना।
- निमोनिया या ब्रोंकाइटिस- बार-बार फेफड़ों का इन्फेक्शन होना।
ये लक्षण अन्य सांस से जुड़ी समस्याओं से मिलते-जुलते हो सकते हैं, इसलिए इन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। खतरनाक बात यह है कि धूम्रपान न करने वाले व्यक्तियों को भी लंग कैंसर अपना शिकार बना सकता है। इसलिए इन लक्षणों को हल्के में लेने की भूल न करें।
प्रदूषण कैसे बढ़ाता है लंग कैंसर का खतरा?
- छोटे कणों (PM2.5) का प्रवेश- गाड़ियों, उद्योगों और निर्माण कार्यों से निकलने वाले PM2.5 कण इतने छोटे होते हैं कि सीधे फेफड़ों की गहराई तक पहुंच जाते हैं। ये कण फेफड़ों के सेल्स को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे उनमें कैंसर से जुड़े म्यूटेशन शुरू हो सकते हैं।
- कार्सिनोजनिक केमिकल- प्रदूषित हवा में बेंजीन, फॉर्मलडिहाइड, आर्सेनिक और पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन जैसे कैंसर का कारण बनने वाले केमिकल मौजूद होते हैं, जो फेफड़ों के सेल्स के डीएनए को डैमेज कर सकते हैं।
- क्रॉनिक सूजन पैदा करना- लंबे समय तक प्रदूषित हवा में सांस लेने से फेफड़ों में लगातार सूजन बनी रहती है। यह सूजन सेल्स को नुकसान पहुंचाती है और उनके अनकंट्रोल डिविजन को प्रोत्साहित कर सकती है।
- इम्युनिटी कमजोर करना- प्रदूषण शरीर की प्राकृतिक कैंसर-रोधी क्षमता को कमजोर करता है, जिससे असामान्य सेल्स को बढ़ने का मौका मिलता है।
- धूम्रपान के प्रभाव को बढ़ाना- प्रदूषण और धूम्रपान का कंबाइन इफेक्ट दोनों के अलग-अलग प्रभावों से कहीं ज्यादा खतरनाक हो सकता है।
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Source:
- British Journal of Cancer
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