ओला के शेयर में आई है भारी गिरावट
नई दिल्ली। अगस्त 2024 में 76 रुपये के भाव पर लिस्टिंग के बाद ओला इलेक्ट्रिक मोबिलिटी (Ola Share Price) का शेयर 138 रुपये तक गया था। मगर अब ये गिरकर 35.6 रुपये पर आ गया है। ओला इलेक्ट्रिक के स्टॉक में गिरावट भारत के EV टू-व्हीलर सेगमेंट के मार्केट शेयर में एक जबरदस्त बदलाव और ओला के सामने कई तरह के सेल्स और सर्विस की शिकायतों के चलते आई है।
आफ्टर सेल्स सर्विस और हाई-प्रोफाइल बैटरी IP जैसे विवादों से इसकी सेल्स में भारी कमी आई है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
साल 2025 में आधे से ज्यादा गिरी कीमत
ओला इलेक्ट्रिक मोबिलिटी लिमिटेड के शेयर में शुक्रवार को भी गिरावट आई, जो 3.85% गिरकर ₹34.73 के नए रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया। हालांकि बाद में ये थोड़ा सुधरकर ₹35.60 पर बंद हुआ। पिछले महीने स्टॉक में 25% की गिरावट आई है और 2025 में अब तक यह 58.72% नीचे आ चुका है।
सेल्स में पिछड़ी
ईवी टू-व्हीलर सेगमेंट में सितंबर 2025 में TVS मोटर 21,052 यूनिट्स (21.9% मार्केट शेयर) के साथ सबसे आगे रही। इसके बाद बजाज ऑटो 17,972 यूनिट्स (18.7%) के साथ दूसरे नंबर पर रही। एथर एनर्जी ने 16,558 यूनिट्स (17.2%) बेचकर पहली बार ओला इलेक्ट्रिक को पीछे छोड़ा।
ओला 12,223 यूनिट्स (12.7%) के साथ चौथे नंबर पर आ गई, जो एक साल पहले (27.3%) के मार्केट शेयर से आधे से भी कम है। हीरो की विडा 11,856 यूनिट्स (12.3%) के साथ उसके ठीक पीछे रही।
नवंबर में कैसा रहा परफॉर्मेंस
नवंबर 2025 में TVS फिर से 30,309 यूनिट्स और 26% मार्केट शेयर के साथ चार्ट में सबसे ऊपर रही। दूसरी नंबर पर बजाज, जबकि एथर तीसरे नंबर पर रही। नवंबर में हीरो विडा (12,200 यूनिट्स) के साथ ओला (8,400 यूनिट्स) से भी आगे निकल गई।
इन्हें माना जा रहा नया किंग
कई रिपोर्ट्स में माना जा रहा है कि अब बजाज, TVS और एथर भारत के EV टू-व्हीलर सेगमेंट में नए किंग हैं। ओला का शेयर 2025 की शुरुआत में जहां एक चौथाई से ज्यादा था, वो अब घटकर लगभग 11–13% रह गया है। ओला अभी भी इस सेगमेंट में एक अहम प्लेयर है लेकिन अब वॉल्यूम लीडर नहीं है।
कहा जा रहा है कि ये मार्केट एक कंसोलिडेशन यानी ठहराव वाले फेज में चला गया है जहाँ मजबूत ICE नेटवर्क वाली पुरानी कंपनियाँ और तेजी से आगे बढ़ रही हैं।
एलजी के साथ विवाद
ओला इलेक्ट्रिक की मुश्किलें इन आरोपों से और बढ़ीं जिनमें कहा गया कि LG एनर्जी सॉल्यूशन के एक पुराने रिसर्चर ने एडवांस्ड पाउच-टाइप लिथियम-आयन सेल के लिए “कोर नेशनल टेक्नोलॉजी” को गैर-कानूनी तरीके से ओला इलेक्ट्रिक को ट्रांसफर कर दिया।
ओला ने इस आरोप को खारिज कर दिया और कहा कि इसकी भारत सेल तकनीक एलजी की पाउच सेल तकनीक से अलग है। अगर ओला को इस मामले में क्लीन चिट मिल भी जाए, तो भी यह खुद को भारत की सबसे बड़ी EV और सेल-मैन्युफैक्चरिंग कंपनी के तौर पर पेश कर रही है, जो कि वास्तव में अब ये रही नहीं है।
इन्वेस्टर्स के लिए, यह घटना पहले से ही कमजोर फाइनेंशियल हालत के ऊपर रेगुलेटरी और रेप्युटेशन का बोझ और बढ़ा देती है।
घाटे में है कंपनी
FY26 की दूसरी तिमाही में, इसका घाटा कम होकर लगभग ₹418 करोड़ रह गया, लेकिन मैनेजमेंट ने कम डिमांड के कारण पूरे साल की सेल्स और रेवेन्यू गाइडेंस में कटौती की। ये उन निवेशकों के लिए चिंताजनक है जो हाइपर-ग्रोथ पर भरोसा कर रहे थे।
इसके शेयर ने ऑटो इंडेक्स और अपने प्रतिद्वंदियों के मुकाबले निगेटिव रिटर्न दिया है।
क्या है शेयर का फ्यूचर
इस स्टॉक के रिकॉर्ड निचले स्तर तक गिरने को माना जा रहा है कि ये अब “केवल उच्च जोखिम वाले निवेशकों के लिए है”। ये अस्थायी भावना को दर्शाता है, बल्कि इस बारे में गहरे सवाल भी हैं कि क्या कंपनी तेजी से भीड़भाड़ वाले EV2W बाजार में लीडरशिप हासिल कर सकती है, जिसमें कैश से समृद्ध मौजूदा कंपनियां हावी हो रही हैं।
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(डिस्क्लेमर: यहां शेयर बाजार की जानकारी दी गयी है, निवेश की सलाह नहीं। जागरण बिजनेस निवेश की सलाह नहीं दे रहा है। स्टॉक मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है, इसलिए निवेश करने से पहले किसी सर्टिफाइड इन्वेस्टमेंट एडवाइजर से परामर्श जरूर करें।) |