आंखों में बार-बार खुजली और आंसू आने की शिकायत है? (Picture Courtesy: Freepik)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। आज के तेजी से विकसित होते शहरी परिवेश में ‘अर्बन आई सिंड्रोम’ (Urban Eye Syndrome) एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बनती जा रही है। यह एक क्रॉनिक कंडीशन है, जिसमें आंखों में जलन, डिसकम्फर्ट और परेशानी बनी रहती है और यह सीधे तौर पर शहरों में बढ़ते प्रदूषण से जुड़ा है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
इस बारे में जानने के लिए हमने डॉ. पवन गुप्ता (सीनियर कैटेरेक्ट एंड रेटीना सर्जन, आई 7 हॉस्पिटल, लाजपत नगर एंड विजन आई क्लीनिक नई दिल्ली) से बात की। आइए उनसे जानते हैं अर्बन आई सिंड्रोम होता क्या है, इसके लक्षण (Symptoms of Urban Eye Syndrome) कैसे होते हैं और यह क्यों होता है?
क्या है अर्बन आई सिंड्रोम?
अर्बन आंख सिंड्रोम मुख्य रूप से आंखों की रेडनेस, म्यूकस डिसचार्ज और टियर फिल्म की अस्थिरता जैसे लक्षणों से जुड़ा है। यह स्थिति वायु प्रदूषण में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5 और PM10), केमिकल प्रदूषकों और धूल के कणों के कारण पैदा होती है। ये प्रदूषक तत्व आंखों की सतह पर इंफ्लेमेटरी रिसपॉन्स को ट्रिगर करते हैं, जिससे टियर फिल्म अस्थिर हो जाती है और आंख की सतह का संतुलन बिगड़ जाता है।
प्रदूषण आंखों को कैसे प्रभावित कर रहा है?
शहरी वातावरण में मौजूद प्रदूषक आंखों की प्राकृतिक सुरक्षा परत को नुकसान पहुंचाते हैं। ये छोटे कण आंखों में जलन, खुजली, लगातार इरिटेशन और ड्राई आईज की समस्या पैदा करते हैं। प्रदूषण के अलावा, एयर कंडीशनिंग, लंबे समय तक डिजिटल स्क्रीन का इस्तेमाल और शहरी जीवनशैली भी इस सिंड्रोम को बढ़ावा देती है।
(AI Generated Image)
इसके लक्षण कैसे होते हैं?
इससे प्रभावित मरीजों को अक्सर आंखों में असहजता, सूखापन और एलर्जिक कंजक्टिवाइटिस जैसे लक्षणों का अनुभव होता है। आंखों में रेडनेस, धुंधला दिखाई देना, लाइट सेंसिटिविटी और थकान महसूस होना आम लक्षण हैं। लंबे समय में, यह स्थिति कॉर्निया को नुकसान पहुंचा सकती है और दृष्टि समस्याओं को जन्म दे सकती है।
बचाव के क्या उपाय हैं?
इस स्थिति से बचाव के लिए प्रदूषकों से बचना सबसे जरूरी है। घर से बाहर निकलते समय धूप के चश्मे का इस्तेमाल, आंखों को बार-बार ठंडे पानी से धोना, और घर के अंदर की हवा शुद्ध रखना फायदेमंद हो सकता है। इलाज के तौर पर एंटी-इंफ्लेमेटरी आई ड्रॉप्स और टियर सब्स्टीट्यूट का इस्तेमाल किया जाता है। नियमित आंखों की जांच और हेल्दी डाइट भी आंखों के स्वास्थ्य के लिए जरूरी हैं।
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