पश्चिमी सिंहभूम में 20 में से 18 पीएमश्री विद्यालयों में अनियमितता, बिना आपूर्ति लाखों का भुगतान, जानिए जांच दल ने कैसे किया खुलासा...

Chikheang 6 hour(s) ago views 920

  

फाइल फोटो।



जागरण संवाददाता, चाईबासा। पश्चिमी सिंहभूम जिले के पीएमश्री विद्यालयों में लगभग 2 करोड़ रुपये खर्च की जांच में भारी अनियमितताएं सामने आई हैं। जिला दंडाधिकारी के निर्देश पर गठित तीन सदस्यीय जांच दल ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट में बताया है कि 20 में से 18 विद्यालयों में वित्तीय अनियमितता, खरीद प्रक्रिया में लापरवाही, बिना कार्य आदेश भुगतान और नियमों का उल्लंघन किया गया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

रिपोर्ट को जिला स्तर से राज्य परियोजना निदेशक को भेज दिया गया है। जांच दल के मुताबिक अधिकांश विद्यालयों में क्रय समिति समय पर गठित नहीं की गई।

कई जगह समिति जांच टीम के गठन के बाद कागजों में तैयार दिखा दी गई। जनरल फाइनेंशियल रुल्स-2017 के प्रावधानों की पूरी तरह अनदेखी हुई।


एक ही संवेदक को अधिकतर काम, एल-1 प्रक्रिया का पालन नहीं

जांच में यह भी सामने आया कि एक ही संवेदक को योजनाबद्ध तरीके से अधिकांश गतिविधियों का कार्य दिया गया। एल-1 चयन प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। समिति ने इसे “पूर्व नियोजित व्यवस्था” करार दिया।

कई विद्यालयों में बिना वर्क आर्डर जारी किए ही संवेदकों को भुगतान कर दिया गया। जांच टीम ने इसे स्पष्ट वित्तीय अनियमितता बताया है। कुछ मामलों में भुगतान संवेदक के बजाय प्रधानाध्यापक के निजी बैंक खाते में किया गया। टीम ने इसे जिला व विद्यालय स्तर की मिलीभगत बताया।  
भौतिक सत्यापन में खुली पोल, सामान मिला ही नहीं

निरीक्षण के दौरान पाया गया कि कई विद्यालयों में स्वीकृत सामग्री नहीं मिली, कार्य अधूरे थे या शुरू ही नहीं किए गए। स्टाक रजिस्टर तक में प्रविष्टियां नहीं थीं। इससे साफ है कि कागजों पर खरीद दिखाकर भुगतान किया गया।

विभिन्न स्कूलों में छात्रों के एक्सपोजर विजिट के नाम पर बस भाड़ा, भोजन और अन्य खर्च दिखाकर लाखों रुपये निकाल लिए गए। जांच टीम ने कहा कि यह गतिविधि कराई ही नहीं गई और इसका सत्यापन भविष्य में संभव भी नहीं।  
सेल्फी प्वाइंट के लिए 25 हजार स्वीकृति, 5 हजार में ‘पूरा काम’

पीएमश्री ब्रांडिंग सेल्फी प्वाइंट पर 25 हजार रुपये स्वीकृत हुए थे। जांच के अनुसार कई विद्यालयों में 5 हजार से भी कम लागत का माडल लगाकर पूरा भुगतान दिखा दिया गया।

विभाग से धनराशि 17 मार्च को मिली, जबकि 19 मार्च को जिला स्तर से प्रधानाध्यापकों को बिल शीघ्र जमा करने का निर्देश दिया गया। इसके बाद 28 मार्च को वित्तीय वर्ष समाप्त होने से ठीक पहले अधिकांश भुगतान एक साथ कर दिए गए। प्रधानाध्यापकों ने बयान दिया कि उन्हें चेतावनी मिली थी कि यदि पैसा वापस गया तो कार्रवाई होगी।  
कितनी गतिविधियां अधूरी मिलीं?

कुल 34 स्वीकृत गतिविधियों में से अधिकांश स्कूलों में 25–26 अधूरी अवस्था में पाई गईं। कई विद्यालयों में हर्बल गार्डन नहीं, कम्पोस्टिंग यूनिट नहीं, स्पोर्ट्स किट नहीं, डिजिटल सामग्री नहीं और अन्य स्वीकृत कार्य कागजों में ही दर्ज मिले।  


जांच दल ने कहा क‍ि जिला एवं विद्यालय स्तर के पदाधिकारियों ने सामान्य वित्तीय नियमावली (जनरल फाइनेंशियल रुलस) नियमों की अनदेखी करते हुए संवेदकों के साथ मिलीभगत में बिना कार्य व बिना सामग्री आपूर्ति के भुगतान किए। यह गंभीर वित्तीय अनियमितता है। समिति ने संबंधित प्रधानाध्यापक, पीएमश्री जिला कोऑर्डिनेटर, लेखापाल व जिला स्तर के पदाधिकारियों पर विभागीय कार्रवाई की अनुशंसा की है।
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