संसद में होगी वंदे मातरम पर बहस, BJP ने दिए विपक्ष पर करारे प्रहार के संकेत; निशाने पर कांग्रेस

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संसद में राष्ट्रगीत पर चर्चा से पहले ही तीखी टिप्पणी के साथ भाजपा ने दिए विपक्ष पर करारे प्रहार के संकेत (फाइल फोटो)



जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। वंदे मातरम पर संसद में विमर्श के दौरान राजनीतिक पारा किस हद तक बढ़ सकता है, इसके संकेत पहले ही मिलने लगे हैं। अपनी तीखी टिप्पणी में भाजपा सांसद व राष्ट्रीय प्रवक्ता डा. संबित पात्रा ने दावा किया कि नेहरू ने लिखा था कि वंदे मातरम मुस्लिम समाज को \“इरिटेट\“ कर सकता है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

सोमवार को जब वंदे मातरम को लेकर संसद में विमर्श होगा तो नेहरू का यह झूठा और विकृत सेकुलरिज्म सबके समक्ष आएगा और एक बार पुन: उनकी सच्चाई सामने आएगी। इसके साथ ही भाजपा नेता ने कहा कि कांग्रेस ने यदि चयन प्रक्रिया का सही से पालन किया होता तो पंडित नेहरू देश के पहले प्रधानमंत्री नहीं होते।
सोनिया गांधी के आरोपों का भाजपा ने दिया जवाब

भाजपा सांसद डॉ. पात्रा ने वरिष्ठ कांग्रेस नेता सोनिया गांधी द्वारा भाजपा पर नेहरू जी की विरासत को मिटाने के आरोप पर उत्तर दिया। कहा कि केवल पंडित जवाहरलाल नेहरू की स्मृति, उनकी छवि और उनकी तथाकथित विरासत को जीवित रखने के प्रयास में कांग्रेस ने सरदार पटेल से लेकर सुभाष चंद्र बोस और बाबा साहब आंबेडकर तक न जाने कितने महान नेताओं की विरासत को समाप्त किया है।

डॉ. पात्रा ने एक कार्टून प्रदर्शित करते हुए दावा किया कि यह 2012 तक एनसीईआरटी की पुस्तकों में शामिल था। उसमें पंडित जवाहरलाल नेहरू को कोड़ा चलाते हुए और बाबा साहेब आंबेडकर को संविधान का निर्माण करते हुए दिखाया गया है।

भाजपा सांसद ने कहा कि संसद में जब वंदे मातरम को लेकर चर्चा होगी तो उस दौरान पंडित नेहरू की वास्तविक भूमिका भी देश के सामने और अधिक स्पष्ट होकर आएगी। उन्होंने दावा किया कि पंडित नेहरू ने कांग्रेस वर्किंग कमेटी की प्रस्तावित बैठक से ठीक छह दिन पहले ही \“आनंद मठ\“ का अध्ययन किया और वह भी किसी भारतीय भाषा में नहीं, बल्कि अंग्रेजी संस्करण के माध्यम से पढ़ा, जबकि आनंद मठ का अनुवाद 1905 के आसपास ही अनेक भारतीय भाषाओं में हो चुका था।
संबित पात्रा का कटाक्ष

इसके बावजूद नेहरू ने स्वयं स्वीकार किया कि उन्होंने बड़ी कठिनाई से अंग्रेजी संस्करण प्राप्त किया और वही पढ़ा तथा वंदे मातरम को समझने के लिए उन्हें शब्दकोश की सहायता लेनी पड़ी। डा. पात्रा ने कटाक्ष किया कि नेहरू की विरासत को मिटाने की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि जो व्यक्ति इस स्तर की सरल भावना को भी नहीं समझ पाया, वह विरासत गढ़ने वाला हो ही नहीं सकता।

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