नई दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर रविवार को लगेज का ढेर लग गया है, जहां उड़ानों में व्यवधान और रद्दीकरण के कारण इंडिगो यात्री लगातार परेशान हो रहे हैं। (एएनआई वीडियो ग्रैब)
गौतम कुमार मिश्रा, नई दिल्ली। यात्रियों के लिए इंडिगो की उड़ानों के रद होने से जुड़ी परेशानी भले ही धीरे-धीरे कम हो रही है, लेकिन लगेज की बात करें तो यहां अभी भी मारामारी की स्थिति है। कई ऐसे भी लोग हैं, जो एक, दो या तीन नहीं बल्कि पूरे पांच दिन बीत जाने के बाद भी लगेज के इंतजार में हैं। इनमें से कई जहां अपने गंतव्य पर पहुंचने के बाद इंतजार कर रहे हैं तो कई ऐसे हैं जो अपने स्वजन को रोजाना एयरपोर्ट भेजकर बस किसी तरह लगेज पाने की जुगत में हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
लगेज घर पहुंचाने का किया वादा
गुजरात के सूरत में रहने वाले किरण व विभा गांधी तीन दिसंबर को वाराणसी से खजुराहो हाेते हुए आईजीआई एयरपोर्ट पहुंचे थे। यहां से उसी दिन इनकी उड़ान सूरत के लिए थी। मगर तीन तारीख को उड़ान रद हुई। बाद में इसे रिशेडयूल करके पांच दिसंबर किया गया लेकिन पांच तारीख को एयरपोर्ट पहुंचने में पता चला कि टर्मिनल के भीतर इंडिगो के यात्रियों को प्रवेश करने ही नहीं दिया जा रहा है। कस्टम केयर से कई बार की कोशिश के बाद इन्हें आश्वस्त किया गया कि आपका लगेज आपके घर पर पहुंचा दिया जाएगा।
कुछ लगेज हो गए गायब
उड़ान कब मिलेगी, इसका कोई उत्तर नहीं मिला। बाद में किरण ने किसी तरह सामान्य किराए से तीन गुना अधिक किराया देकर बस की टिकट अहमदाबाद के लिए ली। बदकिस्मती देखिए, यहां भी लेटलतीफी ने इनका पीछा नहीं छोड़ा। तय समय से करीब तीन घंटे बाद बस आई। खैर किसी तरह अहमदाबाद पहुंचे लेकिन दिल्ली में रहते हुए इन्होंने अहमदाबाद से सूरत के लिए जो टैक्सी बुक की थी, वह तय समय के बीतते ही निकल गई। यहां भी इन्हें जबरदस्त घाटा हुआ।
बाद में किसी तरह अहमदाबाद से सूरत रविवार को सुबह साढ़े नौ बजे पहुंचे। उम्मीद थी कि लगेज पहुंच गया होगा लेकिन यह क्या लगेज नहीं इन्हें लगेज की कुछ तस्वीर वाटसएप पर मिलीं। पूछा गया कि यह लगेज आपका ही है न। किरण बताते हैं कि जो लगेज की तस्वीर भेजी गई है, वह इन्हीं की है लेकिन कुछ लगेज गायब हैं। इसके बाद बार-बार की कोशिश के बाद भी इंडिगो के कस्टमर केयर से इनका संपर्क नहीं हो पा रहा है।
कहा-इंडिगो ने किया यात्रियों से धोखा
किरण बताते हैं कि इंडिगो प्रकरण ने पूरे विमानन प्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं। इंडिगो को दिसंबर की शुरुआत से ही पता चल गया होगा कि यह समस्या आने वाली है, लेकिन उसने इस समस्या से नियामक एजेंसियों व ग्राहकों को अवगत कराने की जरुरत नहीं समझी। यह इंडिगो की नैतिकता व उसकी पेशेवर सोच पर सवाल खड़े करता है। पहले आपने ग्राहकों से मुंह मोड़ा और अब उनका लगेज वापस नहीं दे रहे हो, यह सरासर धोखा है।
साथ के अन्य 15 लोगों को भी नहीं मिला लगेज
किरण की पत्नी विभा बताती हैं कि लगेज में उनकी जरुरी दवाइयां हैं। वाराणसी मंदिर का प्रसाद है, जो उन्होंने अपने स्वजन व पड़ोसियों के लिए खरीदा था, अब उसका क्या होगा। यह आस्था के साथ भी खिलवाड़ है। यात्रियों को जो परेशानी हुई और जो हाे रही है, उसके लिए कौन जिम्मेदार है, जिम्मेदार को क्या सजा मिली, यह जानने का हम सभी को हक है।
हम लाेग अब शायद ही इंडिगो की उड़ानों पर भरोसा कर सकें। बता दें कि किरण व विभा गुजरात के सूरत से तीर्थाटन के लिए निकले यात्रियों के जत्त्थे में शामिल लोग हैं। जत्थे में इनके साथ सूरत के करीब 15 लोग और थे। इनमें से किसी को भी लगेज अभी तक नहीं मिला है।
छोटी-छोटी जानकारी के लिए भटक रहे लोग
टर्मिनल एक के टिकट काउंटर को कई लोग इंक्वायरी काउंटर समझते हैं। यहां कतार में लगे लोगों में कई ऐसे हैं जो केवल और केवल लगेज के बारे में जानकारी लेने आए हैं। लंबे समय कतार में खड़े होने के बाद जब ऐसे लोगों की बारी आती है तो उन्हें कहा जाता है कि लगेज के बारे में वे कुछ भी नहीं बता सकते।
ऐसे लोगों का सवाल है कि आखिर हमें जानकारी कहां मिलेगी? सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए हमें टर्मिनल के अंदर प्रवेश नहीं दिया जाता है। ऐसे में बेहतर तो यह होता कि इंडिगो एक सहायता काउंटर फोरकोर्ट एरिया में खोले जहां लोगों को अपने सवालों का उत्तर मिल सके। भले ही लगेज नहीं मिले, लेकिन लगेज कहां है, सुरक्षित है या नहीं, इसका तो पता चले।
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