प्रदेश में आधे से कम ‘निपुण’ विद्यालय, बेसिक शिक्षा विभाग के लिए बड़ी चुनौती

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बच्चों के पढ़ने-समझने और लेखन कौशल पर विशेष जोर



विवेक राव, जागरण, लखनऊ: कक्षा तीन तक हर बच्चे में बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मकता कौशल (एफएलएन) को मजबूत करने के लिए चल रहा निपुण भारत मिशन अभी भी अपनी पूरी गति नहीं पकड़ सका है।

प्रदेश में 1,11,585 प्राथमिक विद्यालयों में से केवल 48,061 स्कूल (43 प्रतिशत) ही ‘निपुण’ घोषित हो पाए हैं, जबकि 46,917 विद्यालयों ने निपुण लक्ष्य हासिल करने के लिए कोई प्रयास तक नहीं किया है। यह स्थिति बेसिक शिक्षा विभाग के लिए बड़ी चुनौती बनकर सामने आई है, खासकर तब जब सरकार ने वर्ष 2027 तक हर स्कूल को निपुण बनाने का लक्ष्य तय किया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

निपुण भारत मिशन के जरिये कक्षा तीन तक के हर बच्चे को पढ़ने, लिखने और बुनियादी गणित की समझ हासिल कराना है। इसके लिए बेसिक शिक्षा विभाग ने प्रशिक्षण, सुपरविजन और संसाधनों पर लगातार निवेश किया है, फिर भी 46 हजार से अधिक विद्यालयों का निपुण मिशन से दूर रहना सबसे बड़ी बाधा है। विभाग के मुताबिक इस वर्ष निपुणता आकलन का दायरा भी बढ़ाया गया।

दिसंबर 2024 और फरवरी 2025 में डीएलएड प्रशिक्षुओं की मदद से 68,352 विद्यालयों का आकलन हुआ, जिसमें 74 प्रतिशत स्कूल निपुण श्रेणी में पाए गए। पिछले शैक्षिक सत्र 2023-24 में जहां केवल 16,169 विद्यालय निपुण बने थे, वहीं इस वर्ष यह संख्या बढ़कर 48,061 हो गई है, जो तीन गुणा से अधिक बढ़ोतरी है।

शैक्षिक सत्र 2024-25 में 4.53 लाख शिक्षक और शिक्षामित्रों को चार दिवसीय एफएलएन प्रशिक्षण दिया गया। हर विकासखंड में पांच एकेडमिक रिसोर्स पर्सन (एआरपी) और हर जिले में तीन सदस्यीय स्टेट रिसोर्स ग्रुप (एसआरजी) का गठन किया गया। मिशन की गति बढ़ाने के लिए 150 स्व-प्रेरित खंड शिक्षा अधिकारियों को जोड़ा गया।

एक लाख विद्यालयों में सपोर्टिव सुपरविजन किया गया। एनईपी-2020 और एनसीएफ-एफएस के अनुरूप संशोधित निपुण लक्ष्य लागू किए गए हैं, जिनमें बच्चों के पढ़ने-समझने और लेखन कौशल पर विशेष जोर है।
जौनपुर सबसे आगे, झांसी सबसे पीछे

जिलों के प्रदर्शन में बड़ा अंतर देखने को मिला है। बेहतर प्रदर्शन करने वाले जिलों में जौनपुर पहले नंबर पर रहा, जहां 1904 में से 1578 विद्यालय (74 प्रतिशत) निपुण घोषित हुए। गौतम बुद्ध नगर (72 प्रतिशत), कासगंज (70 प्रतिशत), वाराणसी (69 प्रतिशत) और भदोही (69 प्रतिशत) भी शीर्ष जिलों में शामिल रहे। वहीं सबसे कमजोर प्रदर्शन झांसी का रहा, जहां केवल 16 प्रतिशत विद्यालय ही निपुण बन सके। इसके अलावा मुजफ्फरनगर (24 प्रतिशत), बदायूं (24 प्रतिशत) और बलिया (29 प्रतिशत) भी कमजोर जिलों की श्रेणी में हैं।
2027 तक सभी स्कूल निपुण बनाने का रोडमैप

बेसिक शिक्षा विभाग ने 2027 तक सभी विद्यालयों को निपुण बनाने की योजना बनाई है। इसके लिए शिक्षक संदर्शिका और संरचित पाठ योजना के उपयोग पर जोर दिया जा रहा है। 25 सप्ताह की संरचित योजना तैयार की गई है, जिसमें चार दिन नियमित शिक्षण, एक दिन फार्मेटिव आकलन और एक दिन रिमीडियल गतिविधियों के लिए तय किया गया है।

4.5 लाख शिक्षकों को पांच दिवसीय प्रशिक्षण देने और अगले सत्र से और बेहतर एफएलएन आधारित प्रशिक्षण लागू करने की तैयारी है। स्कूल स्तर पर आनसाइट सपोर्ट, सहकर्मी शिक्षण (पीयर लर्निंग), एआरपी-एसआरजी-डायट टीमों की नियमित स्कूल विजिट और संवाद को भी प्रणाली का हिस्सा बनाया गया है।
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