जागरण संवाददाता, हाथरस। बूलगढ़ी प्रकरण में न्यायालय से बरी हुए तीन युवकों को दुष्कर्मी कहने पर राहुल गांधी के खिलाफ एमपी-एमएलए कोर्ट में दाखिल परिवाद पर गुरुवार को सुनवाई हुई। न्यायालय ने सीओ सादाबाद को प्रारंभिक जांच के आदेश दिए थे। जांच आख्या न आने पर न्यायालय ने सुनवाई के लिए पांच जनवरी की तिथि नियत की है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
बूलगढ़ी में अनुसूचित जाति के परिवार की युवती पर 14 सितंबर 2020 को हमला हुआ था। इसके भाई ने गांव के ही संदीप के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। बाद में युवती के बयानों के आधार पर गांव के ही रवि, रवि, रामू और लवकुश के नाम और धाराएं बढ़ाई गईं। 29 सितंबर 2020 को युवती की दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में मौत के बाद देशभर में प्रदर्शन हुए।
सीबीआई ने प्रकरण की जांच की और आरोप पत्र विशेष न्यायालय एससी-एसटी अधिनियम में दाखिल किया। स्थानीय न्यायालय से रवि, लवकुश, रामू को निर्दोष माना और दो मार्च 2023 को बरी कर दिया गया। मुख्य आरोपित संदीप को धारा 304 और एससी-एसटी एक्ट के तहत दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। वह जेल में है।
मृतक युवती से स्वजन से मिलने राहुल गांधी 12 दिसंबर 2024 को बूलगढ़ी आए थे। इसके बाद उन्होंने इंटरनेट मीडिया पर पोस्ट कर पीड़ित परिवार की सुरक्षा को लेकर आरोप लगाए। संसद में भी यह मामला उठाया। इसको लेकर रवि, रामू और लवकुश ने अधिवक्ता मुन्ना सिंह पुंढीर के माध्यम से राहुल गांधी को 50-50 लाख के मानहानि के नोटिस भिजवाए थे।
नोटिस में कहा राजनीतिक दलों के हस्तक्षेप के कारण रवि, लवकुश और राम कुमार उर्फ रामू को सुनियोजित साजिश के तहत इस मामले में शामिल किया गया। तीनों युवकों को ढाई वर्ष से अधिक समय जेल में रखा गया।
इस प्रकरण में दुष्कर्म, हत्या के आरोप अदालत में साबित नहीं हुए। इसके बावजूद राहुल गांधी ने राजनीति के तहत एक्स पर पोस्ट में लिखा है कि रेप पीड़िता के परिवार को घर में बंद रखना और गैंगरेप के आरोपितों के खुलेआम घूमना बाबा साहेब के संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। |