मुकुल मिश्रा, हापुड़। उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी की मौत के बाद दो महिलाओं ने खुद को उसकी पत्नी बताते हुए मृत्यु प्रमाण पत्र दाखिल किया था। दोनों ने मृतक आश्रित में नौकरी पाने और ग्रेच्युएटी का लाभ लेने के लिए मृत्यु प्रमाण पत्र दाखिल किए थे। इस मामले में सिविल न्यायालय में भी वाद दायर किया गया था। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
वहीं, जांच में हापुड़ से बना मृत्यु प्रमाण पत्र फर्जी पाया गया है। इस मामले में मृतक कर्मचारी की कथित पहली पत्नी और मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने वाले अधिकारियों को आरोपी बनाया गया है। न्यायालय ने महिला और तीन अधिकारियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने के आदेश दिए हैं जबकि, तत्कालीन एसडीएम शुभम श्रीवास्तव व तहसीलदार प्रवीण कुमार काे दोषमुक्त करार दिया है।
स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी की माैत के बाद अगस्त में दिलचस्प मामला सामने आया था। मृतक आश्रित में नौकरी पाने के लिए कर्मचारी की पत्नी बनकर दो महिलाएं सामने आई थीं। इनमें एक चमोली की रहने वाली है और दूसरी हापुड़ की निवासी है।
वहीं, दोनों महिलाओं ने कर्मचारी का मृत्यु प्रमाण-पत्र दाखिल किया था। कर्मचारी की असली पत्नी का निर्धारण होने तक विभाग ने नियुक्ति रोक दी गई थी।
यह था मामला
उत्तराखंड के चमोली जिले के थाना गोपेश्वर की रहने वाली चंद्रकला वर्मा ने सिविल न्यायालय में वाद दायर किया था। चंद्रकला ने बताया था कि उनका विवाह बुलंदशहर जिले के स्याना के रहने वाले अरुण वर्मा से 20 साल पहले हुआ था। अरुण वर्मा गोपेश्वर जिला चिकित्सालय में वरिष्ठ नर्सिंग अधिकारी थे। एक जून 2024 को ड्यूटी पर ही हार्टअटैक से उनकी मृत्यु हो गई थी।
पोस्टमार्टम के बाद अंतिम संस्कार करा दिया गया। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कर्णप्रयाग से 19 जून 2024 को मृत्यु प्रमाणपत्र जारी किया गया। पति के स्थान पर मृतक आश्रित में नौकरी व परिवार के भरण-पोषण के लिए उन्होंने आवेदन किया। तब सामने आया कि हापुड़ के स्वर्ग आश्रम रोड पर स्थित राजनगर कालोनी की रहने वाली मीना वर्मा ने मृतक की पत्नी बताते हुए नौकरी के लिए आवेदन किया हुआ है। उसने हापुड़ में अंतिम संस्कार होना दिखाकर पालिका से बना मृत्यु प्रमाण पत्र जमा कराया था। यह प्रमाण पत्र एक महीने बाद 19 जुलाई 2024 को जारी किया गया था।
चंद्रकला ने बताया कि वह कर्मचारी की असली पत्नी है। उसके तीन बच्चे हैं। जब पति अरुण वर्मा की मृत्यु गोपेश्वर में हुई, पोस्टमार्टम भी हुआ, तो हापुड़ नगर पालिका ने किस आधार पर मृत्यु प्रमाणपत्र जारी कर दिया।
आश्चर्यचकित रह गए अधिकारी
मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए मृतक का आधार कार्ड, श्मशान घाट की पर्ची, आवेदक का आधार कार्ड, चार गवाहों के आधार कार्ड व उनकी संस्तुति व सभासद के लेटरहेड पर संस्तुति चाहिए होता है। इसके बाद पालिका कार्यालय से कर्मचारी मौके पर जाकर सत्यापन करता है। फाइल में सभी के फोटो लगते हैं।
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फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद पालिका के अधिकारियों ने संबंधित फाइल खंगाली। अधिकारी यह देखकर आश्चार्यचकित रह गए कि फाइल की औपचारिकताओं को पूरा किया गया था। उसमें चौराखी श्मशान स्थल की पर्ची व सभासद अमित शर्मा मोनू बजरंग के लेटरहेड पर मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने के लिए आवेदन लिखा गया था। सवाल यह भी था कि जब एक मृत्यु प्रमाण पत्र बन गया और देशभर का पोर्टल एक है, तब दूसरा कैसे जारी हो गया।
हापुड़ से बना फर्जी प्रमाण पत्र
न्यायालय ने मृत्यु प्रमाण पत्र की जांच के आदेश दिए थे। जांच में सामने आया कि हापुड़ से जारी मृत्यु प्रमाण पत्र फर्जी है। इस मामले में न्यायालय ने मृतक कर्मचारी की कथित पत्नी मीना वर्मा, इस मामले में जांच करने वाले सफाई नायक राजीव कुमार, राजस्व निरीक्षक अमरपाल सिंह और लेखपाल गंगा प्रसाद पटेल के खिलाफ फर्जीवाड़ा करने की रिपोर्ट दर्ज करने के आदेश दिए हैं। सीओ वरुण मिश्रा ने बताया कि आदेशों के आधार पर रिपोर्ट दर्ज कर अग्रिम कार्रवाई की जाएगी। |