LHC0088 • 2025-12-5 10:06:44 • views 709
नरेश कुमार, नैनीताल। दीया तले अंधेरा वाली कहावत जिले में पर्यटन विभाग पर खूब बैठती है। भले ही पर्यटन गतिविधियों के बूते विभाग ने जिले को देशविदेश में पहचान दिलाई हो, लेकिन स्थापित होने के बाद से विभाग अपने लिए खुद का कार्यालय भवन तक नहीं बना पाया। यह आलम तब है जब इस वर्ष भी विभाग की ओर से भेजे गए प्रस्ताव को शासन ने मंजूरी देते हुए 1.43 करोड़ बजट भी उपलब्ध करा दिया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
केएमवीएन को कार्यदायी संस्था बनाने के बाद टेंडर भी हो चुके है लेकिन केएमवीएन के तल्लीताल पर्यटन आवास गृह के समीप चयनित भूमि पर निर्माण कार्य जिला विकास प्राधिकरण की स्वीकृति नहीं मिलने से निर्माण लटका हुआ है। अब पर्यटन विभाग कार्यालय पर बेदखली की तलवार भी लटक रही है। 68 सालों से किराये के भवन में चल रहे कार्यालय को तीन साल में खाली कराने का नोटिस न्यायालय से मिला है। जिसमें एक साल बीत चुका है।
ब्रिटिशकाल से ही पर्यटन कारोबार जिले की रीढ़
ब्रिटिशकाल से ही पर्यटन कारोबार जिले की रीढ़ रहा है। पर्यटन कारोबार की महत्ता को देखते हुए अविभाजित उत्तर प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्र में पहला पर्यटन कार्यालय नैनीताल में खुला था। 1957 में मालरोड स्थित एक किराये के भवन में कार्यालय की शुरुआत की गई थी। हालांकि इस दौरान इस भवन में रेलवे काउंटर व परिवहन विभाग का कार्यालय भी हुआ करता था। 70 के दशक में दोनों विभागों के कार्यालय भवनों की व्यवस्था कर उन्हें विस्थापित कर दिया गया लेकिन पर्यटन कार्यालय के अच्छे दिन नहीं आ सके।
बीते दो दशकों में कई बार भूमि चयन के बाद प्रस्ताव भी बने, लेकिन विभाग को अपना कार्यालय भवन नसीब नहीं हो सका। 2022 में एक बार फिर भूमि चयन व प्रस्ताव बनाने की प्रक्रिया शुरु हुई। इस बार तल्लीताल केएमवीएन आवास गृह के समीप भूमि चयनित कर प्रस्ताव शासन भेजा गया तो उसे इस वर्ष स्वीकृति भी मिल गई। अगस्त माह में शासन ने 1.43 करोड़ का बजट आवंटित कर केएमवीएन को कार्यदायी संस्था भी तय कर दिया। लेकिन निविदा प्रक्रिया होने के बाद भी जिला विकास प्राधिकरण से स्वीकृति नहीं मिलने के कारण कार्यालय भवन का निर्माण अब भी अटका हुआ है।
बेदखली की लटक रही तलवार
पर्यटन विभाग का कार्यालय मालरोड स्थित एक किराये के भवन में संचालित हो रहा है। वर्षों पुराना भवन अब जीर्णक्षीर्ण हो चुका है। कई बार भवन स्वामी के नोटिसों के बाद भी विभाग की ओर से भवन खाली नहीं कराया गया। मामला न्यायालय भी पहुंचा तो तीन साल में भवन खाली कराने के आदेश मिले।
एक साल बीतने के बाद अब विभाग के पास दो साल ही शेष है। ऐसे में चयनित भूमि पर स्वीकृति नहीं मिलने से निर्माण पर संशय बना हुआ है। यदि समय रहते निर्माण नहीं हुआ तो नैनीताल से पर्यटन कार्यालय के अन्यत्र विस्थापित होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
कार्यालय भवन निर्माण के लिए बजट मिल चुका है। निर्माण के लिए प्राधिकरण की स्वीकृति नहीं मिल पाई है। मामले में जिला प्रशासन के साथ वार्ता की जानी है। जिसके बाद ही कार्यालय निर्माण को लेकर स्थिति स्पष्ट हो पायेगी।
अतुल भंडारी, जिला पर्यटन विकास अधिकारी। |
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