deltin33 • 2025-12-4 13:38:13 • views 219
रुपये में गिरावट आम आदमी के लिए चिंताजनक
नई दिल्ली। बुधवार को डॉलर के मुकाबले रुपया (Rupee Dollar News) पहली बार 90 के अहम लेवल को पार कर गया। माना जा रहा है कि इससे देश में महंगाई बढ़ सकती है। डॉलर के मुकाबले रुपये के कमजोर होने से कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स, ब्यूटी और कार कंपनियां कीमतें बढ़ा सकत हैं। इससे जीएसटी में कटौती के बाद इन सेगमेंट में हुई अच्छी बिक्री का ट्रेंड पलट सकता है।
जानकारों के अनुसार जो कंपनियां इंपोर्टेड पार्ट्स या पूरी तरह से इंपोर्टेड प्रोडक्ट्स पर निर्भर हैं, वे बहुत परेशान हैं। कई कंपनियों ने 22 सितंबर से लागू होने वाले गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST Rate Cut) में कटौती के बाद सरकारी जांच के डर से, कच्चे माल की बढ़ती लागत के बावजूद कीमतें बढ़ाने की योजना को टाल दिया था। मगर अब हालात बदल सकते हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
कौन से प्रोडक्ट्स हो सकते हैं महंगे
रिपोर्ट्स के अनुसार स्मार्टफोन, लैपटॉप, टीवी और बड़े अप्लायंसेज मेकर कंपनियां दिसंबर-जनवरी से कीमतों में 3-7% तक का इजाफा कर सकती हैं। दरअसल कमजोर रुपये (Rupee vs Dollar) की वजह से मेमोरी चिप्स, कॉपर और दूसरे पार्ट्स की कीमतें बढ़ेंगी, जिनसे निपटने के लिए कंपनियों को प्रोडक्ट्स महंगे करने पड़ सकते हैं। यानी रुपया का कमजोर होना अंत में आम आदमी के लिए ही मुसीबत बनेगा।
इन कैटेगरी में प्रोडक्शन कॉस्ट का 30-70% हिस्सा इम्पोर्टेड इनपुट का होता है।
बदल गए समीकरण
रिपोर्ट्स के अनुसार इंडस्ट्री अधिकारियों के मुताबिक उन्होंने यह मानकर लागत का बेंचमार्क तय किया था कि रुपया 85-86 प्रति डॉलर पर रहेगा, लेकिन ये 90 तक पहुंच गया है, जिसने उन्हें अनुमान बदलने पर मजबूर कर दिया है।
इस बीच हैवेल्स ने LED TV की कीमतों में 3% की बढ़ोतरी का संकेत दिया है, सुपर प्लास्ट्रोनिक्स जनवरी से एयर-कंडीशनर और रेफ्रिजरेटर की कीमतों में 7-10% और गोदरेज अप्लायंसेज 5-7% की बढ़ोतरी कर सकती है। जनवरी से एनर्जी एफिशिएंसी रेटिंग में सिंगल-टियर सख्ती से दबाव बढ़ेगा।
अगर रुपये में गिरावट जारी रही तो...
अगर रुपया और गिरता रहा, तो इंडस्ट्री की ओर से मार्च तिमाही में कीमतों में बढ़ोतरी का एक और दौर आ सकता है। GST कटौती से कीमतों में की गयी कटौती पूरी तरह खत्म हो जाएगी, लेकिन जानकारों के अनुसार कंपनियों के पास कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा है।
अगर कीमतें फिर से बढ़ती हैं, तो इससे मांग और खपत में कमी आ सकती है।
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