सरकार ने स्मार्टफोन कंपनियों को संचार साधी ऐप प्री इंस्टॉल के आदेश पर उठे सवालों का जवाब दिया है। वरिष्ठ अधिकारी ने Moneycontrol को बताया कि इससे प्राइवेसी या जासूसी का कोई खतरा नहीं है। यह ऐप धोखाधड़ी रोकने में मदद करता है और टेलीकॉम साइबर सिक्योरिटी नियम 2024 के तहत कानूनी है। विवाद के बीच यह ऐप काफी पॉपुलर भी हो गया है। पहले रोज 60,000 डाउनलोड होते थे, अब 6 लाख हो गए हैं। आदेश से पहले ही 1.5 करोड़ लोगों ने इसे डाउनलोड कर लिया था।
28 नवंबर के आदेश में कहा गया है कि नए स्मार्टफोन में संचार साधी ऐप पहले से डाला जाए यानी कंपनियां उसे प्री इंस्टॉल कर के दें। पुराने फोन में अपडेट से इस ऐप को डालना होगा। पहली बार इस्तेमाल के समय ऐप दिखना चाहिए और कंपनियां इसे बंद न करें। हालांकि, टेलीकॉम मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने साफ कहा कि ये ऐप वैकल्पिक है और यूजर इसे डिलीट कर सकते हैं।
ऐप से प्राइवेसी का कोई जोखिम नहीं
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अधिकारी बोले, “ऐप से प्राइवेसी का कोई जोखिम नहीं। कंपनियों को सिर्फ यह सुनिश्चित करना है कि ऐप दिखे और काम करे। यूजर इसे हटा सकते हैं।“ यह सिर्फ कंपनियों पर लागू होता है, यूजर पर नहीं। कोई भी इसे अनइंस्टॉल कर सकता है।
अधिकारी ने कहा, “इसका सीधा मतलब है कि मोबाइल कंपनियां ऐप को छुपाकर, खराब करके या अधूरा इंस्टॉल करके बाद में यह दावा नहीं कर सकतीं कि उन्होंने नियमों का पालन किया है। ऊपर दिए गए नियम में कहीं भी यह नहीं लिखा है कि संचार साथी ऐप को यूजर अनइंस्टॉल नहीं कर सकता।
उन्होंने कहा, “यह पूरी तरह नागरिक की इच्छा पर है कि वह संचार साथी ऐप को इस्तेमाल करना चाहता है या उसे हटाना चाहता है। अगर कोई यूजर इस ऐप का इस्तेमाल नहीं करना चाहता, तो वह इसे कभी भी अनइंस्टॉल या डिलीट कर सकता है- सरकार ने यह बात साफ तौर पर स्पष्ट कर दी है।”
सूत्रों ने बताया कि सरकार का यह निर्देश कानूनी और संवैधानिक रूप से पूरी तरह सही है। अधिकारी ने कहा, “यह निर्देश दूरसंचार अधिनियम 2023 के तहत बनाए गए टेलीकॉम साइबर सिक्योरिटी रूल्स 2024 (संशोधित) के अनुसार जारी किए गए हैं।”
संचार साथी को फोन का लिमिटेड एक्सेस
सूत्रों ने यह भी जोर देकर कहा कि संचार साथी ऐप को फोन के बेहद लिमिटेड डेटा का ही एक्सेस मिलता है, वो भी तभी जब यूजर हर बार किसी धोखाधड़ी की रिपोर्ट करते समय स्पष्ट रूप से अनुमति देता है।
ऐप वही परमिशन मांगता है, जो कई दूसरी ऐप्स भी लेती हैं। जैसे “फोन कॉल करना और मैनेज करना” ताकि रजिस्ट्रेशन से पहले यह पता चल सके कि फोन में कौन-सा एक्टिव सिम है, और SMS भेजने की अनुमति, ताकि यूजर वेरिफिकेशन पूरा किया जा सके।
एक सूत्र ने बताया, “यह सिर्फ एक बार भेजा जाने वाला SMS होता है, बिल्कुल वैसे ही जैसे बैंकिंग ऐप, UPI ऐप्स या मैसेजिंग प्लेटफॉर्म्स में OTP वेरिफिकेशन होता है। ऐप इस परमिशन का किसी और काम के लिए इस्तेमाल नहीं करती।”
ऐप कैमरा एक्सेस भी मांग सकता है, ताकि यह मोबाइल पैकेजिंग पर लिखे IMEI नंबर जैसी तस्वीरें ले सके, या फिर यूजर किसी संदिग्ध धोखाधड़ी का स्क्रीनशॉट अपलोड कर सके।
अधिकारियों ने साफ कहा कि ऐप को यूजर का कॉन्टैक्ट लिस्ट, दूसरी ऐप्स, लोकेशन, माइक्रोफोन, ब्लूटूथ या किसी भी निजी डेटा तक कोई एक्सेस नहीं है, जब तक कि यूजर खुद हर बार धोखाधड़ी की रिपोर्ट करते समय इसकी अनुमति न दे।
यूजर चाहें तो कभी भी ऐप की परमिशन वापस ले सकते हैं, अपना नंबर डीरजिस्टर कर सकते हैं या ऐप अनइंस्टॉल कर सकते हैं।
एक DoT अधिकारी ने दोहराया, “संचार साथी ऐप को फोन डेटा तक बहुत ही सीमित एक्सेस मिलता है, और वो भी सिर्फ इतना, जितना हर बार यूजर खुद अनुमति देता है।”
दो हिस्सों बंटी मोबाइल इंटस्ट्री
भारतीय ब्रांड जैसे Lava ने इस आदेश का स्वागत किया है और लागू करने की तैयारी कर रहे हैं। लेकिन Apple और कई बड़े चीनी कंपनियां अभी भी इस निर्देश की समीक्षा कर रही हैं और इसके विरोध की संभावना है। यह बात मनीकंट्रोल ने 1 दिसंबर को रिपोर्ट की।
Apple के लिए यह नियम मानना मुश्किल है, क्योंकि iOS में थर्ड-पार्टी ऐप्स को प्री-इंस्टॉल करने की सुविधा ही नहीं है और कंपनी पहले भी दुनिया भर में ऐसी सरकारी मांगों का विरोध करती रही है, यह कहते हुए कि यह यूजर की प्राइवेसी को प्रभावित करता है।
सूत्रों के मुताबिक, ऐप को प्री-लोड करने की बजाय Apple शायद ऐसा विकल्प सुझाए जिसमें यूजर्स को App Store से संचार साथी ऐप डाउनलोड करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए।
\“संचार साथी ऐप अनिवार्य नहीं, फोन से कर सकते हैं डिलीट\“ विपक्ष के बवाल के बीच केंद्रीय टेलीकॉम मंत्री सिंधिया ने दी सफाई |