Delhi blast: सोहना के जाफरपुर गांव निवासी साकिर खान को उनके मोबाइल फोन पर एक पिंग ने याद दिलाया कि उनकी कार की 21,730 रुपये की EMI 5 दिसंबर को देनी है। बता दें कि जनवरी में, खान परिवार ने एक बिल्कुल नई मारुति अर्टिगा को कैब के रूप में पंजीकृत कराकर घर लाया था। उन्हें उम्मीद थी कि यह एमयूवी उनके आय का एक भरोसेमंद स्रोत बनेगी और आर्थिक स्थिरता लाने में मदद करेगी।
लेकिन जैसे-जैसे साल खत्म हो रहा है, यह गाड़ी मौरिस नगर पुलिस स्टेशन परिसर के कबाड़खाने में पड़ी है, जो 10 नवंबर को लाल किले के पास हुए विस्फोट में जलकर राख हो गई थी, जिसमें 15 लोगों की जान चली गई थी और 28 लोग घायल हुए थे।
बीमा क्लेम करने में हो रहा मुश्किल
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जिंदगी और मौत से जूझने के बाद अस्पताल से छुट्टी पा चुके साकिर के लिए, जिंदगी की जंग अभी शुरू ही हुई है। दिल्ली सरकार द्वारा घोषित मुआवजा कहीं नजर नहीं आ रहा, और बीमा क्लेम के लिए जरूरी गाड़ी का कबाड़ भी मिलना मुश्किल हो रहा है।
हफ्तों तक पुलिस थानों से लेकर सब-डिवीजनल मजिस्ट्रेट के दफ्तरों तक दौड़ लगाने के बाद, साकिर और उसके जैसे कई लोगों ने अब वकील रखे हैं। उन्हें बस वही चाहिए जो वादा किया गया था: मुआवजा और अपनी रोजा-रोटी फिर से शुरू करने का जरिया।
\“दिल्ली ब्लास्ट ने मेरी जिंदगी बदल दी\“
साकिर ने बताया कि “विस्फोट ने मेरी जिंदगी हमेशा के लिए बदल दी। तीन हफ्तों से मैं कुछ भी नहीं कमा पा रहा हूं। मुझे EMI चुकानी है, मेरे बच्चों की स्कूल फीस बाकी है और मुझे अपने माता-पिता के इलाज के लिए पैसों की जरूरत है।“ उन्होंने आगे बताया कि उन्होंने वकील करने के लिए 6,000 रुपये उधार लिए थे।
“दूसरे कैब ड्राइवर भी बीमा प्रक्रिया शुरू करवाने के लिए वकीलों से संपर्क कर रहे हैं।“
मैं अपने परिवार का पेट कैसे भरूंगा- पीड़ित
ब्लास्ट में एक और जीवित बचे शहनवाज खान को गंभीर चोटें आईं, जिससे वह अब भी चल-फिर नहीं पाते। उनकी टैक्सी भी क्षतिग्रस्त हो गई। सरकारी राहत या बीमा मंजूरी के बिना, उनका परिवार खर्चों के पहाड़ तले दब रहा है। उन्होंने कहा, “मुझे नहीं पता कि मैं अपने परिवार का पेट कैसे भरूंगा। मेरी टैक्सी चली गई। हम दर-दर भटक रहे हैं, लेकिन कोई हमारी मदद नहीं कर रहा। मैं SDM कार्यालय और तीन पुलिस थानों के चक्कर लगा चुका हूं, लेकिन बीमा प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई। मुआवजा तो दूर की बात है।“
बढ़ती EMI, खत्म होती बचत और सरकार या जांचकर्ताओं की ओर से कोई स्पष्टता न मिलने के कारण, साकिर और शहनवाज जैसे टैक्सी चालकों ने कहा कि विस्फोट ने “शारीरिक चोटों से ज्यादा वित्तीय नुकसान पहुंचाया“। कई अन्य लोगों ने भी इसी तरह के निराशाजनक अनुभव बताए - एक ही लंबी कतार में खड़े रहना, बार-बार एक ही सवाल पूछना, और इस उलझन का सामना करना कि उनके द्वारा जमा किए गए दस्तावेजों पर कार्रवाई हो रही है या नहीं।
तीस हजारी कोर्ट में वकील राकेश कुमार, जो विस्फोट में बचे कई लोगों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, ने कहा कि वह पटियाला हाउस कोर्ट में वाहनों तक पहुंच की अनुमति के लिए एक आवेदन दायर करेंगे। उन्होंने कहा, “हमारा पहला उद्देश्य गाड़ियों के कबाड़ को मुक्त कराना है, ताकि हम बीमा दावे शुरू कर सकें। इसके बिना, ये परिवार आर्थिक रूप से उबरने की दिशा में पहला कदम नहीं उठा सकते।“
मुआवजा के लिए कागजी कार्रवाई पूरी
हालांकि, दिल्ली सरकार के अधिकारियों ने कहा कि देरी उनकी ओर से नहीं हुई है, और मुआवजा वितरण के लिए सभी जरूरी कागजी कार्रवाई पूरी कर ली गई है। एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “हमने अपनी तरफ से सारी प्रक्रिया पूरी कर ली है और दूसरी एजेंसियों से संपर्क कर रहे हैं। लेकिन जब तक राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) यह पुष्टि नहीं कर देती कि बचे हुए लोगों का विस्फोट के आरोपियों से कोई संबंध नहीं है, तब तक मुआवजा जारी नहीं किया जा सकता।“
हालांकि, बचे हुए लोगों के लिए यह स्पष्टीकरण ज्यादा राहत देने वाला नहीं है। कई लोगों ने कहा कि बीमा का दावा करने के लिए अपने क्षतिग्रस्त वाहनों की तस्वीरें लेने जैसे बुनियादी काम भी उनके लिए मुश्किल साबित हो रहे हैं, क्योंकि वाहन मौरिस नगर पुलिस स्टेशन परिसर के अंदर हैं और शुरुआत में वहां पहुंच प्रतिबंधित थी।
ब्लास्ट में जले गाड़ियों की तस्वीरें ले सकते हैं- अधिकारी
हालांकि, दिल्ली पुलिस ने कहा कि उसने इस मुद्दे को पहले ही सुलझा लिया है। एक अधिकारी ने कहा, “मामला हमारे संज्ञान में आया और हमने उन्हें तस्वीरें और वीडियो लेने की अनुमति दे दी। कुछ लोगों ने ऐसा पहले ही कर लिया है।“
नंद नगरी के 39 वर्षीय कैब ड्राइवर जोगिंदर कुमार ने अपने पांच लोगों के परिवार का पालन-पोषण करने के लिए जुलाई में एक नई स्विफ्ट डिजायर कार खरीदी थी। उनकी 19,000 रुपये की EMI 10 दिसंबर को चुकानी है। आखिरी किस्त कटने के अगले ही दिन, कार विस्फोट में तबाह हो गई।
जोगिंदर ने कहा, “मैं अपनी कैब ढूंढ़ने के लिए एक थाने से दूसरे थाने गया। मुझे नहीं मिली। मुझे समझ नहीं आ रहा कि बीमा क्लेम कैसे करूं। मैं मुआवजे की उम्मीद भी छोड़ चुका हूं।“ वह विस्फोट वाली कार से 10 मीटर की दूरी पर थे, जिससे उनके सिर, चेहरे, कंधों और हाथों पर कई जगह जलन और चोटें आईं।
उन्होंने आगे कहा, “बीमा कंपनियां FIR की कॉपी और मेरी कार का वीडियो चाहती हैं। मुझे कोतवाली से भी ये नहीं मिल रहा। वे मुझे एक जगह से दूसरी जगह भेजते रहते हैं। NIA से होने का दावा करने वाले अधिकारियों ने 16 नवंबर को मेरे आधार कार्ड और बैंक खाते की जानकारी ली, लेकिन उसके बाद से कुछ नहीं हुआ।“
21 वर्षीय समीर खान, जो गंभीर रूप से जल गए थे और अपने परिवार का ऑटोरिक्शा खो बैठे थे, ने कहा, “मेरे भाई ने एक रिक्शा किराए पर लिया है ताकि हम जिंदा रह सकें। उन्होंने कहा, जब मुआवजे की घोषणा हुई थी, तब अस्पताल में हमारी सारी जानकारी ली गई थी। लेकिन अधिकारी हमें कुछ नहीं बता रहे हैं।“
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