जागरण संवाददाता, गोरखपुर। अंबुज की हत्या महज गुस्से की घटना नहीं थी, बल्कि एक सोची-समझी साजिश थी। वारदात में शामिल सदरे आलम और बिट्टू उर्फ अहद खान का आपराधिक इतिहास रहा है। हत्या के बाद शहर से 50 किलोमीटर दूर महराजगंज के भिटौली क्षेत्र में सिर और धड़ अलग-अलग फेंकने का प्लान भी उसी वजह से बना, क्योंकि बिट्टू की वहीं रिश्तेदारी है और इलाके का चप्पा-चप्पा वह जानता था। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
26 नवंबर की रात आयुष सिंह कार लेकर अंबुज को बुलाने घर आया था।उसने बताया कि चिलुआताल के करीमनगर में दोस्त के यहां हल्दी का कार्यक्रम है। वहां पहुंचने पर वहां सदरे आलम और बिट्टू उर्फ अहद खान पहले से मौजूद थे।
योजना के अनुसार इन लाेगों ने पहले अंबुज को शराब पिलाई। बेसुध होने पर सिर पर प्रहार कर मार डाला फिर सदरे आलम, बिट्ट व अंबुज ने धारदार हथियार से सिर को धड़ से अलग किया। पुलिस को चकमा देने के लिए बिट्टू उर्फ अहद खान ने शव को ठिकाने लगाने की योजना बनाई।
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शव को महराजगंज जिले में ले जाकर फेंकने की योजना बनाई। भोर में चार बजे यह लोग कार से पहुंचे ।मोहल्ले वालों के अनुसार अंबुज पहले ऐसे युवकों से दूर था। पर आयुष से दोस्ती ने उसे उन युवकों के चक्र में डाल दिया जो पहले से आपराधिक गतिविधियों में शामिल थे।
शराब, देर रात घूमना, बहसें, बड़े-बड़े दावे,यह सब धीरे-धीरे उसकी दिनचर्या बन गया।अंततः वही लोग, जिन पर उसने दोस्ती का भरोसा किया, उसी की हत्या की वजह बने। |