LHC0088 • 2025-12-3 04:37:35 • views 782
विधि संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुकदमे की सुनवाई के दौरान भरी अदालत में एसपी ललितपुर द्वारा ट्रायल कोर्ट जज को धमकी देने के मामले पर घटना के करीब 40 साल बाद संज्ञान लिया है।
कोर्ट ने डीजीपी को हलफनामा दाखिल कर यह बताने के लिए कहा है कि उस वक्त उक्त आरोपित अधिकारी पर क्या कार्रवाई की गई थी और क्या वह अब भी जीवित हैं।वृंदावन व अन्य की अपील पर सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति जेजे मुनीर एवं न्यायमूर्ति संजीव कुमार की खंडपीठ ने पाया कि सेशन जज ने अपने फैसले में इस बात का जिक्र किया है कि तत्कालीन एसपी ने उन्हें धमकाया था और थाने तक घसीट ले जाने की धमकी दी थी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
पुलिस ने एक गुंडे की तरह व्यवहार
खंडपीठ ने पाया कि सेशन जज ने फैसले में कहा है कि डिस्ट्रिक्ट सुपरिटेंडेंट आफ पुलिस ने एक गुंडे की तरह व्यवहार किया और ट्रायल जज को धमकी दी। अधिकारी की मौजूदा हालत के बारे में अनिश्चितता को देखते हुए कोर्ट ने कहा कि यह नहीं पता कि तत्कालीन एसपी बीके भोला जो शायद अब रिटायर हो चुके होंगे, इस दुनिया में हैं या नहीं। कोर्ट ने डीजीपी को नौ दिसंबर तक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया, जिसमें इन बिंदुओं को शामिल करने को कहा है कि बीके भोला अब भी हैं या नहीं। वह अब भी सेवा में हैं या पेंशन ले रहे हैं।
जीवित हैं तो उनकी पूरी जानकारी, रहने का पता और थाने की जानकारी दी जाए। कोर्ट ने डीजीपी को यह भी बताने का निर्देश दिया है कि 1988 के फैसले में ट्रायल जज के निर्देशों के आधार पर बीके भोला के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई थी। |
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